सामान्य अध्ययन पेपर III: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी 12वें वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) 2025 के अनुसार, आतंकवाद प्रभावित देशों की संख्या बढ़कर 66 हो गई है, जिससे पिछले एक दशक की प्रगति प्रभावित हुई है। वैश्विक स्तर पर आतंकी हमलों में वृद्धि और पश्चिमी देशों में अकेले हमलावरों द्वारा किए गए हमले चिंता बढ़ा रहे हैं।
वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (Global Terrorism Index – GTI) क्या हैं?
वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) एक वार्षिक रिपोर्ट है जो विश्व में आतंकवाद के प्रभाव और प्रवृत्तियों का विश्लेषण करती है। यह रिपोर्ट इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) द्वारा प्रकाशित की जाती है और इसे आईईपी के संस्थापक स्टीव किलेलिया ने विकसित किया था।
- GTI को ग्लोबल पीस इंडेक्स (Global Peace Index) के विशेषज्ञ पैनल के परामर्श से विकसित किया गया है।
- इस सूचकांक के माध्यम से आतंकवाद की बदलती प्रवृत्तियों का अध्ययन किया जाता है और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक नीतिगत सुझाव प्रदान किए जाते हैं।
- इस सूचकांक को तैयार करने के लिए वैश्विक आतंकवाद डेटाबेस (GTD) का उपयोग किया जाता है, जिसे मैरीलैंड विश्वविद्यालय में नेशनल कंसोर्टियम फॉर द स्टडी ऑफ टेररिज्म एंड रिस्पॉन्सेज टू टेररिज्म (START) द्वारा संकलित किया जाता है।
- यह डेटाबेस 2000 से अब तक 1,90,000 से अधिक आतंकवादी घटनाओं का दस्तावेजीकरण कर चुका है।
- GTI दुनिया के 163 देशों को कवर करता है, जो वैश्विक जनसंख्या का 99.7% प्रतिनिधित्व करते हैं।
- सूचकांक की गणना पिछले वर्ष तक की घटनाओं के आधार पर की जाती है।
- GTI आतंकवाद के प्रभाव को मापने और विभिन्न देशों को उनकी स्थिति के अनुसार रैंक करने का प्रयास करता है। यह केवल आतंकवादी घटनाओं की संख्या को नहीं गिनता, बल्कि उनके प्रभाव, हताहतों की संख्या, घायल व्यक्तियों, संपत्ति को हुए नुकसान और दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का भी आकलन करता है।
- यह सूचकांक विभिन्न कारकों को जोड़कर एक समग्र स्कोर (Composite Score) तैयार करता है, जिससे आतंकवाद के रुझानों को समझने और उनका विश्लेषण करने में मदद मिलती है।
- नीति-निर्माता, शोधकर्ता और सुरक्षा एजेंसियाँ इस डेटा का उपयोग करके आतंकवाद विरोधी नीतियों का निर्माण कर सकते हैं। साथ ही, यह सूचकांक आतंकवाद के कारणों और प्रभावों की गहरी समझ प्रदान करता है, जिससे रोकथाम और समाधान के उपाय विकसित किए जा सकते हैं।
वैश्विक आतंकवाद सूचकांक तैयार करने की प्रक्रिया
आतंकवाद को मापने के लिए वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) को विकसित किया गया है, जो विभिन्न संकेतकों के आधार पर देशों की रैंकिंग करता है। यह सूचकांक आतंकवादी घटनाओं की गंभीरता, उनके प्रभाव और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का गहन विश्लेषण करता है।
- आतंकवादी घटना की परिभाषा और मानदंड: किसी घटना को GTI में आतंकवादी घटना के रूप में दर्ज करने के लिए तीन आवश्यक शर्तों को पूरा करना होता है। इसमें आतंकवाद जैसी घटना को अंजाम देने वाले अपराधी गैर-राज्यीय (Non-state) लोग होने चाहिए, अर्थात इसमें किसी सरकार या सरकारी एजेंसी द्वारा प्रायोजित आतंकवाद (State-sponsored terrorism) शामिल नहीं किया जाता।
- संकेतक और स्कोरिंग प्रणाली: GTI स्कोरिंग प्रणाली किसी देश में आतंकवाद के प्रभाव को मापने के लिए चार प्रमुख संकेतकों पर आधारित होती है। प्रत्येक संकेतक को अलग-अलग भार दिया जाता है, जिससे आतंकवाद के प्रभाव का तुलनात्मक आकलन किया जाता है।
- विभिन्न कारकों का भार निर्धारण: GTI में सबसे अधिक भार मौतों की संख्या को दिया जाता है, क्योंकि यह आतंकवादी हमले के सबसे गंभीर परिणामों में से एक है। उदाहरण के लिए, एक मौत का भार 3 होता है, जबकि घायलों का भार 0.5 रखा जाता है।
- पांच-वर्षीय भारित औसत प्रणाली: GTI केवल वर्तमान वर्ष की घटनाओं को नहीं देखता, बल्कि पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण करता है, ताकि आतंकवाद के दीर्घकालिक प्रभाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके। हाल के वर्षों की घटनाओं को अधिक महत्व दिया जाता है, जबकि पुराने वर्षों का महत्व क्रमशः घटता जाता है।
वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) 2025: प्रमुख निष्कर्ष और विश्लेषण
- डेटा संग्रह: GTI रिपोर्ट पिछले 17 वर्षों के आतंकवादी रुझानों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इस रिपोर्ट में 163 देशों (दुनिया की 99.7% आबादी) को आतंकवाद के प्रभाव के आधार पर रैंक किया जाता है। GTI का डेटा मुख्य रूप से टेररिज्म ट्रैकर और अन्य स्रोतों से लिया जाता है। इसमें अब तक कुल 73,000 से अधिक आतंकवादी घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया गया है।
