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World Elephant Day 2024

चर्चा में क्यों?

हर साल 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस (World Elephant Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों में हाथियों के संरक्षण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना है।

हाथियों को धरती का सबसे विशाल और शक्तिशाली जानवर माना जाता है, लेकिन उनके अस्तित्व पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। अवैध शिकार, आवासीय क्षति, और मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण हाथियों की संख्या तेजी से घट रही है।

World Elephant Day का इतिहास (History of World Elephant Day):

World Elephant Day की शुरुआत 2012 में कनाडाई फिल्म निर्माता पेट्रीसिया सिम्स और थाईलैंड के एलीफेंट रिइन्ट्रोडक्शन फाउंडेशन के सहयोग से की गई थी। इस पहल का उद्देश्य एशियाई और अफ्रीकी हाथियों के सामने आने वाले संकटों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके संरक्षण के लिए एक वैश्विक आंदोलन को प्रोत्साहित करना था। तब से लेकर आज तक, यह दिवस विश्वभर में हाथियों के संरक्षण के लिए समर्पित संगठनों, सरकारों और आम जनता के बीच एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है।

World Elephant Day का उद्देश्य –

  1. हाथियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना (Spreading awareness about elephant conservation): इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को हाथियों की घटती संख्या और उनके सामने आने वाले खतरों के बारे में जागरूक करना है। इससे लोग हाथियों के संरक्षण के लिए प्रेरित होते हैं और उनके संरक्षण के लिए योगदान देने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
  2. अवैध शिकार और हाथी दांत व्यापार पर रोक लगाना (Stopping poaching and ivory trade): World Elephant Day का एक प्रमुख उद्देश्य अवैध शिकार और हाथी दांत के व्यापार को समाप्त करना है। हाथियों की हत्या उनके दांतों के लिए की जाती है, जो उनकी संख्या में गिरावट का एक बड़ा कारण है। हर साल, हाथीदांत के व्यापार के लिए हजारों अफ्रीकी हाथियों को मार दिया जाता है।
  3. हाथियों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा (Protecting the natural habitats of elephants): हाथियों के प्राकृतिक आवास तेजी से घट रहे हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा है। इस दिवस के माध्यम से लोगों को यह संदेश दिया जाता है कि हाथियों के आवासों को संरक्षित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  4. मानव-हाथी संघर्ष को कम करना (Reducing human-elephant conflict): World Elephant Day के माध्यम से मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के तरीकों पर चर्चा की जाती है। यह संघर्ष हाथियों के आवासों में कमी के कारण उत्पन्न होता है, जिससे दोनों पक्षों को नुकसान पहुंचता है।
  5. वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करना (Encouraging global collaboration): हाथियों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग आवश्यक है। इस दिन के माध्यम से, विभिन्न देशों, संगठनों, और समुदायों को एक साथ लाने और हाथियों के संरक्षण के लिए संयुक्त प्रयास करने पर जोर दिया जाता है।
  6. हाथियों के अधिकारों की रक्षा (Protecting the rights of elephants): इस दिन का उद्देश्य हाथियों के अधिकारों की रक्षा करना भी है। उन्हें शोषण, यातना, और अमानवीय परिस्थितियों से बचाने के लिए यह दिन महत्वपूर्ण है।
  7. सतत पर्यटन को बढ़ावा देना (Promoting sustainable tourism): World Elephant Day के माध्यम से सतत पर्यटन को भी प्रोत्साहित किया जाता है, जिसमें हाथियों के संरक्षण और उनके सम्मान का ध्यान रखा जाता है।
  8. शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन (Organizing educational programs): इस दिन के दौरान, शैक्षिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है, ताकि लोग हाथियों के महत्व, उनके संरक्षण की आवश्यकता, और उनसे जुड़े मुद्दों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।

World Elephant Day का महत्व:

World Elephant Day का उद्देश्य इन चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और हाथियों के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देना है। यह दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि हाथियों का संरक्षण केवल उनके अस्तित्व के लिए ही नहीं, बल्कि जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

संरक्षण के उपाय:

  1. कानूनी संरक्षण (Legal Protection): विभिन्न देशों में हाथियों की रक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं, जो अवैध शिकार और हाथी दांत के व्यापार को रोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी इस दिशा में प्रयासरत हैं।
  2. संवेदनशील क्षेत्र संरक्षण (Sensitive area protection): हाथियों के प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा के लिए संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार और प्रबंधन किया जाना चाहिए। इससे हाथियों को सुरक्षित और स्थायी आवास मिलेगा।
  3. जागरूकता अभियान (awareness campaign): स्थानीय समुदायों में जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि वे हाथियों के महत्व को समझ सकें और उनके संरक्षण में योगदान दे सकें।
  4. वैज्ञानिक अनुसंधान (scientific research): हाथियों के व्यवहार, प्रजनन, और जनसंख्या की निगरानी के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान आवश्यक है। इससे उनके संरक्षण के लिए प्रभावी रणनीतियाँ विकसित की जा सकती हैं।

World Elephant Day 2024 की थीम:

हर साल World Elephant Day के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है, जो उस वर्ष की प्राथमिकताओं और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करती है। World Elephant Day 2024 का विषय “प्रागैतिहासिक सौंदर्य, धार्मिक प्रासंगिकता और पर्यावरणीय महत्व को मूर्त रूप देना” पर केंद्रित है। यह विषय हाथियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है। यह इस बात पर भी जोर देता है कि हाथियों की आबादी में गिरावट के कारण, आवास संरक्षण को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में संबोधित करना महत्वपूर्ण है।

हाथियों से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • हाथी भारत का राष्ट्रीय प्राकृतिक धरोहर पशु है।
  • यह “कीस्टोन प्रजाति” के अंतर्गत आता है, जो वन पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन और स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • हाथियों की असाधारण बुद्धिमत्ता उनकी विशेषता है; इनके मस्तिष्क का आकार स्थल पर पाए जाने वाले किसी भी अन्य जानवर से सबसे बड़ा होता है।

पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान और महत्त्व:

  • हाथी भोजन की खोज में लंबी दूरी तक विचरण करते हैं, प्रतिदिन बड़ी मात्रा में वनस्पति का सेवन करते हैं और अपने इस विचरण के दौरान पेड़-पौधों के बीजों का फैलाव करते हैं।
  • उदाहरण के लिए, हाथियों के गुजरने से जंगल में नए पेड़ों के लिए जगह बनती है, जिससे सूरज की किरणें नए पौधों तक पहुंचती हैं और इससे वनस्पतियों के विकास में सहायता मिलती है।
  • एशिया के घने वनों के निर्माण और आकार देने में भी हाथियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
  • जब सतह पर जल उपलब्ध नहीं होता है, तो हाथी जल की खोज में निकल पड़ते हैं, जिससे अन्य प्राणियों के लिए भी जल स्रोत खोजने में आसानी होती है।

भारत में हाथी स्थिति:

  • वर्ष 2017 की प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत की गई गणना के अनुसार, भारत में सबसे ज्यादा जंगली एशियाई हाथी पाए जाते हैं, जिनकी अनुमानित संख्या 29,964 है।
  • यह संख्या इस प्रजाति की वैश्विक आबादी का लगभग 60% है।
  • कर्नाटक में सबसे ज्यादा हाथियों की संख्या दर्ज की गई है, इसके बाद असम और केरल का स्थान है।
  • मई 2024 में तमिलनाडु में हाथियों की आबादी बढ़कर 3063 हो गयी है।

संरक्षण स्थिति: अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में:

  • अफ्रीकी वन हाथी (लोक्सोडोंटा साइक्लोटिस) को गंभीर रूप से संकटग्रस्त माना गया है।
  • अफ्रीकी सवाना हाथी (लोक्सोडोंटा अफ़्रीकाना) को संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस) भी संकटग्रस्त श्रेणी में आता है।

प्रवासी प्रजातियों का सम्मेलन (CMS):

  • अफ्रीकी वन हाथी: परिशिष्ट II
  • एशियाई हाथी: परिशिष्ट I

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972:

  • हाथियों को अनुसूची I के अंतर्गत संरक्षण प्रदान किया गया है।

वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES):

  • अफ्रीकी सवाना हाथी: परिशिष्ट II
  • एशियाई हाथी: परिशिष्ट I

हाथियों के संरक्षण की दिशा में भारत की पहलें:

  • हाथी-मानव संघर्ष का समाधान (Resolving elephant-human conflict): संघर्षों को कम करने के लिए 40 से अधिक हाथी गलियारों और 88 वन्यजीव क्रॉसिंग का निर्माण किया गया है। साथ ही, 17,000 वर्ग किमी से अधिक के संरक्षित क्षेत्रों के आसपास बफर जोन स्थापित किए गए हैं, जो इन संघर्षों को कम करने में सहायक हैं।
  • हाथी परियोजना (The Elephant Project): वर्ष 1992 में शुरू की गई यह परियोजना भारत के 23 राज्यों में लागू की गई। इसके माध्यम से जंगली हाथियों की स्थिति में सुधार हुआ, जिससे इनकी संख्या वर्ष 1992 में लगभग 25,000 से बढ़कर वर्ष 2021 में लगभग 30,000 हो गई।
  • हाथी अभयारण्य (Elephant Sanctuary): लगभग 80,777 वर्ग किमी. क्षेत्र में 33 हाथी अभयारण्य स्थापित किए गए हैं। ये अभयारण्य जंगली हाथियों की आबादी और उनके आवासों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • मानव-हाथी संघर्ष का प्रबंधन (Management of Human-Elephant Conflict): संघर्ष की स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न राज्यों में त्वरित प्रतिक्रिया टीमें तैनात की गई हैं। साथ ही, रेलवे नेटवर्क के लगभग 110 महत्वपूर्ण हिस्सों की पहचान की गई है, जो हाथियों के निवास स्थान से गुजरते हैं। इन स्थानों पर अंडरपास का निर्माण, टकराव से बचने के लिए लोको पायलटों की दृश्यता बढ़ाने हेतु पटरियों के किनारे की वनस्पति को साफ करना, रैंप की व्यवस्था और अन्य उपाय किए जाएंगे।
  • सामुदायिक भागीदारी और सशक्तीकरण (Community Participation and Empowerment): हाथी संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए गज यात्रा कार्यक्रम और गज शिल्पी पहल में समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है।
  • अनुकरणीय प्रयासों को मान्यता (Recognizing exemplary efforts): हाथी संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए व्यक्तियों और संगठनों को गज गौरव सम्मान प्रदान किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय समझौते और प्रोटोकॉल:

