SC Refuses To Stay Waqf Law
संदर्भ:
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ़ संशोधन अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों को लागू होने से रोका है, लेकिन कानून को पूरी तरह स्थगित करने से इनकार कर दिया। इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान, जिसके तहत किसी व्यक्ति को वक्फ़ के लिए संपत्ति समर्पित करने से पहले पाँच साल तक सक्रिय मुस्लिम होना जरूरी था, उसे अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ़ संशोधन अधिनियम, 2025 के प्रावधानों पर महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए–
- कोर्ट ने सरकारी अधिकारी को वक्फ़ संपत्ति और सरकारी जमीन के बीच विवाद निपटाने का अधिकार अस्थायी रूप से रोका, यह कहते हुए कि कार्यकारी अधिकारी नागरिकों के अधिकारों का निर्णय नहीं कर सकते, क्योंकि इससे सत्ता के पृथक्करण का सिद्धांत प्रभावित होगा।
- कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे विवादित संपत्ति पर तीसरे पक्ष के अधिकारों का निर्माण तब तक नहीं होगा, जब तक ट्रिब्यूनल मामले का निपटारा नहीं कर देता।
- गैर–मुस्लिम सदस्य:
- वक्फ़ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नामांकन की व्यवस्था अभी भी लागू
- हालांकि, बोर्ड के ex officio सदस्य के रूप में संभव हो तो मुस्लिम व्यक्ति होना चाहिए।
- केंद्रीय वक्फ़ परिषद में अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य और राज्य वक्फ़ बोर्ड में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं।
- कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ये अवलोकन केवल प्रारंभिक (prima facie) हैं और इससे पक्षकारों को अधिनियम की वैधता पर आगे की दलीलें पेश करने से रोक नहीं जाएगा।
अप्रैल में बना कानून:
- वक्फ (संशोधन) बिल 2025 बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों में पास हुआ।
- लोकसभा: 288 सांसदों ने समर्थन किया।
- राज्यसभा: 232 सांसदों ने समर्थन किया।
- 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस कानून को मंजूरी दी।
- इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर विवाद
- धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन: मुस्लिम संगठनों का कहना है कि वक्फ संपत्तियों और बोर्ड का प्रबंधन धार्मिक विषय है। नए प्रावधान सरकार के हस्तक्षेप को बढ़ाते हैं।
- संवैधानिक अधिकारों पर असर: संगठनों के अनुसार यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और संस्थाओं के प्रबंधन का अधिकार देता है।
- परामर्श की कमी: अधिनियम बनाने से पहले मुसलमानों और वक्फ निकायों से पर्याप्त राय नहीं ली
- नई शर्तें और अधिकार:
- वक्फ घोषित करने वाले व्यक्ति के लिए कम से कम 5 वर्ष तक इस्लाम धर्म का पालन करने की शर्त रखी गई है।
- इसे धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया गया।
- राजस्व अधिकारियों को अधिकार: विवादित वक्फ संपत्तियों के मामलों में अब कलेक्टर और राज्य राजस्व अधिकारियों को शक्ति मिलेगी।
इससे वक्फ बोर्ड की भूमिका कमजोर हो सकती है। - धार्मिक भेदभाव का आरोप: मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि ये प्रावधान केवल वक्फ संपत्तियों पर लागू होते हैं, जबकि अन्य धार्मिक और चैरिटेबल संस्थाओं पर ऐसी बाध्यता नहीं है।
वक्फ (Waqf) का अर्थ:
- परिभाषा: वक्फ उन संपत्तियों को कहते हैं जिन्हें इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या चैरिटेबल (परमार्थ) उद्देश्यों के लिए समर्पित किया जाता है।
- उपयोग की मनाही: वक्फ संपत्ति की बिक्री या किसी अन्य निजी उपयोग की अनुमति नहीं होती।
- स्वामित्व का स्थानांतरण: जब कोई व्यक्ति संपत्ति को वक्फ घोषित करता है तो उसका स्वामित्व अल्लाह के नाम पर हो जाता है। यह निर्णय अपरिवर्तनीय होता है।
- मुख्य भूमिकाएँ:
- वाकिफ (Wakif): वह व्यक्ति जो संपत्ति वक्फ करता है।
- मुतवल्ली (Mutawalli): वह प्रबंधक जो वक्फ संपत्ति की देखरेख और प्रशासन करता है।

