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Katchatheevu Island Dispute

Katchatheevu Island

Katchatheevu Island

चर्चा में क्यों

c कच्चाथीवू द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है।

कच्चाथीवू द्वीप (Katchatheevu Island) का इतिहास-

  • कच्चाथीवू द्वीप हिंद महासागर के दक्षिणी छोर पर स्थित है। ये द्वीप 14वीं शताब्दी में एक ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बना था। भारत के दृष्टिकोण से देखें तो ये रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित है।
  • यह रामेश्वरम से करीब 33 किलोमीटर और श्रीलंका के जाफना जिले से करीब 62 किलोमीटर की दूरी पर है।
  • 285 एकड़ में फैला ये द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामानंद के राज्य का हिस्सा हुआ करता था।
  • ब्रिटिश शासन के दौरान 285 एकड़ भूमि का प्रशासन भारत और श्रीलंका द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता था।
  • रामनाड (वर्तमान रामनाथपुरम, तमिलनाडु) के राजा के पास Katchatheevu Island था और बाद में वह मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया।
  • 1921 में, श्रीलंका और भारत दोनों ने मछली पकड़ने के लिए भूमि के इस टुकड़े पर दावा किया और विवाद अनसुलझा रहा।
  • भारतीय स्वतंत्रता के बाद, देश ने सीलोन और अंग्रेजों के बीच स्वतंत्रता-पूर्व क्षेत्र विवाद को हल करने की पहल की। वर्तमान में, यह द्वीप श्रीलंका द्वारा प्रशासित है।

भारत तथा श्रीलंका के मध्य समझौता

  • 1974 से 1976 के बीच उस समय की भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की प्रधानमंत्री सिरिमाव भंडारनायके ने चार समुद्री जल समझौतों पर दस्तखत किए। इसके तहत भारत ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया। तब से श्रीलंका इस द्वीप पर कानूनी तौर पर अपना दावा करता है।
  • जब भारत सरकार ने इस द्वीप को लेकर श्रीलंका के साथ समझौता किया था तो तमिलनाडु सरकार ने इसका विरोध किया था। तब तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने PM इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि ये द्वीप ऐतिहासिक रूप से रामनाद साम्राज्य की जमींदारी का हिस्सा है। ऐसे में भारत सरकार को किसी भी कीमत पर ये इलाका श्रीलंका को नहीं देना चाहिए।
  • भारत और श्रीलंका के बीच हुए इस समझौते के 15 साल बाद ही 1991 में तमिलनाडु विधानसभा ने कच्चाथीवू को एक बार फिर से भारत में मिलाने की मांग की। इसके लिए राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव पास किया था। श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान उसकी उत्तरी सीमाओं पर तमिल उग्रवादी संगठन LTTE का कब्जा था।
  • इसकी वजह से तमिलनाडु के मछुआरे मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप तक आसानी से पहुंचते थे। 2008 में जयललिता ने 1974 और 1976 के बीच हुए कच्चाथीवू द्वीप (Katchatheevu Island) समझौतों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
  • 2009 में श्रीलंका की सरकार और Liberation Tigers of Tamil Eelam (LTTE) के बीच की लड़ाई लगभग खत्म होने वाली थी। LTTE संगठन कमजोर हो रहा था। ऐसे में श्रीलंका सरकार ने अपनी सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया। जब भी तमिलनाडु के मछुआरे मछली मारने के लिए इस द्वीप के करीब जाते थे, श्रीलंका की पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती थी।
  • इसी वजह से तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोग इस द्वीप को वापस लेने की मांग एक बार फिर से करने लगे।
  • श्रीलंका सरकार का कहना है कि समुद्र में उसके जल क्षेत्र में मछलियों और दूसरे जलीय जीवों की कमी हो गई है, जिससे उनके मछुआरों की आजीविका प्रभावित हुई है। ऐसे में भारत के मछुआरों को वो इस क्षेत्र में मछली मारने की इजाजत नहीं दे सकते हैं।

