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Quant Mutual Fund पर SEBI की जांच के बाद निवेशकों ने निकाला पैसा

Quant Mutual Fund

Quant Mutual Fund पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा फ्रंट-रनिंग गतिविधियों की जांच के बाद, निवेशकों ने भारी मात्रा में अपने निवेश वापस ले लिए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में क्वांट म्यूचुअल फंड से लगभग 2,800 करोड़ रुपये की निकासी हुई है।

Quant Mutual Fund क्या है?

क्वांट म्यूचुअल फंड, 1996 में स्थापित, भारत के सबसे पुराने और अग्रणी म्यूचुअल फंडों में से एक है। यह 22 साल से अधिक के अनुभव के साथ विभिन्न प्रकार की संपत्ति श्रेणियों में निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है।

Mutual Fund क्या हैं?

म्यूचुअल फंड एक सामूहिक निवेश योजना है जहाँ कई निवेशक अपना पैसा एक साथ लगाते हैं। इस पैसे को फिर एक फंड मैनेजर द्वारा विभिन्न कंपनियों के Share, Bond, Government bond और अन्य संपत्तियों में निवेश किया जाता है। यह विविधता निवेशकों को एक ही निवेश के साथ कई अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश करने का मौका देती है।

Mutual Fund के प्रकार:

  • Fixed Income Fund : ये फंड मुख्य रूप से बॉन्ड और अन्य ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं, जो नियमित आय की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं।
  • Money Market Fund : ये फंड अल्पकालिक ऋण प्रतिभूतियों (Short-term Debt Securities) में निवेश करते हैं और उच्च तरलता प्रदान करते हैं।
  • International Fund : ये फंड विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं, जिससे निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में वैश्विक विविधता लाने का मौका मिलता है।
  • Debt Fund : ये फंड विभिन्न प्रकार के ऋण प्रतिभूतियों (Debt Securities) में निवेश करते हैं और स्थिर आय प्रदान करने का लक्ष्य रखते हैं।
  • Gilt Fund : ये फंड विशेष रूप से सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में निवेश करते हैं, जो कम जोखिम वाले निवेश विकल्प होते हैं।
  • Liquid Funds : ये फंड अत्यधिक तरल होते हैं और निवेशकों को किसी भी समय अपना पैसा निकालने की अनुमति देते हैं।
  • Large Cap Fund : ये फंड बड़ी और स्थापित कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं, जो अपेक्षाकृत स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं।

Mutual Fund के फायदे:

  • विविधीकरण (Diversification) : एक ही निवेश के माध्यम से विभिन्न संपत्तियों में निवेश करके जोखिम कम करने में मदद करता है।
  • पेशेवर प्रबंधन (Professional Management) : अनुभवी फंड मैनेजर आपके निवेश का प्रबंधन करते हैं, जिससे आपको बाजार के उतार-चढ़ाव की चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • तरलता (Liquidity) : अधिकांश म्यूचुअल फंड आसानी से खरीदे और बेचे जा सकते हैं।
  • निवेश की सुविधा : म्यूचुअल फंड में निवेश करना आसान है और इसमें न्यूनतम निवेश राशि की आवश्यकता होती है।

Mutual Fund के नुकसान:

  • जोखिम (Risk) : सभी निवेशों की तरह, म्यूचुअल फंड में भी बाजार के जोखिम होते हैं।
  • शुल्क (fee) : म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर कुछ शुल्क लग सकते हैं, जैसे कि प्रबंधन शुल्क (Management fees) और निकास भार (Exhaust load)।

नियंत्रण की कमी : निवेशक फंड मैनेजर के निवेश निर्णयों पर सीधे नियंत्रण नहीं रखते हैं।

Quant Mutual Fund से निवेश वापस निकालने के कारण:

  • सेबी जांच (SEBI investigation) : सेबी द्वारा फ्रंट-रनिंग की जांच और Quant Mutual Fund के कार्यालयों में छापेमारी के बाद निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई है। फ्रंट-रनिंग एक अवैध गतिविधि है जिसमें कोई व्यक्ति या संस्था अपने ग्राहकों के आदेशों से पहले शेयरों की खरीद-बिक्री करके लाभ कमाती है।
  • भरोसे की कमी (Lack of trust) : सेबी जांच के कारण क्वांट म्यूचुअल फंड की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा कम हुआ है।
  • नुकसान की आशंका (Fear of loss) : निवेशक अपने निवेश पर संभावित नुकसान से बचने के लिए अपने पैसे निकाल रहे हैं।

Front running (फ्रंट-रनिंग) क्या है?

