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अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस

अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस जिसे, सूचना की सार्वभौमिक पहुंच का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day for Universal Access to Information) भी कहा जाता है, हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिवस हमारे सूचना प्राप्त करने के अधिकार का जश्न मनाने और पारदर्शिता, स्वतंत्रता, और नागरिक सहभागिता को प्रोत्साहित करता है। आइए विस्तार से जानते हैं “अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस” को।

अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस (International Right To Know Day)

हम अक्सर तथ्यों और जानकारियों के आधार पर निर्णय लेते हैं, और एक ऐसे समाज में रहकर जहाँ हम एक-दूसरे पर निर्भर हैं, यह जानना आवश्यक है कि हमारे चारों ओर क्या हो रहा है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस (International Right To Know Day) की स्थापना की गई, जो हमारे सूचना प्राप्त करने के अधिकार को मान्यता देता है।

अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस की शुरुआत 28 सितंबर 2002 को यूनेस्को द्वारा पहली बार की गई। अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस का उदय अफ्रीकी नागरिक समाजों की पहल से हुआ, जिन्होंने पारदर्शिता की मांग की। इस दिवस के माध्यम से नागरिकों को अपनी सरकारों की कार्रवाई और कानूनों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखने का अधिकार दिया गया। 2015 में, यूनेस्को ने 28 सितंबर को आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय जानने का अधिकार दिवस घोषित किया। अंततः, 2019 में, 74वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच के अंतरराष्ट्रीय दिवस (IDUAI) के रूप में मान्यता दी, जिससे इस दिवस का महत्व और बढ़ गया। पहला संयुक्त राष्ट्र सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच का अंतरराष्ट्रीय दिवस (IDUAI) वर्ष 2020 को मनाया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस उद्देश्य और महत्व:

अंतर्राष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को उनके सूचना प्राप्त करने के अधिकार के प्रति जागरूक करना है। यह दिवस लोगों को यह समझाने में मदद करता है कि उनके पास जानकारी को खोजने, प्राप्त करने और साझा करने का अधिकार है, जो लोकतंत्र और पारदर्शिता के लिए आवश्यक है। इसका महत्व कई स्तरों पर है:

  • पारदर्शिता को बढ़ावा: यह दिवस सरकारों और संस्थाओं से पारदर्शिता की मांग करता है, जिससे नागरिकों को यह जानने का अधिकार मिलता है कि उनके लिए कौन-सी नीतियाँ बनाई जा रही हैं।
  • नागरिक सहभागिता: यह नागरिकों को अपने राजनीतिक और सामाजिक मामलों में सक्रिय भाग लेने के लिए प्रेरित करता है, जिससे वे अपने अधिकारों का बेहतर उपयोग कर सकें।
  • प्रेस की स्वतंत्रता: यह प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करता है, जो जानकारी के सही और समय पर प्रसार को सुनिश्चित करता है।
  • समाज की जागरूकता: यह दिवस सूचना के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है, जिससे लोग अपनी जानकारी और अधिकारों के प्रति सजग रहते हैं।

सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDUAI) Theme 2024

Theme: “सूचना तक पहुंच को मुख्यधारा में लाना और सार्वजनिक क्षेत्र में भागीदारी” (“Mainstreaming Access to Information and Participation in the Public Sector”)

  • यह विषय इस बात पर जोर देता है कि सूचना तक पहुंच केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने का एक साधन भी है।
  • इस विषय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी नागरिक, विशेषकर समुदाय, सरकारी निर्णयों में अपनी आवाज उठा सकें और आवश्यक जानकारी तक पहुंच प्राप्त कर सकें।
  • इस वर्ष IDUAI दिवस 2024 का आयोजन घाना सरकार और यूनेस्को द्वारा किया जाएगा।

वैश्विक पहल और गतिविधियाँ: सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच

सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न वैश्विक पहलें और गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। इनमें प्रमुख पहलें और कार्यक्रम शामिल हैं:

  • यूनेस्को की पहल: यूनेस्को विभिन्न कार्यक्रमों और सम्मेलनों के माध्यम से सूचना के अधिकार को बढ़ावा देता है, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय जानने का अधिकार दिवस और सूचना तक पहुंच के लिए वैश्विक सम्मेलन।
  • अभियान और जागरूकता कार्यक्रम: नागरिक समाज संगठन और गैर-सरकारी संस्थाएँ सूचना के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाते हैं, जिससे लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें।
  • कानूनी सुधार: कई देशों में सूचना के अधिकार कानूनों को अपनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे सरकारी पारदर्शिता और नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके।
  • संवाद और कार्यशालाएँ: स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संवाद और कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं, जहां विशेषज्ञ और नीति निर्धारक सूचना के अधिकारों और उनके कार्यान्वयन पर चर्चा करते हैं।
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म: डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके जानकारी साझा करने और नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने, जानकारी साझा करने का प्रयास किया जाता हैं।

भारत में सूचना का अधिकार (RTI)

●   सूचना का अधिकार (Right to Information – RTI) भारत में एक महत्वपूर्ण कानून है, जो नागरिकों को सरकारी जानकारी तक पहुंच प्रदान करता है।

●   यह कानून 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ और इसका उद्देश्य सरकारी पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।

●   RTI अधिनियम के तहत, भारतीय नागरिकों को यह अधिकार है कि वे सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकें, जो सार्वजनिक हित में हो।

●   यह कानून केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर सभी सरकारी संस्थाओं पर लागू होता है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी शामिल हैं।

●   RTI अधिनियम में ऐसे अधिकारियों के लिए दंड का प्रावधान है, जो जानबूझकर जानकारी प्रदान करने से इनकार करते हैं या समय सीमा का पालन नहीं करते हैं।

●   RTI कानून ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम किया है, क्योंकि यह सरकारी कार्यों की जांच और रिपोर्टिंग को संभव बनाता है।

सूचना तक सार्वभौमिक पहुंच की चुनौतियाँ

  • कानूनी और संस्थागत बाधाएँ: कई देशों में सूचना के अधिकार कानून प्रभावी तो हैं, लेकिन उनका कार्यान्वयन कमजोर है। इससे नागरिकों को सही और समय पर जानकारी नहीं मिल पाती।
  • जागरूकता की कमी: नागरिकों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी होती है, जिससे वे सूचना के लिए आवेदन करने में हिचकिचाते हैं।
  • भ्रष्टाचार: कई सरकारी अधिकारी सूचना प्रदान करने में हिचकिचाते हैं, जिससे पारदर्शिता में कमी आती है। भ्रष्टाचार और लालफीताशाही भी सूचना तक पहुंच को बाधित करती हैं।
  • सूचना की गुणवत्ता: उपलब्ध जानकारी हमेशा सटीक और पूर्ण नहीं होती, जिससे नागरिकों को निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
  • सुरक्षा चिंताएँ: कुछ देशों में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सूचना तक पहुंच को सीमित किया जाता है, जिससे नागरिकों के अधिकारों का हनन होता है।

इन चुनौतियों को दूर करने के लिए न केवल कानूनी सुधारों की आवश्यकता है, बल्कि नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने और सरकारी पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी प्रयास भी आवश्यक हैं।

UPSC से संबंधित प्रश्न

प्रश्न: “सूचना का अधिकार लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है।” भारत में आरटीआई के समक्ष मौजूद चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कथन की विवेचना कीजिये।

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