  • भारत CITES के तहत कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
  • इसके अलावा, हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (MIKE) कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
  • MIKE कार्यक्रम की शुरुआत CITES के पार्टियों के दसवें सम्मेलन में वर्ष 1997 में संकल्प 10 के तहत की गई थी।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य हाथी रेंज वाले राज्यों को उचित प्रबंधन और प्रवर्तन निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना और रेंज राज्यों के भीतर संस्थागत क्षमता का निर्माण करना है।

भारत में MIKE साइट्स:

  • चिरांग-रिपु हाथी अभयारण्य (असम),
  • मयूरभंज हाथी अभयारण्य (ओडिशा),
  • देवमाली हाथी अभयारण्य (अरुणाचल प्रदेश),
  • शिवालिक हाथी अभयारण्य (उत्तराखंड),
  • मैसूर हाथी अभयारण्य (कर्नाटक),
  • गारो हिल्स हाथी अभयारण्य (मेघालय),
  • पूर्वी डुआर्स हाथी अभयारण्य (पश्चिम बंगाल),
  • दिहिंग पटकाई हाथी अभयारण्य (असम),
  • नीलगिरि हाथी अभयारण्य (तमिलनाडु),
  • वायनाड हाथी अभयारण्य (केरल)।

भारत में हाथी रिजर्वों की सूची

क्र.सं.

हाथी रिजर्व (ER)

राज्य

कुल क्षेत्रफल

(वर्ग किमी)

1.

मयूरझरना हाथी रिजर्व

पश्चिम बंगाल

414

2.

सिंहभूम हाथी रिजर्व

झारखंड

13440

3.

मयूरभंज हाथी रिजर्व

ओडिशा

3214

4.

महानदी हाथी रिजर्व

ओडिशा

1038

5.

संबलपुर हाथी रिजर्व

ओडिशा

427

6.

बादलखोल-तमोरपिंगला

छत्तीसगढ

1143.34

7.

लेमरू हाथी रिजर्व

छत्तीसगढ

1995.48

8.

कामेंग हाथी रिजर्व

अरुणाचल प्रदेश

1892

9.

सोनितपुर हाथी रिजर्व

असम

1420

10.

दिहिंग-पटकाई हाथी रिजर्व

असम

937

11।

दक्षिण अरुणाचल पूर्व

अरुणाचल प्रदेश

1957.50

12.

काजीरंगा – कार्बी आंगलोंग हाथी रिजर्व

असम

3270

13.

धनसिरी-लुंगडिंग हाथी रिजर्व

असम

2740

14.

इंटंकी हाथी रिजर्व

नगालैंड

202

15.

सिंगफान हाथी रिजर्व

नगालैंड

23.57

16.

चिरांग-रिपु हाथी रिजर्व

असम

2600

17.

पूर्वी दोआर्स हाथी रिजर्व

पश्चिम बंगाल

978

18.

गारो हिल्स हाथी रिजर्व

मेघालय

3,500

19.

मैसूर हाथी रिजर्व

कर्नाटक

8055.94

20.

दांडेली हाथी रिजर्व

कर्नाटक

2321.11

21.

वायनाड हाथी रिजर्व

केरल

1200

22.

नीलगिरि हाथी रिजर्व

तमिलनाडु

4663

23.

रायला हाथी रिजर्व

आंध्र प्रदेश

766

24.

नीलांबुर हाथी रिजर्व

केरल

1419

25.

कोयंबटूर हाथी रिजर्व

तमिलनाडु

566

26.

अन्नामलाई हाथी रिजर्व

तमिलनाडु

1457

27.

अनमुदी हाथी रिजर्व

केरल

3728

28.

अगस्त्यमलाई हाथी रिजर्व

तमिलनाडु

1197.48

29.

पेरियार

केरल

3742

30.

श्रीविल्लिपुत्तुर हाथी रिजर्व

तमिलनाडु

1249

31.

शिवालिक हाथी रिजर्व

उत्तराखंड

5405

32.

उत्तर प्रदेश हाथी रिजर्व

उत्तर प्रदेश

744

33.

तराई हाथी रिजर्व

उत्तर प्रदेश

3072.358

 

कुल

80,777.778

निष्कर्ष:

World Elephant Day 2024 हमें हाथियों के संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराता है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने प्रयासों को और अधिक सशक्त करें और हाथियों के अस्तित्व की रक्षा के लिए मिलकर काम करें। यदि हम समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाते, तो यह अद्वितीय प्रजाति हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए केवल इतिहास के पन्नों में ही रह जाएगी। हाथियों के संरक्षण के लिए हर व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है, और हमें इस दिशा में अपने प्रयासों को निरंतर जारी रखना चाहिए।

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