- शीर्ष 10 देश: बुर्कीना फासो (8.581), पाकिस्तान (8.374), सीरिया (8.006), माली (7.907), नाइजर (7.776), नाइजीरिया (7.658), सोमालिया (7.614), इजराइल (7.463), अफगानिस्तान (7.262), कैमरून (6.944)।
- आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव: 2025 के वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) के अनुसार, दुनिया भर में आतंकवाद का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। 2024 में आतंकवादी घटनाओं के कारण मौतों में 11% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि आतंकवादी हमले दर्ज करने वाले देशों की संख्या 58 से बढ़कर 66 हो गई। कुल 45 देशों की स्थिति खराब हुई है, जबकि केवल 34 देशों में आतंकवाद का प्रभाव कम हुआ है।
- आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) 2024 में भी दुनिया का सबसे घातक आतंकवादी संगठन बना रहा। इस संगठन ने 22 देशों में 1,805 लोगों की हत्या की, जिनमें से 71% गतिविधियाँ सीरिया और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में दर्ज की गईं। इसके अलावा, इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रांत (IS-K) एक उभरता हुआ वैश्विक खतरा बन गया है, जिसने ईरान और रूस में बड़े पैमाने पर हमले किए हैं।
- साहेल क्षेत्र: अफ्रीका का साहेल क्षेत्र वर्तमान में दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी क्षेत्र बन चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर आतंकवादी घटनाओं से होने वाली कुल मौतों का आधे से अधिक हिस्सा साहेल क्षेत्र में ही हुआ। इस क्षेत्र में सक्रिय कई आतंकवादी समूह तेजी से अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
- तहरीक-ए-तालिबान (TTP): तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) 2024 में दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला आतंकवादी संगठन बनकर उभरा। इस संगठन के कारण मौतों की संख्या 90% बढ़कर 558 हो गई। पाकिस्तान में आतंकवाद का प्रभाव गंभीर रूप से बढ़ा है, जिससे देश की सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
- युवा पीढ़ी की बढ़ती भागीदारी: रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में पश्चिमी देशों में गिरफ्तार किए गए आतंकवादी संदिग्धों में से हर पाँचवां संदिग्ध 18 वर्ष से कम उम्र का था। यूरोप में इस्लामिक स्टेट (IS) से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किए गए लोगों में सबसे अधिक संख्या किशोरों की थी। ब्रिटेन में 2024 में हुई 219 आतंकवादी गिरफ्तारियों में से 42% नाबालिग थे।
- आतंकवाद और बढ़ती अस्थिरता:
- पश्चिमी देशों में अकेले हमलावरों (Lone Wolf Attackers) द्वारा किए गए आतंकवादी हमले अब प्रमुख खतरा बन चुके हैं। 2024 में पश्चिमी देशों में आतंकवादी हमलों की संख्या 63% बढ़ी, जिसमें यूरोप सबसे अधिक प्रभावित हुआ। अकेले यूरोप में हमलों की संख्या दोगुनी होकर 67 हो गई।
- दुनिया भर में यहूदी विरोधी (Antisemitism) और इस्लामोफोबिक घृणा अपराधों में वृद्धि हुई है। अमेरिका में 2024 के दौरान यहूदी विरोधी घटनाओं में 200% की वृद्धि दर्ज की गई।
- 2024 में मध्य पूर्व में आतंकवादी घटनाओं में 7% की कमी आई। हालाँकि, इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच फिर से उभरते संघर्ष ने इस क्षेत्र को अस्थिर बना दिया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी संगठन अब तेजी से नई तकनीकों को अपना रहे हैं। IS-K ने AI-संवर्धित वीडियो, एन्क्रिप्टेड संचार और बहुभाषी ऑनलाइन पत्रिकाओं के माध्यम से अपने प्रचार अभियानों को व्यापक बना दिया है। इसके अलावा, आतंकवादी संगठनों द्वारा धन उगाही के लिए क्रिप्टोकरेंसी और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफार्मों का उपयोग बढ़ा है।
वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2025 में भारत की स्थिति
वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2025 के अनुसार, भारत को इस सूची में 14वें स्थान पर रखा गया है। हालाँकि, भारत की स्थिति कुछ अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में बेहतर है। बांग्लादेश इस सूची में 35वें और चीन 49वें स्थान पर है।
- भारत लंबे समय से आतंकवाद की समस्या का सामना कर रहा है, विशेष रूप से सीमा-पार आतंकवाद जो देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
- भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में देखने को मिलती हैं।
- जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं, जो सीमा पार से वित्तपोषण और समर्थन प्राप्त करते हैं।
- पंजाब में अलगाववादी विचारधाराएँ पुनर्जीवित हो रही हैं, जो आतंकवाद को बढ़ावा दे सकती हैं।
- पूर्वोत्तर राज्यों में, विशेष रूप से असम, नागालैंड और मणिपुर में उग्रवादी समूह सक्रिय हैं, जो अलगाववादी आंदोलन चला रहे हैं।
