संदर्भ:
आधार कार्ड का वोटर ID से लिंक: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने मतदाता सूची में ‘फर्जी’ मतदाताओं की पंजीकरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए मतदाता पहचान पत्र (वोटर ID) को आधार से जोड़ने की योजना की घोषणा की है।
मतदाता पहचान के लिए आधार कार्ड का वोटर ID से लिंक की प्रक्रिया:
- फॉर्म 6B का परिचय: चुनाव आयोग (ECI) द्वारा मतदाताओं के आधार विवरण एकत्र करने के लिए फॉर्म 6B पेश किया गया।
- कानूनी आधार: यह प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5), और 23(6) के तहत आती है।
- स्वैच्छिक आधार पर आधार लिंकिंग:
- आधार का प्रस्तुतिकरण अनिवार्य नहीं है।
- फॉर्म 6B में संशोधन प्रस्तावित है जिसमें आधार न देने के कारण बताने का विकल्प भी होगा।
- संग्रहित डेटा: लगभग 66 करोड़ मतदाताओं ने स्वेच्छा से आधार प्रस्तुत किया है।
- डेटाबेस की स्थिति:
- वर्तमान में, इन 66 करोड़ मतदाताओं के मतदाता रिकॉर्ड और आधार के दो अलग-अलग डेटाबेस हैं जिन्हें जोड़ा नहीं गया है।
- आधार का उपयोग अभी तक डुप्लिकेट एंट्रीज़ को हटाने के लिए नहीं किया गया है।
- डेटाबेस लिंकिंग पर काम: ECI और UIDAI आपस में तालमेल बनाकर इन दोनों डेटाबेस को जोड़ने की प्रक्रिया पर कार्य कर रहे हैं।
- विवाद:
- कुछ राज्यों में अलग–अलग मतदाताओं को एक जैसे EPIC नंबर दिए गए हैं, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ।
- ECI का जवाब: डुप्लिकेट EPIC नंबरों को तीन महीनों के भीतर बदला जाएगा।
कानूनी एवं नीतिगत ढांचा (Legal & Policy Framework):
- कानूनी आधार: यह पहल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Representation of the People Act, 1950) की धारा 23(4), 23(5), और 23(6) पर आधारित है।
- मतदाता अधिकार की सुरक्षा: आधार न देने के कारण किसी भी मतदाता को पंजीकरण से वंचित नहीं किया जाएगा या मतदाता सूची से हटाया नहीं जाएगा।
- फॉर्म 6B में संशोधन: आधार को जोड़ने की प्रक्रिया कीस्वैच्छिक प्रकृति (Voluntary Nature) को स्पष्ट करने के लिए फॉर्म 6B में संशोधन किया जा रहा है।
आधार को वोटर ID से लिंक करने के लाभ:
- डुप्लिकेट वोटर ID को कम करना:
- आधार को लिंक करने से किसी व्यक्ति के नाम पर गलती या हेरफेर के कारण जारी की गई एक से अधिक वोटर ID हटाने में मदद मिलती है।
- आधार प्रत्येक व्यक्ति को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और ऑनलाइन रियल–टाइम ऑथेंटिकेशन की सुविधा देता है, जिससे डुप्लिकेट वोटर ID की संभावना कम होती है।
- खासकर घरेलू प्रवासन (Domestic Migration) के मामलों में, एक ही व्यक्ति द्वाराकई बार रजिस्ट्रेशन कराने की समस्या को रोका जा सकता है।
- पारदर्शिता और ईमानदारी में सुधार: आधार की रियल-टाइम सत्यापन प्रणाली से प्रतिरूपण कम होता है और चुनाव की विश्वसनीयता में वृद्धि होती है।
- स्वच्छ मतदाता सूची: यह डुप्लिकेट या गलत मतदाता प्रविष्टियों की पहचान करने और उन्हें हटाने में मदद करता है, जिससेसटीक मतदाता सूची सुनिश्चित है।
- कुशल चुनाव प्रबंधन: यह मतदाताओं की आसानी से ट्रैकिंग की अनुमति देता है, जिससेचुनाव प्रक्रिया में त्रुटियों और धोखाधड़ी की संभावना कम होती है।
चिंताएं (Concerns):
- मतदाता सूची में छेड़छाड़ की संभावना: विरोधी दलों द्वारा मतदाता सूची मेंहेरफेर (Tampering) या गड़बड़ी की संभावना बढ़ सकती है।
- गोपनीयता से जुड़ी समस्याएं: मतदाता डेटा केदुरुपयोग या बिना अनुमति निगरानी की संभावना बढ़ जाती है।
- कानूनी अस्पष्टता: यह योजना स्वैच्छिक बताई गई है, लेकिन आधार न देने का कारण बताने की आवश्यकता को लेकर इसकीवास्तविक स्वैच्छिकता (True Voluntariness) पर सवाल उठते हैं।