Zorawar Tank
The Defence Research and Development Organisation (DRDO) has unveiled the prototype of India’s Indigenous light tank, Zorawar, which is set to undergo extensive trials.
क्यों है चर्चा में:–
- बीते शनिवार को गुजरात के हजीरा में भारत के स्वदेशी टैंक जोरावर का प्रथम प्रशिक्षण हुआ।
- इस परीक्षा के माध्यम से भारत ने जोरावर के निर्माण का एक हम पड़ाव पार कर लिया है।
- जोरावर को मुख्य रूप से भारत–चीन सीमा विवाद को ध्यान में रखते हुए LAC पर तैनात करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
- पहला स्वदेशी टैंक होने के साथ ही इसके पहले परीक्षण पर मिली सफलता भी पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है।
क्या है Zorawar Tank:–
- जोरावर टैंक का नाम हिमालयी अभियान के लिए प्रसिद्ध सैन्य कमांडर जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है।
- इस टैंक का वजन 25 टन है। इस टैंक की खासियत यह है कि इसे कहीं भी विमान द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- इस टैंक का निर्माण प्रतिष्ठित संस्थान रक्षा अनुसंधान संस्थान(DRDO) और लार्सन एंड ट्रुबो (L&T) ने संयुक्त रूप से किया है।
- जोरावर भारत का सबसे हल्का टैंक भी है। साथ ही इसके पास असाधारण गतिशीलता और मारक क्षमता का मिश्रण है।
- इसे रिकॉर्ड दो सालों में तैयार किया गया है।
क्यों है जोरावर टैंक महत्वपूर्ण:–
- भारतीय सेना को ऊंचे पहाड़ी इलाकों के लिए लाइट टैंक की जरूरत थी जो चीन के लाईट टैंक ZTQ टी-15 को टक्कर दे सके।
- 2020 में हुई भारत–चीन सीमा विवाद के बाद चीन ने लद्दाख से सटे बॉर्डर पर ZTQ टी-15 को तैनात किया था।
- जवाब में भारत को टी–72 जैसे भारी टैंक को तैनात करना पड़ा था।
- जोरावर चीनी लाइट टैंक ZTQ T15 (35 टन) से भी वजन में हल्का है।
- इसमें 3 लोगों के बैठने की क्षमता है। इसकी ताकत 1000 हॉर्स पावर और स्पीड 70km/h है।
- जोरावर में 105 मिमी या उससे अधिक कैलिबर की गन लगी है, जिससे एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल दागीं जा सकती हैं।
- इसमें मॉड्यूलर एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर और एक एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम लगा है, जो इसे हमलों से सुरक्षित रखता है।
रूस–यूक्रेन युद्ध से भारत को मिला सबक:–
- रूस और यूक्रेन संघर्ष से सबक सीखते हुए DRDO ने जोरावर टैंक में घूमने वाले हथियारों के लिए यूएसवी को इंटीग्रेट किया है।
- जोरावर में ड्रोन के साथ ही बैटल मैनेजमेंट सिस्टम भी लगाया गया है।
- रूस–यूक्रेन युद्ध में रूस के T90 टैंक को यूक्रेन ने ड्रोन से ध्वस्त कर दिया और लगातार टी मुकाबला करने में नाकामयाब रहा।
- हालांकि भारत के पास भी अब तक रूस के द्वारा निर्मित T90 और T72 टैंक है।
- रूस यूक्रेन युद्ध में इस रूसी टैंकों की असफलता के बाद भारत ने सशक्त होकर स्वदेशी लाइट टैंक के निर्माण पर बल दिया और रिकार्ड समय में भारत के पहले स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर का सफल परीक्षण भी कर लिया है।
अभी हाल में पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी में सासेर ब्रांगसा इलाके में नदी में टैंक अभ्यास के दौरान रूसी टी-72 टैंक रात में नदी पार कर रहा था। श्योक नदी में अचानक जल स्तर बढ़ने के कारण वह टैंक फंस गया और काफी वजन होने के करण निकलने में नाकाम रहा जिसमें जेसीओ समेत पांच जवान शहीद हो गए थे। हाई एल्टीट्यूड इलाकों के लिए लंबे समय से सेना में हल्के टैंकों की जरूरत महसूस की जा रही थी। जिसकी आपूर्ति अब स्वदेशी जोरावर करेगा।
जोरावर को लद्दाख में चीन से जुड़े हुए बॉर्डर पर तैनात किया जाएगा,भारतीय सेवा से मिले रिपोर्ट्स के अनुसार 2027 तक जोरावर सेना में शामिल हो जाएगा ।
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