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विश्व ध्यान दिवस 2024

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव अपनाकर 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस (World Meditation Day) के रूप में घोषित किया।

विश्व ध्यान दिवस पर मुख्य बिंदु:

  1. घोषणा:
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 दिसंबर को विश्व साधना दिवस घोषित किया।
    • यह प्रस्ताव 193 सदस्यीय महासभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ।
  2. भारत की भूमिका:
    • भारत ने प्रस्ताव का सह-प्रायोजन किया और मुख्य देशों के समूह का हिस्सा रहा।
    • इस समूह में लिकटेंस्टीन (Liechtenstein), श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा जैसे देश भी शामिल थे।
    • भारत ने वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है) की भावना के तहत मानव कल्याण को बढ़ावा देने के अपने संकल्प को दोहराते हुए प्रस्ताव के मार्गदर्शन में प्रमुख भूमिका निभाई।
  3. महत्वपूर्ण तिथियां:
    • 21 दिसंबर ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) है, जो भारतीय परंपरा में उत्तरायण की शुरुआत को दर्शाता है।
    • यह अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के ठीक छह महीने बाद पड़ता है।
  4. उद्देश्य: मन और शरीर, मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देने
    • व्यापक मानव कल्याण प्राप्त करने के लिए ध्यान को एक अभ्यास के रूप में बढ़ावा देना है।
  5. वैश्विक संदेश:
    • यह घोषणा दुनिया में शांति और समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
    • भारत की “वसुधैव कुटुंबकम” की अवधारणा को भी यह प्रस्ताव मजबूत करता है।

ध्यान (meditation ) क्या है?

ध्यान एक मानसिक अभ्यास है जिसमें व्यक्ति अपने मन को शांत करता है और एकाग्रता बढ़ाने के लिए अपनी चेतना को नियंत्रित करता है। इसे आरामदायक मुद्रा में बैठकर, आँखें बंद करके और साँसों या मौन पर ध्यान केंद्रित करके किया जाता है। लोग अक्सर तनाव और चिंता कम करने और मानसिक शांति पाने के लिए ध्यान करते हैं।

ध्यान (meditation) के लाभ:

  1. तनाव और चिंता कम करना:
    • ध्यान से शरीर में कोर्टिसोल नामक तनाव हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है।
    • यह मानसिक अशांति और अधिक सोचने की आदत को कम करता है।
  2. एकाग्रता और ध्यान बढ़ाना:
    • नियमित ध्यान से किसी काम पर बिना विचलित हुए ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है।
    • यह पढ़ाई और कामकाज की आदतों को सुधारता है।
  3. बेहतर मनोदशा और खुशहाली:
    • नियमित ध्यान सकारात्मक भावनाओं और खुशी को बढ़ाता है।
    • यह अवसाद और उदासी की भावना को कम करने में मदद करता है।
  4. आत्म-जागरूकता बढ़ाना:
    • मौन में बैठकर अपने विचारों को बिना जज किए देखना आत्म-जागरूकता बढ़ाता है।
    • यह स्वयं को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।

नियमित ध्यान के दीर्घकालिक लाभ (Long Term Benefits):

  1. रक्तचाप कम करना (lowering blood pressure): ध्यान उच्च रक्तचाप को कम कर दिल की सेहत को सुधारता है।
  2. दर्द से राहत (Pain relief): ध्यान के दौरान मस्तिष्क का दर्द अनुभव क्षेत्र कम सक्रिय होता है, जिससे प्राकृतिक दर्द प्रबंधन संभव होता है।
  3. मस्तिष्क का विकास (Brain development): ध्यान से मस्तिष्क के वे हिस्से विकसित होते हैं जो सीखने, याददाश्त, सहानुभूति और भावनात्मक नियंत्रण से जुड़े हैं।
  4. नशे की लत से छुटकारा (Get rid of drug addiction):
    • ध्यान से आत्म-नियंत्रण और अनुशासन विकसित होता है।
    • यह नकारात्मक आदतों और नशे की लत को रोकने में मदद करता है।
  5. लंबा जीवन (Long life):
    • शोध से पता चला है कि दिन में सिर्फ 30 मिनट ध्यान करने से मृत्यु दर का खतरा 6% तक कम हो सकता है।
    • नियमित अभ्यास इस लाभ का मुख्य कारक है। 

भारत में ध्यान (meditation in india):

ऐतिहासिक महत्व (historical significance):

  • प्राचीन उत्पत्ति (Ancient origins): ध्यान की परंपरा भारत के प्राचीन ग्रंथों जैसे वेद, उपनिषद और भगवद गीता में हजारों वर्षों पहले से पाई जाती है।
  • वैदिक काल (Vedic Period): प्राचीन वैदिक काल में ध्यान का उल्लेख धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा था, जिसमें मानसिक एकाग्रता और आत्मिक चिंतन को महत्व दिया गया।
  • आध्यात्मिक विरासत (Spiritual legacy): ध्यान की परंपरा भगवान बुद्ध, महावीर, आदि शंकराचार्य और अन्य महान आध्यात्मिक गुरुओं की शिक्षाओं के माध्यम से फली-फूली।
  • ध्यान की परंपराएँ (Traditions of meditation):
  • योग और ध्यान (Yoga and Meditation): योग, जिसमें शारीरिक आसन (आसन), श्वास नियंत्रण (प्राणायाम), और ध्यान शामिल हैं, भारत में उत्पन्न हुआ। पतंजलि के योग सूत्र (लगभग 200 ईसा पूर्व) में ध्यान को आत्मज्ञान के आठ अंगों में से एक बताया गया है।
  • विपश्यना और माइंडफुलनेस (Vipassana and Mindfulness): भगवान बुद्ध द्वारा प्रचारित विपश्यना एक ध्यान पद्धति है, जिसमें आत्म-जागरूकता और अंतर्दृष्टि के माध्यम से मानसिक शांति और कष्टों से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाया गया है।
  • जैन ध्यान (Jain Meditation): जैन धर्म में ध्यान का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि, कर्म बंधनों से मुक्ति और आत्म साक्षात्कार है। यह गहन आत्मचिंतन पर आधारित है।
  • सिद्ध ध्यान (ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन): महार्षि महेश योगी द्वारा 20वीं शताब्दी में प्रचलित की गई यह पद्धति एक विशेष मंत्र का मानसिक जाप कर आंतरिक शांति और आत्मज्ञान प्राप्त करने पर केंद्रित है।

संस्कृति और समाज पर प्रभाव (Impact on culture and society):

  1. धार्मिक प्रथाएँ: ध्यान भारत के विभिन्न धर्मों जैसे हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म में एक आवश्यक धार्मिक अनुष्ठान और दैनिक जीवन का हिस्सा है।
  2. आश्रम और आध्यात्मिक केंद्र: भारत में अनेक आश्रम, मठ और आध्यात्मिक केंद्र ध्यान शिविर, शिक्षाएं और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  3. सांस्कृतिक समावेश: ध्यान धार्मिक सीमाओं से परे भारत की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, जो कला, साहित्य, संगीत और पारंपरिक उपचार पद्धतियों को प्रभावित करता है।

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