Insurance industry of India
संदर्भ:
जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (Jio Financial Services) ने जर्मनी की एलियांज (Allianz) के साथ मिलकर भारत में रिफाइनेंस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए ‘एलियांज जियो रीइंश्योरेंस लिमिटेड’ (AJRL) की स्थापना की है।
- जियो फाइनेंशियल कंपनी AJRL में 50% हिस्सेदारी के लिए 10 रुपये अंकित मूल्य वाले 25,000 इक्विटी शेयरों का शुरुआती सब्सक्रिप्शन करेगी, जिसमें50 लाख रुपये का निवेश किया जाएगा।
- इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य भारत के रिइंश्योरेंस कारोबार को विकसित करना है, जो रेगुलेटरी अप्रूवल के अधीन संचालित होगा।
रिइंश्योरेंस क्या है?
रिइंश्योरेंस एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें एक बीमा कंपनी (जिसे सेडेंट कहते हैं) अपनी जोखिम की पूरी या आंशिक जिम्मेदारी दूसरी बीमा कंपनी (reinsurer) को हस्तांतरित करती है।
इसके बदले में रिइंश्योरर को प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। इसे “इंश्योरेंस फॉर इंश्योरर्स” (Insurance for Insurers) भी कहा जाता है।
रिइंश्योरेंस का मुख्य उद्देश्य:
- बड़ी हानियों को प्रबंधित करना
- वित्तीय प्रदर्शन को स्थिर करना
- अधिक पॉलिसियां अंडरराइट करने की क्षमता बढ़ाना
- संभावित दावों के वित्तीय बोझ को साझा कर व्यवसाय का विस्तार करना है।
यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण होता है जब प्राकृतिक आपदाओं या बड़ी घटनाओं से भारी दावे उत्पन्न होते हैं।
रिइंश्योरेंस कैसे काम करता है?
- जोखिम का हस्तांतरण: प्राथमिक बीमाकर्ता जनता को पॉलिसियां बेचता है और फिर इन पॉलिसियों के जोखिम का एक हिस्सा रिइंश्योरर को ट्रांसफर कर देता है।
- प्रीमियम का भुगतान: सेडेंट रिइंश्योरर (Cendant Reinsurer) को उस जोखिम को लेने के लिए प्रीमियम का भुगतान करता है, जैसे कोई व्यक्ति अपनी बीमा पॉलिसी के लिए प्रीमियम देता है।
- दावा (Claim) भुगतान: यदि कोई दावा होता है जो रिइंश्योरेंस समझौते की शर्तों के तहत आता है, तो रिइंश्योरर सेडेंट को उस दावे का पूरा या आंशिक भुगतान करता है।
अनुबंधात्मक समझौता: रिइंश्योरेंस समझौतेमें यह तय होता है कि कितना जोखिम हस्तांतरित होगा और किन शर्तों में रिइंश्योरर दावों के लिए जिम्मेदार होगा।
भारत का बीमा उद्योग 2030 तक दोगुना होने का अनुमान:
हाल ही में इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और मैकिन्से एंड कंपनी की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का बीमा उद्योग 2030 तक 123% बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है। यह वृद्धि 2024 में ₹11.2 लाख करोड़ के जीडब्ल्यूपी स्तर से होगी।
विकास का कारण:
भारत वर्तमान में विश्व के उभरते बीमा बाजारों में पांचवां सबसे बड़ा जीवन बीमा बाजार है, जो प्रति वर्ष 32-34% की दर से बढ़ रहा है। उद्योग ने हाल के वर्षों में नई और प्रगतिशील उत्पाद पेश कर, प्रतिस्पर्धा के चलते तेजी से विकास किया है।
प्रमुख आँकड़े
- सकल लिखित प्रीमियम (GWP): 2024 में ₹11.2 लाख करोड़, 2020 में ₹7.8 लाख करोड़ से वृद्धि।
- 2030 का अनुमानित GWP: ₹25 लाख करोड़, यानी 123% वृद्धि।
- बीमा का वर्तमान प्रवेश: सकल घरेलू उत्पाद का 7%, वैश्विक औसत 6.8% से कम।
- गैर–जीवन बीमा: 2030 तक ₹2.8 लाख करोड़, एसएमई, कपड़ा, फार्मा और ऑटोमोटिव उद्योगों से।
खुदरा बीमा: 2030 तक ₹21 लाख करोड़, जिसमें 90% जीवन बीमा क्षेत्र से आएगा।
भारत के बीमा क्षेत्र को नीतिगत समर्थन:
भारतीय बीमा क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और इसके लिए नीतिगत और सरकारी समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। IRDAI का विज़न 2047 सुरक्षा संबंधी कमियों को दूर करने और बीमा तक पहुँच को आसान बनाने के लिए सुधारों को आगे बढ़ा रहा है।
विधायी और नियामक सुधार:
- मुख्य अधिनियम: बीमा अधिनियम (1938), IRDAI अधिनियम (1999) और अन्य संशोधन, जो विदेशी निवेश और परिचालन लचीलेपन की अनुमति देते हैं।
- बीमा विस्तार योजना: जीवन, स्वास्थ्य, दुर्घटना और संपत्ति जोखिमों को कवर करने वाली प्रस्तावित ऑल–इन–वन बंडल पॉलिसी, जो त्वरित भुगतान और उपयोग में आसानी के लिए डिज़ाइन की गई है।
- बीमा सुगम प्लेटफ़ॉर्म: पॉलिसी खरीद और दावों के निपटान के लिए डिजिटल वन-स्टॉप शॉप, जिसमें तेज़ जीवन बीमा निपटान के लिए राज्य मृत्यु रजिस्ट्रियों को जोड़ने की योजना।

