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आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने “जल ही अमृत” कार्यक्रम की शुरुआत की है, जो अमृत 2.0 के अंतर्गत आता है। इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में उपचारित अपशिष्ट जल की गुणवत्ता में सुधार लाना और उपचारित जल के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना है।
अमृत 2.0 कार्यक्रम के उद्देश्य:
- पुनर्चक्रण योग्य उच्च गुणवत्ता वाले उपचारित जल को सुनिश्चित करना।
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उपयोगी जल (सीवेज) उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करना।
अमृत 2.0 पहल के मुख्य पहलू:
- स्वच्छ जल ऋण प्रणाली: शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, क्षमता का विकास करना, और उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले उपचारित जल प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- स्टार रेटिंग प्रणाली: एसटीपी को स्टार रेटिंग (3 स्टार से 5 स्टार के बीच) प्रमाणपत्र के आधार पर स्वच्छ जल क्रेडिट प्रदान किया जाएगा, जो छह महीने के लिए वैध होगा।
- प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन: स्टार रेटिंग/स्वच्छ जल क्रेडिट के आधार पर एसटीपी को प्रदान किया जाएगा।
- जल चक्रीयता को प्रोत्साहित करना: जल के पुनर्चक्रण और उसकी गुणवत्ता में सुधार को बढ़ावा देना।
अमृत 2.0 कार्यक्रम:
- मंत्रालय: आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA)
- कार्यकाल: 2021 में 5 वर्षों के लिए लॉन्च किया गया।
- उद्देश्य: सभी सांविधिक शहरों में सभी घरों को कार्यात्मक नलों के माध्यम से जल आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करना।
- पहला चरण: अमृत योजना के पहले चरण में 500 शहरों में सेप्टेज प्रबंधन को भी शामिल किया गया।
पृष्ठभूमि:
- अमृत 1.0 का शुभारंभ: 2015 में चयनित शहरों और कस्बों में बुनियादी नागरिक सुविधाओं जैसे जल आपूर्ति, सेप्टेज प्रबंधन, और तूफान जल निकासी प्रदान करने के लिए अमृत 1.0 की शुरुआत की गई थी।
निष्कर्ष: “जल ही अमृत” कार्यक्रम शहरी जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य उपचारित जल की गुणवत्ता में सुधार और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना है। इससे शहरों में जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग और स्वच्छता में सुधार होगा।
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