LTTE, यानि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम, श्रीलंका में एक अलगाववादी संगठन था जो 1976 से 2009 तक सक्रिय रहा। इसका मुख्य उद्देश्य श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी भागों में एक स्वतंत्र तमिल राज्य “तमिल ईलम” की स्थापना करना था।

LTTE के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी:

  • स्थापना: 1976
  • संस्थापक: वेलुपिल्लई प्रभाकरन
  • मुख्यालय: वन्नियार
  • विचारधारा: तमिल राष्ट्रवाद
  • कार्यप्रणाली: गुरिल्ला युद्ध, आत्मघाती हमले
  • प्रमुख घटनाएं:
    • 1983 में ब्लैक जुलाई दंगे
    • 1991 में राजीव गांधी की हत्या
    • 2009 में श्रीलंकाई सेना द्वारा LTTE की पराजय

विवाद क्यों होता है?

 मछली पकड़ने के लिए तमिलनाडु के रामेश्वरम जैसे जिलों के मछुआरे कच्चातिवु द्वीप की तरफ जाते हैं। बताया जाता है कि भारतीय जल हिस्से में मछलियां खत्म हो गई है। लेकिन द्वीप तक पहुंचने के लिए मछुआरों को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार करनी पड़ती है। जिसे पार करने पर श्रीलंका की नौसेना उन्हें हिरासत में ले लेती है।

ऐसे तय होती है समुद्री सीमा-

 किसी भी देश की समुद्री सीमा को तीन हिस्सों में बांटा जाता है।

  • आधार सीमा – इसमें उस देश के आसपास के द्वीप शामिल होते हैं। आधार सीमा का विस्तार देश के धरातल से 12 समुद्री मील यानी लगभग 22 किलोमीटर होती है।
  • क्षेत्रीय सीमा – यह धरातल से 24 समुद्री मील होती है यानी 44 किलोमीटर की दूरी तक होती है। इस क्षेत्र पर उस देश का पूरा अधिकार होता है। अगर दूसरे देश का बोट या प्लेन इस सीमा में बिना परमिशन लिए घुसता है तो उस देश को पूरा अधिकार होता है कि वह बिना पूछताछ के भी उस जहाज को मार गिराए। यहीं से सीमा शुल्क की शुरुआत भी हो जाती है।
  • एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) यानी वो सीमा जिसके अंदर वह देश किसी भी तरह का समुद्री व्यापार कर सकता है। किसी भी देश के मछुआरे सिर्फ इसी सीमा के भीतर रह कर मछली पकड़ सकते हैं। इसकी सीमा 200 समुद्री मील यानी 370 किलोमीटर पर होती है।
  • इसके बाद आता है हाई सी. यह किसी भी देश की सीमा नहीं होती है। इस पर पूरे विश्व के देशों का अधिकार होता है। इसके इस्तेमाल के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में अलग नीतियां बनाई गई हैं।

पिछले कुछ वर्षों में कच्चाथीवू द्वीप का मुद्दा उठा –

  • 2014: भारत सरकार ने एक जनहित याचिका के जवाब में मद्रास हाईकोर्ट को बताया था कि कच्चाथीवू द्वीप (Katchatheevu Island) पर श्रीलंका की संप्रभुता एक बेहद साफ और स्पष्ट मामला है। भारत के मछुआरों को इस क्षेत्र में मछली पकड़ने की गतिविधियों में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है।
  • 2015: श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने चेन्नई स्थित तमिल टीवी चैनल (थांथी टीवी) के एक इंटरव्यू में यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि अगर भारतीय मछुआरे कच्चाथीवू द्वीप वाले श्रीलंकाई जलक्षेत्र में घुसपैठ करते हैं तो उन्हें गोली मारी जा सकती है।
  • 2023: श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे नई दिल्ली की यात्रा पर आने वाले थे। इससे ठीक पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे श्रीलंकाई PM के सामने इस द्वीप से जुड़े दो मुद्दे उठाने की मांग की थी- श्रीलंका कच्चाथीवू द्वीप भारत को वापस करे, श्रीलंका के प्रधानमंत्री को बताए कि इस द्वीप से तमिल लोगों की जनभावना जुड़ी है।
  • 2024: तमिलनाडु BJP चीफ के.अन्नामलाई ने कच्चाथीवू के बारे में जानकारी को लेकर RTI दायर की थी। इसमें लिखा है कि साल 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की राष्ट्रपति सिरिमावो भंडारनायके ने एक समझौता किया था। इसके तहत कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को औपचारिक रूप से सौंप दिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, इंदिरा ने तमिलनाडु में लोकसभा कैंपेन को देखते हुए यह समझौता किया था।

