चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षकों (Assistant Teacher Recruitment Exam) की भर्ती का मामला फिर से चर्चा में आया है, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस भर्ती की पूर्व में जारी मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वे तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट जारी करें। इस फैसले ने छात्रों और अभ्यर्थियों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का पूरा आदेश
कोर्ट ने 2020 ने परीक्षा में आरक्षण नियमों के उल्लंघन के कारण इसे अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि नई सूची तैयार करने से पहले से नियुक्त किसी भी सहायक शिक्षक की नौकरी प्रभावित होती है, तो उन्हें वर्तमान शैक्षणिक सत्र तक अपनी नौकरी जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों की शिक्षा में कोई व्यवधान न हो। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नई सूची बनाते समय किसी भी चयनित उम्मीदवार के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आरक्षित वर्गों को संविधान के अनुसार आरक्षण का लाभ मिले।
भर्ती परीक्षा: क्रमागत घटनाक्रम
- उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया की जटिलता की शुरुआत 2017 में हुई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती करने का आदेश दिया, लेकिन योगी सरकार ने इसे एक ही बार में पूरा करने में असमर्थता जताई।
- इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पदों को दो चरणों में भरने का निर्देश दिया। 2018 में योगी सरकार ने पहले चरण में भर्ती निकाली, और दूसरे चरण में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की।
- 69,000 पदों के लिए भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई, जिसमें अनारक्षित वर्ग की कटऑफ 67.11% और ओबीसी की कटऑफ 66.73% तय की गई।
- भर्ती प्रक्रिया के बाद, लगभग 68,000 लोगों को नियुक्ति दी गई, लेकिन जल्द ही आरक्षण नियमों की अनदेखी के आरोप सामने आने लगे।
- आरोप था कि ओबीसी और एससी वर्ग को अनिवार्य 27% और 21% आरक्षण के मुकाबले क्रमशः केवल 3.86% और 16.6% आरक्षण ही मिला।
- अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि यदि कोई ओबीसी अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी की कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करता है, तो उसे अनारक्षित श्रेणी में रखा जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
- इस विवाद के चलते अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किए और मामले को हाईकोर्ट और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में उठाया।
- मार्च 2023 में लखनऊ बेंच ने परीक्षा परिणाम को नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया।
- और हाल ही में, इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच न्यायमूर्ति अताउ रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति बृज राज सिंह ने 2020 में जारी मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया ।
UP 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (Assistant Teacher Recruitment Exam): एक नजर
5 दिसंबर, 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के बेसिक शिक्षा विभाग में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन जारी किया। इसके तहत 5 जनवरी, 2019 को शिक्षक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) का आयोजन किया गया, जिसमें 4.31 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था और इनमें से 4.10 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा में हिस्सा लिया।
12 मई, 2020 को परीक्षा के परिणाम घोषित किए गए, जिसमें 1.46 लाख उम्मीदवारों ने क्वालीफाई किया। अनारक्षित श्रेणी के लिए कट-ऑफ 67.11%, ओबीसी के लिए 66.73%, और अनुसूचित जाति के लिए 61.01% निर्धारित की गई थी। इसके बाद, 1 जून 2020 को बेसिक शिक्षा परिषद, इलाहाबाद के सचिव ने भर्ती प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार की।
इस प्रक्रिया के अंतर्गत चयनित अभ्यर्थियों की दो सूचियाँ जारी की गईं। पहली सूची 11 अक्टूबर 2020 को जारी हुई, जिसमें 31,277 अभ्यर्थी शामिल थे, और दूसरी सूची 30 अक्टूबर 2020 को जारी हुई, जिसमें 36,590 अभ्यर्थियों के नाम थे। कुल मिलाकर, 69,000 पदों में से 67,867 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की गई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किस आधार पर भर्ती परीक्षा रद्द की?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा को रद्द करने का फैसला मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली, 1981 और उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1994 के प्रावधानों का पालन न करने के आधार पर लिया।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली, 1981:
यह नियमावली उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत शिक्षकों की सेवा शर्तों और भर्ती प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- नियुक्ति की प्रक्रिया: शिक्षकों की नियुक्ति प्रतियोगी परीक्षाओं या अन्य निर्धारित प्रक्रियाओं के माध्यम से की जाती है। इसमें मेरिट लिस्ट के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जाता है।
- शैक्षिक योग्यता: इसमें प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षकों के लिए शैक्षिक और प्रशिक्षण योग्यताओं का निर्धारण किया गया है।
- सेवा की शर्तें: यह नियमावली शिक्षकों की वेतन संरचना, प्रोबेशन अवधि, प्रमोशन, स्थानांतरण, और अनुशासनात्मक कार्रवाई के नियमों को निर्दिष्ट करती है।
- आरक्षण नीति का पालन: नियमावली के अंतर्गत आरक्षण नीति का पालन किया जाता है, जिसमें राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के प्रावधान शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम, 1994:
यह अधिनियम उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) को आरक्षण प्रदान करने के लिए बनाया गया है। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- आरक्षण की प्रतिशतता: यह अधिनियम अनुसूचित जातियों के लिए 21%, अनुसूचित जनजातियों के लिए 2%, और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण का प्रावधान करता है।
- आरक्षण के लाभ: यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी सेवाओं में आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को उनकी योग्यता के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व मिले।
- डोमिसाइल का प्रावधान: आरक्षण का लाभ केवल उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासियों को ही मिलता है।
- अवरोधक (क्रीमी लेयर) का प्रावधान: अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू की जाती है, ताकि आर्थिक रूप से समृद्ध उम्मीदवार आरक्षण का लाभ न ले सकें।
- आरक्षण के अनुपालन की जांच: यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि आरक्षण नीति का उचित अनुपालन हो, और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को उत्तरदायी ठहराया जा सके।
अब आगे क्या?
नई मेरिट लिस्ट तैयार करते समय कुछ उम्मीदवारों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, लेकिन यूपी सरकार ने आश्वस्त किया है कि किसी भी चयनित उम्मीदवार के साथ अन्याय नहीं होगा।
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