हाल ही में चीन ने अपना मून मिशन लॉन्च कर दिया है। इस मिशन का नाम चैंग’ई-6 मिशन है और इसे हैनान द्वीप के वेन्चांग स्पेस साइट से लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। इस प्रोब का लक्ष्य चांद के दूर वाले हिस्से (जहां अंधेरा होता है) पर जाकर सैंपल इकट्ठे करके इन्हें धरती पर भेजना है। चीन का यह प्रोब 53 दिन तक चांद पर रहेगा, यानी 25 जून को यह धरती पर लौट आएगा। चांग‘ई-6 यान की चांद पर उतरने की जगह दक्षिणी एपोलो क्रेटर में है।
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चांग‘ई-6 मून मिशन (Chang’e-6 Moon Mission) –
3 मई 2024 को चीन ने चांद के अंधेरे पहलू, दक्षिण ध्रुव ऐटकेन बेसिन से चट्टानों के नमूने इकट्ठा करने और वापस लाने के लिए चांग‘ई-6 यान भेजा है।
मिशन का उद्देश्य (mission objective):
- चांद के अंधेरे हिस्से से 2 किलोग्राम चट्टानें इकट्ठा करके धरती पर लाना।
- चांद की सतह और उसके नीचे 2 मीटर तक की चट्टानों का अध्ययन करना।
यह यान चार मुख्य भागों से बना है: नियंत्रण कक्ष, लैंडर, चांद से उड़ान भरने वाला यान (ऐसेंडर) और पृथ्वी पर वापसी का कैप्सूल (री-एंट्री मॉड्यूल)।
- ऑर्बिटर (orbiter) – यह प्रोब के बाकी तीनों हिस्सों को चांद तक ले जाएगा।
- लैंडर (lander) – प्रोब का वो हिस्सा जो चांद पर उतरता है। चैंग ‘ई-6 लैंडर चांद के एटकिन बेसिन क्रेटर पर लैंड करेगा। यह क्रेटर 4 अरब साल पहले बना था। इसके बाद प्रोब चांद की सतह से धूल-पत्थरों को इकट्ठा करेगा।
- ऐसेंडर (Ascender) – यह लैंडर से सैंपल लेकर ऑर्बिटर तक पहुंचाएगा।
- री-एंट्री मॉड्यूल (re-entry module) – यह प्रोब का वो हिस्सा है जो सैंपल लेकर लौटता है। सारे सैंपल्स को चांद से धरती पर लौटने वाले मॉड्यूल में ट्रांसफर किया जाएगा।
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चांग‘ई-6 यान की यात्रा (Journey of Chang’e-6 spacecraft):
- लैंडर, चांद से उड़ान भरने वाले यान के साथ, नियंत्रण कक्ष से अलग होगा और चांद पर उतरेगा।
- वहां, यह एक खुरचने वाले औज़ार और ड्रिल की मदद से चट्टानों के नमूने इकट्ठा करेगा।
- नमूनों को चांद से उड़ान भरने वाले यान में रखा जाएगा, जो उन्हें चांद की कक्षा में ले जाएगा।
- वहां से नमूनों को नियंत्रण कक्ष के एक डिब्बे में रखा जाएगा और वापसी के कैप्सूल में पृथ्वी पर लाया जाएगा।
- चांद पर उतरने की जगह दक्षिणी एपोलो क्रेटर में है।
- पूरा मिशन 53 दिनों में पूरा होगा।
चांद का “दूर का हिस्सा” (Far Side of the Moon)
चांद का “दूर का हिस्सा” वह गोलार्ध है जो पृथ्वी से कभी नहीं दिखाई देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चंद्रमा का घूर्णन और परिक्रमा एक ही दर से होती है। इसका मतलब है कि चंद्रमा का एक ही पहलू हमेशा पृथ्वी की ओर रहता है।
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Moon’s Far Side हिस्से की विशेषताएं (Features of Moon’s Far Side section):
- अधिक क्रेटर: दूर के हिस्से में पृथ्वी के सामने वाले हिस्से की तुलना में अधिक क्रेटर हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह धरती की सुरक्षा कवच से ग्रहणुओं के टकराने से कम सुरक्षित है।
- पतली चंद्रमा की पपड़ी: दूर के हिस्से में चंद्रमा की पपड़ी पतली होती है।
- अधिक ज्वालामुखी गतिविधि: वैज्ञानिकों का मानना है कि दूर के हिस्से में अधिक ज्वालामुखी गतिविधि हुई होगी।
- कम रेडियो तरंगें: चांद के दूर के हिस्से से पृथ्वी तक कम रेडियो तरंगें पहुंचती हैं।
Moon’s Far Side हिस्से का अन्वेषण (Explore the Moon’s Far Side):
- पहला अन्वेषण: 1959 में, सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान लूना 3 ने चांद के दूर के हिस्से की पहली तस्वीरें भेजीं।
- बाद के मिशन: तब से, कई अंतरिक्ष यानों ने चांद के दूर के हिस्से का अध्ययन किया है, जिनमें चीन का चांग‘ई 4 और यूरोपियन स्पेस एजेंसी का स्मार्ट-1 शामिल हैं।