अब भी कच्चाथीवू पर बने चर्च में प्रार्थना करने जाते हैं हजारों भारतीय

हर साल फरवरी में रामेश्वरम से हजारों लोग कच्चाथीवू द्वीप पर बने सेंट एंथोनी चर्च में प्रार्थना करने के लिए जाते हैं। इस चर्च को तमिलनाडु के एक तमिल कैथोलिक श्रीनिवास पदैयाची ने 110 साल पहले बनवाया था। 2016 में मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि श्रीलंका सरकार अब इस चर्च को गिराने की तैयारी कर रही है, लेकिन बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ नहीं होगा।

भारत सरकार का रुख और कानूनी पहलू:

  • भारत सरकार ने 2013 में स्पष्ट किया कि पुनः प्राप्ति का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि कोई भी भारतीय क्षेत्र हस्तांतरित नहीं किया गया था।
  • इस मुद्दे को ब्रिटिश भारत और सीलोन (अब श्रीलंका) के मध्य विवाद के रूप में उठाया गया था, जिसे 1974 और 1976 में समझौतों के माध्यम से हल किया गया था।
  • केंद्र सरकार ने दावा किया कि कच्चातिवु भारत-श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के श्रीलंकाई हिस्से पर स्थित है।

राजनीतिक और जनभावना:

  • कच्चातिवु का स्थानांतरण भारत की संसद के दोनों सदनों में विरोध और बहस शुरू होने का कारण बना।
  • तमिलनाडु के नेताओं ने समय-समय पर द्वीप की पुनः प्राप्ति की मांग उठाई है।
  • इस द्वीप के “स्थायी पट्टे” (एक पट्टा विलेख जिसमें कोई निर्दिष्ट समय अवधि नहीं होती) की मांग वर्षों से की जा रही है।

FAQs

Q. कच्चाथीवू द्वीप (Katchatheevu Island) क्या है?
कच्चाथीवू द्वीप पाल्क जलडमरूमध्य में स्थित एक छोटा सा निर्जन द्वीप है। यह भारत और श्रीलंका के बीच विवादित क्षेत्र है।

Q. यह कहाँ स्थित है?
यह भारत के तमिलनाडु तट और श्रीलंका के पूर्वी तट के बीच स्थित है।

Q. द्वीप का स्वामित्व किसके पास है?
1974 में भारत और श्रीलंका के बीच हुए एक समझौते के तहत, Katchatheevu Island का नियंत्रण श्रीलंका को दे दिया गया था। हालांकि, भारत इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करता रहा है।

Q. इसका क्या महत्व है?
हालांकि द्वीप खुद छोटा है, लेकिन आसपास का समुद्री क्षेत्र मछली पकड़ने और संभावित रूप से हाइड्रोकार्बन संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

Q. क्या कोई समाधान हुआ है?
अभी तक इस मामले का कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है। भारत और श्रीलंका के बीच इस मुद्दे पर समय-समय पर चर्चा होती रहती है।

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Q. 1974 में किस देश को भारत ने कच्चाथीवू द्वीप दिया था?
(A) श्रीलंका
(B) मालदीव
(C) इंडोनेशिया
(D) म्यांमार
उत्तर : (A) श्रीलंका
Q. भारत और श्रीलंका के बीच एक द्वीप ______ है।
(A) कच्चाथीवू
(B) दीवर
(C) चोराव
(D) लिहा ग्रैंड
उत्तर : (A) कच्चाथीवू

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