- नक्सल प्रभावित क्षेत्र, जैसे छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र में माओवादी आतंकवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ है।
- बाहरी देशों से आतंकवादी संगठनों को मिलने वाला समर्थन भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
- बेरोजगारी और गरीबी का लाभ उठाकर आतंकवादी संगठन युवाओं को अपने संगठनों में शामिल करते हैं। जिससे आतंकवाद को अधिक बल मिल रहा हैं।
भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति
भारत लंबे समय से आतंकवाद के विभिन्न रूपों का सामना कर रहा है। आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार ने कानूनी, खुफिया, तकनीकी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के स्तर पर व्यापक रणनीतियाँ अपनाई हैं। यह रणनीतियाँ समय-समय पर उभरते खतरों के अनुरूप विकसित की जा रही हैं, ताकि आतंकी गतिविधियों को जड़ से समाप्त किया जा सके।
- कानूनी ढाँचा: भारत ने आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए कई प्रभावी कानून बनाए हैं और पुराने कानूनों में आवश्यक संशोधन किए गए हैं।
- गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA): इस कानून को समय-समय पर संशोधित किया गया है, ताकि आतंकवादी संगठनों के साथ-साथ व्यक्तिगत आतंकियों पर भी कार्रवाई की जा सके।
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 (NIA Act): इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का गठन किया गया, जो आतंकवाद से संबंधित मामलों की जाँच और अभियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
- मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002: इस कानून के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने की दिशा में सख्त कदम उठाए गए हैं।
- क्रिप्टो करेंसी और वित्तीय निगरानी: डिजिटल युग में आतंकवादी संगठनों द्वारा क्रिप्टो करेंसी और अन्य गुप्त माध्यमों से धन एकत्र करने की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाई गई है।
- सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका: भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए विभिन्न खुफिया और सुरक्षा एजेंसियाँ सक्रिय हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) आतंकवाद के मामलों की गहन जाँच और अभियोजन में प्रमुख भूमिका निभा रही है।
- इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) देश और विदेश में आतंकवादी गतिविधियों पर निगरानी रखने का कार्य कर रही हैं।
- आतंकी हमलों को रोकने और स्थानीय स्तर पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य पुलिस बलों और अर्धसैनिक बलों को सशक्त किया गया है। राज्य स्तर पर आतंकवाद विरोधी विशेष बल (ATS) और त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT) गठित किए गए हैं।
- साइबर आतंकवाद पर नियंत्रण: आतंकवादी संगठन आधुनिक तकनीकों का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिससे निपटने के लिए भारत ने डिजिटल निगरानी और साइबर सुरक्षा को मजबूत किया है। संदिग्ध डिजिटल गतिविधियों की पहचान के लिए अत्याधुनिक एआई-आधारित निगरानी प्रणाली विकसित की गई है। आतंकवादी संगठनों द्वारा सोशल मीडिया और डार्क वेब के माध्यम से कट्टरपंथ फैलाने की गतिविधियों पर सख्त नजर रखी जा रही है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत आतंकवाद को एक वैश्विक खतरा मानता है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसके उन्मूलन के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
- भारत-अमेरिका सहयोग: दोनों देशों के बीच आतंकवाद विरोधी रणनीतियों को लेकर गहरा सहयोग है।
- भारत-इज़रायल रक्षा साझेदारी: इज़रायल के साथ तकनीकी और खुफिया साझेदारी आतंकवाद के खिलाफ भारत की क्षमता को बढ़ा रही है।
- दक्षिण एशियाई सहयोग (SAARC, BIMSTEC): भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों के साथ मिलकर आतंकवाद विरोधी अभियान चला रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक पहलें: भारत संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड का सदस्य है और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों में योगदान दे रहा है।
UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) प्रश्न (2008): ‘हैंड-इन-हैंड 2007’ संयुक्त आतंकवाद विरोधी सैन्य प्रशिक्षण भारतीय सेना के अधिकारियों और निम्नलिखित में से किस देश की सेना के अधिकारियों द्वारा आयोजित किया गया था? (a) चीन (b) जापान (c) रूस (d) संयुक्त राज्य अमेरिका उत्तर: (a) प्रश्न (2017): आतंकवाद की महाविपत्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक गंभीर चुनौती है। इस बढ़ते हुए संकट के नियंत्रण के लिये आप क्या-क्या हल सुझाते हैं? आतंकी निधियन के प्रमुख स्रोत क्या हैं? |
Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/
Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/