फ्रंट-रनिंग एक अवैध गतिविधि है जिसमें ब्रोकर या डीलर, म्यूचुअल फंड के बड़े लेन-देन की जानकारी का फायदा उठाकर, उससे पहले ही संबंधित शेयरों में निजी लेन-देन करके मुनाफा कमाते हैं।

फ्रंट-रनिंग कैसे होती है?

म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार में खरीद-बिक्री के बड़े ऑर्डर बिचौलियों (जैसे डीलर) के माध्यम से करते हैं। ये डीलर, म्यूचुअल फंड के बड़े ऑर्डर की जानकारी का गलत इस्तेमाल करते हुए, उससे पहले ही संबंधित शेयरों में अपनी पोजीशन बना लेते हैं।

जब म्यूचुअल फंड बड़ी मात्रा में शेयर खरीदता है, तो शेयर की कीमत बढ़ जाती है और डीलर मुनाफा कमाने के लिए अपने शेयर बेच देता है। इसी तरह, जब Mutual Fund बड़ी मात्रा में शेयर बेचता है, तो डीलर पहले ही शेयर बेचकर (शॉर्ट सेलिंग) मुनाफा कमा लेता है।

फ्रंट-रनिंग का निवेशकों पर असर

फ्रंट-रनिंग निवेशकों को कई तरह से नुकसान पहुंचाती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई म्यूचुअल फंड बड़ी मात्रा में शेयर खरीदने की योजना बनाता है और बिचौलिया पहले ही शेयर खरीद लेता है, तो Mutual Fund द्वारा खरीद पूरी करने से पहले ही शेयर की कीमत बढ़ जाती है।

इससे म्यूचुअल फंड को शेयरों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है, जिससे उसका संभावित रिटर्न कम हो जाता है। इसी तरह, बिक्री के दौरान, Mutual Fund को शेयरों के लिए कम कीमत मिलती है, जिससे उसका संभावित रिटर्न फिर से कम हो जाता है।

SEBI फ्रंट-रनिंग के मामलों से कैसे निपटता है?

SEBI, फ्रंट-रनिंग के मामलों में आर्थिक जुर्माना लगाता है। आमतौर पर, यह जुर्माना डीलरों, फंड मैनेजरों और उन बाहरी ब्रोकरों पर लगाया जाता है जिनके साथ उन्होंने मिलीभगत की होती है।

पिछले साल, SEBI ने वीरेश जोशी और एक्सिस म्यूचुअल फंड फ्रंट-रनिंग मामले में 20 अन्य लोगों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था और 30.55 करोड़ रुपये जब्त किए थे।

SEBI के बारे में

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) – SEBI भारत में प्रतिभूति बाजार का नियामक है।
  • इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी और इसे 30 जनवरी 1992 को सेबी अधिनियम 1992 के तहत वैधानिक दर्जा दिया गया था।
  • सेबी का मुख्यालय मुंबई में है।
  • इसके क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में हैं।

SEBI के मुख्य कार्य:

  • निवेशकों के हितों की रक्षा (protect the interests of investors): सेबी का प्राथमिक कार्य प्रतिभूति बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। यह सुनिश्चित करता है कि निवेशकों को उचित और पारदर्शी जानकारी मिले और उनके साथ धोखाधड़ी न हो।
  • प्रतिभूति बाजार का विकास और विनियमन (Development and regulation of securities market): सेबी प्रतिभूति बाजार के विकास को बढ़ावा देने और उसे विनियमित करने के लिए काम करता है। यह नियम और विनियम बनाता है और उन्हें लागू करता है ताकि बाजार निष्पक्ष और व्यवस्थित रहे।
  • अंतरिम/बिचौलियों का नियमन (Regulation of Intermediaries): सेबी स्टॉक ब्रोकर, सब-ब्रोकर, पोर्टफोलियो मैनेजर, मर्चेंट बैंकर, अंडरराइटर, और अन्य बाजार मध्यस्थों के कामकाज को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि ये बिचौलिए निवेशकों के हितों के खिलाफ काम न करें।

SEBI की शक्तियाँ:

  • नियम और विनियम बनाना (making rules and regulations): सेबी के पास प्रतिभूति बाजार से संबंधित नियम और विनियम बनाने की शक्ति है।
  • जांच और प्रवर्तन (Investigation and Enforcement): सेबी के पास प्रतिभूति बाजार में होने वाले किसी भी उल्लंघन की जांच करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति है।
  • न्यायिक कार्यवाही (Judicial Proceedings): सेबी के पास कुछ मामलों में न्यायिक कार्यवाही करने की शक्ति है।

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