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भारतीय समुद्री क्षेत्र (Indian Maritime Sector) | Apni Pathshala

Indian Maritime Sector

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संदर्भ:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि पिछले एक दशक में भारत के समुद्री क्षेत्र ने ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की है। उन्होंने बताया कि इस अवधि में बंदरगाह क्षमता, दक्षता और अवसंरचना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

  • उन्होंने मुंबई में आयोजित ‘इंडिया मॅरिटाइम वीक 2025’ के दौरान वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र विश्व स्तर पर व्यापार, हरित शिपिंग (Green Shipping) और ब्लू इकोनॉमी (Blue Economy) में नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है।

भारत का समुद्री क्षेत्र (Maritime Sector of India):

  • भारत के व्यापार का लगभग95% वॉल्यूम और 70% मूल्य समुद्री मार्गों के जरिए होता है।
  • वित्त वर्ष 2024–25 में देश के प्रमुख बंदरगाहों ने लगभग855 मिलियन टन कार्गो को संभाला, जो समुद्री व्यापार और बंदरगाह दक्षता में मजबूत वृद्धि दर्शाता है।
  • Maritime India Vision 2030 के तहत150 से अधिक पहलें तय की गई हैं, जिनमें ₹3–3.5 लाख करोड़ के निवेश का अनुमान है।
  • इसके अलावा, सरकार नेजहाज निर्माण (shipbuilding) को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में ₹69,725 करोड़ का विशेष पैकेज भी घोषित किया है।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बताए गए प्रमुख प्रगति बिंदु:

  • बंदरगाह क्षमता में दोगुनी वृद्धि:भारत की बंदरगाह क्षमता 1,400 MMTPA से बढ़कर 2,762 MMTPA हो गई है।
  • दक्षता में सुधार:जहाजों के टर्नअराउंड टाइम में बड़ी कमी आई है — यह 93 घंटे से घटकर 48 घंटे रह गया है। अब भारत के प्रमुख बंदरगाह विकासशील देशों में सबसे कुशल (efficient) बंदरगाहों में गिने जाते हैं।
  • आंतरिक जलमार्गों में उछाल:जलमार्गों पर कार्गो परिवहन में 700% से अधिक वृद्धि हुई है, संचालित जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 32 हो गई है।
  • समुद्री कर्मियों की वृद्धि:भारत के समुद्री कर्मियों की संख्या 25 लाख से बढ़कर 3 लाख से अधिक हो गई है, जिससे भारत विश्व के शीर्ष तीन प्रशिक्षित नाविक आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो गया है।
  • वित्तीय स्थिति में सुधार:प्रमुख बंदरगाहों का वार्षिक शुद्ध अधिशेष ₹1,026 करोड़ से बढ़कर ₹9,352 करोड़ हो गया है — यानी 9 गुना वृद्धि।

प्रमुख परियोजनाएँ और निवेश:

  • विझिंजम पोर्ट:यह भारत का पहला डीप-वॉटर इंटरनेशनल ट्रांस-शिपमेंट हब बन गया है।
  • वधावन पोर्ट परियोजना:लगभग 76,000 करोड़ के निवेश से विकसित हो रहा यह बंदरगाह दुनिया के कुछ चुनिंदा डीप-ड्राफ्ट पोर्ट्स में शामिल होगा।
  • समुद्री क्षेत्र के लिए ₹70,000 करोड़ का पैकेज:सरकार ने ऐसा व्यापक पैकेज मंजूर किया है, जिससे 5 लाख करोड़ से अधिक निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है, विशेष रूप से जहाज निर्माण क्षेत्र में।
  • आधुनिकीकरण और सुधार:सौ साल पुराने औपनिवेशिक नौवहन कानूनों को हटाकर Indian Ports Bill, 2025 जैसे आधुनिक और भविष्य उन्मुख कानूनों को लागू किया गया है, जिससे वैश्विक मानकों के अनुरूप व्यापार को सरल बनाया जा सके।

भारत के समुद्री क्षेत्र की प्रमुख समस्याएँ और चुनौतियाँ:

विखंडित शासन और पुराने कानून:

  • क्षेत्र अब भीIndian Ports Act, 1908 जैसे पुराने कानूनों से संचालित है।
  • नयाIndian Ports Bill, 2025 सुधार लाने का प्रयास है, पर अत्यधिक केंद्रीकरण और संघीय संतुलन की कमी को लेकर चिंता है।

गैरप्रमुख बंदरगाहों का कमजोर प्रदर्शन:

  • इन बंदरगाहों मेंअपर्याप्त अवसंरचना, प्रशिक्षित जनशक्ति और कनेक्टिविटी की कमी है।
  • कई बंदरगाह अपनीक्षमता से कम संचालन कर रहे हैं और नियामकीय अड़चनों का सामना कर रहे हैं।

अवसंरचना और लॉजिस्टिक बाधाएँ:

  • भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण स्वीकृति और विभागीय समन्वय की कमीसे कई परियोजनाएँ देरी में हैं।
  • अंतर्देशीय जलमार्गका विकास बहुत धीमा है।

पर्यावरण और सततता से जुड़ी चिंताएँ:

  • ग्रीन टेक्नोलॉजी, कचरा प्रबंधन और उत्सर्जन नियंत्रणका कार्यान्वयन असमान है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन हब का कार्य अभी शुरुआती चरण में है।

घरेलू शिपिंग क्षमता की कमी:

  • भारत कीशिपिंग फ्लीट छोटी है, जिससे विदेशी जहाजों पर निर्भरता बढ़ी है।
  • कर असमानता और प्रोत्साहन की कमीसे जहाज निर्माण प्रभावित है।

कौशल अंतर और समुद्री शिक्षा की कमजोरी:

  • प्रशिक्षण संस्थानों कोआधुनिक बनाने की जरूरत है।
  • पोर्ट संचालन, मरीन इंजीनियरिंग और लॉजिस्टिक्समें कुशल जनशक्ति की कमी है।
  1. सुरक्षा और रणनीतिक चुनौतियाँ
    • समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ना और क्षेत्रीय तनावप्रमुख खतरे हैं।
    • तटीय राज्यों और एजेंसियों के बीच समन्वयअभी पर्याप्त नहीं है।

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