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BIMSTEC Retreat: भारत कर रहा है BIMSTEC विदेशी मंत्रियों की मेजबानी, संगठन में 7 देश हैं शामिल

BIMSTEC members

BIMSTEC में शामिल देश के विदेश मंत्रियों की मेजबानी करते हुए, भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि,“हमें दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय घटनाओं के कारण आपस में बैठकर चर्चा करने और समाधान खोजने की जरूरत है।”

BIMSTEC Retreat क्यों है चर्चा में:–

  • BIMSTEC की मेजबानी 11 और 12 जुलाई को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के द्वारा नई दिल्ली में किया जा रही थी ।
  • इसके बारे में जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के द्वारा कहा गया है कि,“यह रिट्रीट बिम्सटेक देशों के विदेश मंत्रियों के लिए अनौपचारिक रूप से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र और तटीय क्षेत्रों में सुरक्षा, संपर्क, व्यापार और निवेश, लोगों के बीच संपर्क आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को व्यापक और गहरा बनाने के अवसरों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा।”
  • BIMSTEC विदेश मंत्रियों की पहली बैठक 17 जुलाई, 2023 को बैंकॉक में आयोजित की गई थी। छठा बिम्सटेक शिखर सम्मेलन इस साल थाईलैंड में आयोजित होने वाला है।
  • शिखर सम्मेलन में समुद्री परिवहन सहयोग पर एक समझौते पर मुहर लगाई जाएगी, जिससे सदस्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
  • नई दिल्ली में आयोजित हो रहे बिम्सटेक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए थाईलैंड के विदेश मंत्री मारिस संगियामपोंगसा, नेपाल के विदेश मंत्री सेवा लामसाल, भूटान के विदेश मंत्री डीएन धुंग्येल, म्यांमार के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री यू थान स्वे भारत आए हैं।

List of BIMSTC Countries

BIMSTEC क्या है:–

  • Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation(BIMSTEC) एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें बंगाल की खाड़ी के तट पर या उससे सटे देश शामिल हैं।
  • यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के सात देशों को बहुआयामी सहयोग के लिए एक साथ लाता है।जिसका मुख्य उद्देश्य बंगाल की खाड़ी के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • इसका गठन 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणापत्र के ज़रिए हुआ था और इसका मुख्यालय बांग्लादेश के ढाका में है।
  • प्रारंभ में इसका निर्माण चार देशों के मिलने से हुआ था। जिसका नाम ‘बिस्ट-ईसी'(बांग्लादेश,भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग)था।
  • BIMSTEC सदस्य राष्ट्रों के सुरक्षा क्षेत्र में सक्रियता से सहयोग को बढ़ावा देता है। यह क्षेत्र में तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करने पर बल भी देता है।
  • बिम्सटेक के सात सदस्य देश हैं, जिनमें दक्षिण एशिया के पांच देश – बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका – और दक्षिण पूर्व एशिया के दो देश – म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं।

भारत के लिए BIMSTEC का महत्व:–

  • BIMSTEC देश की सीमा के पिछड़े क्षेत्रों को प्रमुख महत्व(नेबरहुड फर्स्ट) देता है।
  • भारत के पूर्वी राज्यों के आर्थिक विकास का भी द्योतक है क्योंकि यह पूर्वी राज्यों को बांग्लादेश और म्यांमार के माध्यम से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से(एक्ट ईस्ट) के तहत सीधे जोड़ता है।यह भारत को दक्षिण व पूर्व एशिया से भी जोड़ता है।
  • दक्षिण एशिया क्षत्रिय सहयोग संगठन (SAARC) के असफल हो जाने के कारण भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर विश्व स्तर पर एक मजबूत मंच प्रदान करता है।
  • BIMSTEC की कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी है जिनमे भारत और म्यांमार को समृद्ध करने वाली महत्वपूर्ण परियोजना ‘कलादान मल्टी मॉडल परियोजना’ है। साथ ही म्यांमार भारत और थाईलैंड को जोड़ने वाला ‘एशियाई त्रिपक्षीय राजमार्ग’ भी BIMSTEC की एक परियोजना है।
  • बिम्सटेक का कार्य क्षेत्र काफी व्यापक है इनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यटन, कृषि, जलवायु परिवर्तन, मत्स्य पालन, परिवहन, संचार, व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक सहयोग जैसे कुल 14 प्रमुख क्षेत्र शामिल है।
  • इसके शिखर सम्मेलन में सभी सदस्य देशों के प्रमुख शामिल होते हैं। जबकि मंत्री स्तरीय बैठक में सभी सदस्य देशों के विदेश मंत्री भाग लेते हैं।

BIMSTEC को लेकर मुख्य चुनौतियां:–

  • BIMSTEC में SAARC देशों की तरह तनाव तो नहीं है लेकिन फिर भी इसे जितना विकास करना चाहिए उतना नहीं हो पा रहा है। अर्थात इसके सभी सदस्य देश बिम्सटेक के द्वारा तय किए गए मां को के प्रति पूरी तरह समर्पित दिखाई नहीं दे रहे है। जिसके कारण इसके असफल होने की चिंता भी समय-समय पर डरता है।
  • बिम्सटेक शिखर सम्मेलन का आयोजन प्रति 2 वर्ष पर होना सुनिश्चित हुआ था, लेकिन वर्ष 1997 से 2018 तक 20 वर्षों में इसका आयोजन केवल चार बार ही हो पाया है।
  • म्यांमार और थाईलैंड के बीच सीमा विवाद को लेकर रोहिंग्या बांग्लादेश में शरणार्थी के रूप में जा रहे हैं। जिसके कारण बांग्लादेश म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों के संकट का सामना कर रहा है।
  • बिम्सटेक को लेकर सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि इसकी अधिकांश परियोजनाएं अधूरी है जिससे तीव्र विकास के असर कम होते जा रहे हैं।
  • बिम्सटेक की पांचवें शिखर सम्मेलन में कोलंबो घोषणा पत्र इसका जीवंत उदाहरण है, जिससे शीघ्र प्रगति के प्रति अविश्वास पैदा होता है।
  • कनेक्टिविटी विस्तार को लेकर कई बैठकें हुई जिसमें सड़क परिवहन, अंतर-क्षेत्रीय ऊर्जा ग्रिड कनेक्शन तथा तटीय शिपिंग जैसे विषयों पर काम शुरू हुए लेकिन अभी तक किसी भी काम को अंतिम रूप नहीं मिल पाया है।

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