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SST-भारत वैश्विक संलयन दौड़ में भारत के प्रवेश का प्रतीक है (SST-Bharat Marks India’s Entry into the Global Fusion Race) | UPSC

SST-Bharat Marks India’s Entry into the Global Fusion Race

SST-Bharat Marks India’s Entry into the Global Fusion Race

 

संदर्भ:

गांधीनगर स्थित इंस्टिट्यूट फॉर प्लाज़्मा रिसर्च (IPR) के शोधकर्ताओं ने भारत को फ्यूज़न पावर हासिल करने का रोडमैप तैयार किया है। इसके तहत देश का पहला फ्यूज़न बिजली जनरेटर स्टेडीस्टेट सुपरकंडक्टिंग टोकामाकभारत (SST-Bharat) विकसित करने की योजना है, जो इनपुट से 5 गुना अधिक पावर उत्पन्न करेगा।

  • यह एक फ्यूज़न-फिशन हाइब्रिड रिएक्टर होगा, जिसमें कुल 130 मेगावॉट में से 100 मेगावॉट ऊर्जा फिशन से मिलेगी।
  • इसकी अनुमानित लागत लगभग 25,000 करोड़ रुपये बताई गई है।

भारत का पहला फ्यूज़न बिजली जनरेटर SST-Bharat:

  • शोधकर्ता Steady-state Superconducting Tokamak-Bharat (SST-Bharat) विकसित करने की योजना बना रहे हैं।
  • यह भारत का पहला फ्यूज़न बिजली जनरेटर होगा, जिसकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता इनपुट से 5 गुना होगी।
  • यह एक फ्यूज़न-फिशन हाइब्रिड रिएक्टर होगा, जिसमें कुल 130 मेगावाट (MW) में से 100 MW ऊर्जा फिशन से मिलेगी।
  • अनुमानित निर्माण लागत: ₹25,000 करोड़
  • लक्ष्य: 2060 तक 250 MW का डेमोंस्ट्रेशन रिएक्टर तैयार करना, जिसका आउटपुट-इनपुट अनुपात (Q) 20 होगा।

नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) क्या है?

  • नाभिकीय ऊर्जा वह ऊर्जा है, जो नाभिकीय अभिक्रियाओं (Nuclear Reactions) के दौरान निकलती है।
  • यह दो प्रकार से प्राप्त होती है:
    1. फिशन: भारी परमाणु नाभिक (जैसे यूरेनियम, प्लूटोनियम) को तोड़कर छोटे नाभिक बनाए जाते हैं, जिससे ऊर्जा निकलती है।
      • यही प्रक्रिया नाभिकीय बिजली संयंत्रों (Nuclear Power Plants) में बिजली बनाने के लिए उपयोग होती है।
    2. फ्यूज़न (Fusion): हल्के परमाणु नाभिक आपस में मिलकर भारी नाभिक बनाते हैं और ऊर्जा मुक्त करते हैं।

नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) की प्रक्रिया:

  • यह वही प्रक्रिया है जो सूर्य और अन्य तारों को ऊर्जा देती है।
  • इसमें दो हल्के परमाणु नाभिक आपस में मिलकर भारी नाभिक बनाते हैं और बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
  • सबसे आम फ्यूज़न अभिक्रिया में हाइड्रोजन के समस्थानिक – ड्यूटेरियम (Deuterium) और ट्रिटियम (Tritium) शामिल होते हैं।
  • इनके संलयन से हीलियम और एक न्यूट्रॉन बनता है तथा बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।

फ्यूज़न ऊर्जा का महत्व:

  1. स्वच्छ ऊर्जा स्रोत (Clean Source of Energy):
    • नाभिकीय फ्यूज़न, फिशन की तरह, कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में नहीं छोड़ता।
  2. उच्च ऊर्जा दक्षता (High Energy Efficiency):
    • फ्यूज़न, फिशन की तुलना में प्रति किलोग्राम ईंधन लगभग 4 गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
    • कोयला या तेल जलाने की तुलना में लगभग 40 लाख गुना अधिक ऊर्जा देता है।
    • इसलिए यह पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से कहीं अधिक कुशल है।
  3. सुरक्षित उपयोग (Safer to Use):
    • भविष्य के फ्यूज़न रिएक्टर स्वभाव से ही सुरक्षित होंगे।
    • इनमें उच्च स्तर का या लंबे समय तक रहने वाला नाभिकीय कचरा (Nuclear Waste) नहीं बनेगा।
    • साथ ही, चूंकि फ्यूज़न प्रक्रिया को शुरू करना और बनाए रखना कठिन है, इसलिए अनियंत्रित प्रतिक्रिया या मेल्टडाउन का कोई खतरा नहीं
  4. प्रचुर और सुलभ ईंधन आपूर्ति (Abundant & Accessible Fuel Supply):
    • फ्यूज़न ईंधन प्रचुर मात्रा में और आसानी से उपलब्ध है।
    • ड्यूटेरियम (Deuterium): समुद्री जल से कम लागत में निकाला जा सकता है।
    • ट्रिटियम (Tritium): फ्यूज़न से उत्पन्न न्यूट्रॉनों और प्राकृतिक रूप से उपलब्ध लिथियम की क्रिया से तैयार किया जा सकता है।

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