Translocation of Tigers to Sahyadri Tiger Reserve
संदर्भ:
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने ताडोबा–अंधारी टाइगर रिज़र्व (TATR) और पेंच टाइगर रिज़र्व (PTR) से 8 बाघों के स्थानांतरण की अनुमति दी है। इस कदम का उद्देश्य पश्चिमी घाट के उत्तरी हिस्से में बाघों की आबादी को पुनर्जीवित करना है।
महाराष्ट्र के प्रमुख टाइगर रिज़र्व:
- सह्याद्री टाइगर रिज़र्व (Sahyadri Tiger Reserve – STR):
- स्थान: सह्याद्री पर्वत श्रृंखला, पश्चिमी महाराष्ट्र।
- जिले: कोल्हापुर, सतारा, सांगली और रत्नागिरी।
- गठन: चांदौली राष्ट्रीय उद्यान और कोयना वन्यजीव अभयारण्य को मिलाकर बनाया गया।
- विशेषता: मध्य भाग में कोयना नदी का शिवसागर जलाशय और वारणा नदी का वसंत सागर जलाशय स्थित है।
- पेंच टाइगर रिज़र्व (Pench Tiger Reserve – PTR):
- स्थान: सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की दक्षिणी ढलान।
- जिले: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में फैला हुआ।
- गठन: पेंच राष्ट्रीय उद्यान और मोगली पेंच अभयारण्य से मिलकर।
- विशेषता: पेंच नदी उत्तर से दक्षिण बहते हुए उद्यान को दो भागों में बाँटती है।
- मेघदूत बाँध पेंच नदी पर, इस रिज़र्व की सीमा पर स्थित है।
- ताडोबा–अंधारी टाइगर रिज़र्व:
- स्थान: चंद्रपुर ज़िला, विदर्भ क्षेत्र, महाराष्ट्र।
- गठन: ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान और अंधारी वन्यजीव अभयारण्य से मिलकर।
- विशेषता: अंधारी नदी इस रिज़र्व से होकर बहती है।
सह्याद्री टाइगर रिज़र्व में टाइगर ट्रांसलोकेशन क्यों हो रहा है?
- कम संख्या में बाघ:
- यहाँ घना वनस्पति आवरण है, फिर भी बाघों की संख्या बहुत कम रही है।
- हाल ही में केवल कुछ नर बाघों की तस्वीरें यहाँ दर्ज की गई हैं।
- बाघ आबादी को पुनर्जीवित करना:
- यह योजना लंबी अवधि की टाइगर रिकवरी योजना का हिस्सा है।
- उद्देश्य: सह्याद्री में स्थायी और प्रजनन योग्य (breeding) बाघों की आबादी स्थापित करना।
- ध्यान देने योग्य है कि बाघों ने इस क्षेत्र को प्राकृतिक रूप से कभी उपनिवेशित (colonise) नहीं किया।
- उपयुक्त आवास:
- WII (Wildlife Institute of India) और वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यहाँ 20+ बाघों के लिए पर्याप्त क्षमता है।
- कारण: मजबूत शिकार आधार (prey base) और बड़ा वन क्षेत्र (large forest cover)।
- पारिस्थितिक महत्व:
- सह्याद्री रिज़र्व में बाघों को पुनर्जीवित करने से पश्चिमी घाट (Western Ghats) के पारिस्थितिक गलियारे (ecological corridors) को मजबूत किया जा सकेगा।
- यह क्षेत्र गोवा और कर्नाटक से जुड़ाव बनाए रखने में मदद करेगा।
- सह्याद्री कोयना और वारणा नदियों के जलग्रहण क्षेत्र (catchment area) का हिस्सा है, जो लाखों लोगों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है।