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नेपाल में राजनीतिक संकट (Political Crisis in Nepal) | Ankit Avasthi Sir

Political Crisis in Nepal

Political Crisis in Nepal

संदर्भ:

नेपाल, जिसे परंपरागत रूप से नई दिल्ली का घनिष्ठ ऐतिहासिक मित्र माना जाता है, इस समय गंभीर राजनीतिक अशांति से गुजर रहा है। जेनZ  के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के हिंसक रूप लेने से कई लोगों की मौत हुई और प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। स्थिति अब भी अस्थिर बनी हुई है, जिसके चलते भारत ने नेपाल से लगने वाले अपने सीमावर्ती क्षेत्रों को हाई अलर्ट पर रखा है ताकि संकट का असर इधर न फैल सके।

नेपाल में संकट के कारण:

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध: सरकार ने 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। आधिकारिक रूप से इसका कारण नियमों का पालन न करना बताया गया, लेकिन इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास माना गया। चूंकि सोशल मीडिया युवाओं के लिए अपनी बात रखने का मुख्य साधन था, इसलिए इसके हटते ही पूरे देश में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे।
  • जनरेशनज़ी (Gen Z) की असंतुष्टि: भ्रष्टाचार, नेताओं की आलीशान जीवनशैली, जवाबदेही की कमी और 20% से अधिक युवाओं की बेरोजगारी ने असंतोष को और बढ़ा दिया। नेपाल की अर्थव्यवस्था में प्रवासी आय (Remittances) का बड़ा योगदान है, लेकिन देश में रोजगार के अवसर बेहद सीमित हैं, जिससे युवाओं में गहरी निराशा फैल गई।
  • राज्य की कठोर प्रतिक्रिया: प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने अत्यधिक बल प्रयोग किया। जीवित गोलियां, रबर की गोलियां चलाई गईं और सख्त कर्फ्यू लागू किया गया। इस कार्रवाई में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हुए।

भारतनेपाल सीमा पर हाई अलर्ट:

  • नेपाल में विरोध प्रदर्शनों के बढ़ते-बढ़ते राजनीतिक संकट का रूप लेने के बाद भारत ने नेपाल से सटी अपनी सीमावर्ती क्षेत्रों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है।
  • सरकार की ओर से बल प्रयोग किए जाने पर कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 300 से अधिक लोग घायल हो गए। इन प्रदर्शनों का नेतृत्व मुख्य रूप से जनरेशनज़ी (Gen Z) के युवा कर रहे थे।

भारत के अशांत पड़ोस के प्रभाव:

  • सुरक्षा खतरे: पड़ोसी देशों में अस्थिरता और उग्रवादी विचारधाराओं का बढ़ना सीधे तौर पर भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। विशेषकर नेपाल जैसी खुली सीमाएँ (Porous Borders) उग्रवादी समूहों की आवाजाही को आसान बना सकती हैं।
  • कूटनीतिक चुनौतियाँ: भारत की विदेश नीति का बड़ा हिस्सा अपने पड़ोस में उत्पन्न संकटों को सँभालने में लग जाता है। इससे भारत को अपने विस्तारित पड़ोस और वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है।
  • आर्थिक परिणाम: अस्थिरता से व्यापार मार्ग और पर्यटन प्रभावित हो जाते हैं। हाल ही में नेपाल संकट के दौरान उड़ानों और सीमा पार आवागमन में व्यवधान आया। इसके अलावा भारत को आर्थिक सहायता और मानवीय मदद का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है।
  • घरेलू राजनीतिक असर: पड़ोसी देशों में होने वाले जातीय या साम्प्रदायिक संघर्ष कभी-कभी भारत की घरेलू राजनीति को भी प्रभावित करते हैं। खासकर सीमा से लगे राज्यों में, जहाँ आबादी और सांस्कृतिक संबंध साझा होते हैं, इनका असर और गहरा होता है।

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