Moon’s Far Side हिस्से का महत्व (Importance of Moon’s Far Side Part):
- वैज्ञानिक अध्ययन: चांद का दूर का हिस्सा वैज्ञानिकों के लिए चंद्रमा के इतिहास और भूविज्ञान को बेहतर ढंग से समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- भविष्य के मिशन: दूर का हिस्सा भविष्य के मानव मिशनों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संभावित रूप से संसाधनों और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए नए अवसर प्रदान करता है।
चांग‘ई-6 की विशेषता (Features of Chang’e-6):
- यह चांग’ई-5 मिशन जैसा ही है, लेकिन कुछ बदलावों के साथ।
- यान का कुल वजन 8200 किलोग्राम है।
- चांद की कक्षा में जाने के लिए इसमें 3000 न्यूटन का रॉकेट है।
- बिजली के लिए सौर पैनल लगे हैं।
- नमूने इकट्ठा करने के लिए रोबोटिक हाथ, ड्रिल और नमूने रखने का डिब्बा है।
- चांद से उड़ान भरने वाला यान 3000 न्यूटन बल वाले रॉकेट से उड़ेगा।
- उतरने और आसपास का निरीक्षण करने के लिए कैमरे लगे हैं।
- चांद के अंधेरे हिस्से से पृथ्वी से संपर्क के लिए क्वे कियाओ-2 रिले उपग्रह का उपयोग होगा।
- चांग’ई-6 चीन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2030 तक चांद पर एक स्थायी मानव बस्ती स्थापित करना है।
- चीन अंतरिक्ष अनुसंधान में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और मंगल ग्रह और क्षुद्रग्रहों सहित अन्य खगोलीय पिंडों का भी पता लगाने की योजना बना रहा है।
चांद के अंधेरे हिस्से से सैंपल लाने वाला पहला देश होगा चीन
- प्रोब शुरुआती कुछ दिन पृथ्वी की कक्षा में गुजारेगा और बाद में चांद की तरफ रवाना हो जाएगा। चीन ने साल 2030 तक इंसान को चांद पर भेजने का लक्ष्य रखा है। यह मिशन भी उसी टारगेट का हिस्सा है।
- अभी तक चांद पर जा चुके सभी 10 लूनर मिशन पास वाले हिस्से (जो हमें दिखता है) पर ही पहुंचे हैं। ऐसे में अगर चीन का मिशन सफल रहता है तो वो ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा। चैंग’ई-6 साउथ पोल-एटकेन बेसिन पर लैंड करेगा। यह चांद के तीन सबसे बड़े और प्रमुख जमीनी हिस्सों में से एक है। इसलिए इसकी साइंटिफिक वैल्यू बहुत ज्यादा है।
चांग‘ई-6 मून मिशन के साथ अन्य देशों के पे-लोड (Chang’e-6 Moon mission with payloads from other countries) :
- चीन ने दूसरे देशों के साथ स्पेस को-ऑपरेशन बढ़ाने और रिश्तों को मजबूत करने के लिए उनके पेलोड ले जाने की घोषणा की थी। इसके तहत चीन पाकिस्तान के अलावा फ्रांस, इटली और यूरोपियन स्पेस एजेंसी का पे-लोड लेकर रवाना हुआ है।
- फ्रांस का DORN उपकरण, स्वीडन और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का NILS उपकरण भी है।
- इटली का लेज़र रिफ्लेक्टर (INRRI) और पाकिस्तान का आईक्यूब-क्यूब्सैट भी इस मिशन का हिस्सा हैं।
चीन का चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम (China’s lunar Exploration Program) चीन का चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम, जिसे “चांग’ई” कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है, चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) द्वारा संचालित रोबोटिक चंद्र मिशनों की एक श्रृंखला है। यह कार्यक्रम चीनी चंद्र देवी “चांग’ई” के नाम पर रखा गया है। इतिहास और उद्देश्य: यह कार्यक्रम 2007 में शुरू हुआ था, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्र सतह और भूविज्ञान का अध्ययन करना, चंद्र संसाधनों का पता लगाना और भविष्य के मानव चंद्र मिशनों के लिए तैयारी करना था। महत्वपूर्ण चरण: चांग’ई कार्यक्रम को चार चरणों में विभाजित किया गया है: चांग‘ई-1 (Chang’e-1):
चांग‘ई-2 (Chang’e-2):
चांग‘ई-3 (Chang’e-3):
चांग‘ई-4 (Chang’e-4):
चांग‘ई-5 (Chang’e-5):
चांग‘ई-6 (Chang’e-6):
चांग‘ई-7 (Chang’e-7):
चांग‘ई-8 (Chang’e-8):
अनाम मानवयुक्त मिशन (unnamed manned mission):
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