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रायसीना डायलॉग 2025

सामान्य अध्ययन पेपर II: भारत को शामिल और/या इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

चर्चा में क्यों? 

रायसीना डायलॉग 2025: हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में रायसीना डायलॉग 2025 के दसवें संस्करण का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम 17 मार्च से 19 मार्च चक चलेगा। इस वर्ष इस वैश्विक मंच में 125 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।

रायसीना डायलॉग 2025 के मुख्य बिंदु :

  • आयोजनकर्ता: इस कार्यक्रम का आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सहयोग से किया जा रहा है।
  • मुख्य अतिथि: न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन इस वर्ष के रायसीना डायलॉग के मुख्य अतिथि हैं।
  • व्यापक भागीदारी: इस वर्ष के आयोजन में 20 देशों के विदेश मंत्री, अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस निदेशक तुलसी गबार्ड, सैन्य कमांडर, उद्योग जगत के दिग्गज, शिक्षाविद, पत्रकार, रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और वैश्विक थिंक टैंक से जुड़े विद्वान भाग ले रहे हैं।
  • थीम (Theme): “कालचक्र – पीपुल, पीस एंड प्लानेट”।  जिसमें वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन, व्यापार और तकनीकी विकास जैसे विषयों पर गहन चर्चा होगी।
  • प्रमुख विषय: रायसीना डायलॉग 2025 में वैश्विक परिदृश्य को प्रभावित करने वाले छह प्रमुख विषयों पर विचार किया जाएगा:
    • राजनीति का बदलता परिदृश्य: दुनिया भर में शक्ति संतुलन तेजी से बदल रहा है। पश्चिमी देशों के बीच बढ़ती असहमति, एशियाई महाशक्तियों का उदय, और नए कूटनीतिक गठजोड़ वैश्विक राजनीति को नया रूप दे रहे हैं। भू-राजनीतिक बदलावों के कारण कई पारंपरिक संबंध कमजोर हो रहे हैं, जबकि कुछ अप्रत्याशित गठबंधन बन रहे हैं। इस सत्र में इन परिवर्तनों का विश्लेषण किया जाएगा और यह देखा जाएगा कि आने वाले वर्षों में विश्व राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी।
    • हरित संकट का समाधान: जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती बन चुका है। विकसित और विकासशील देशों के बीच जलवायु वित्त (Climate Finance), अक्षय ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन में कटौती को लेकर गहरे मतभेद हैं। इस सत्र में जलवायु संकट से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की संभावनाओं, हरित ऊर्जा में निवेश, और पर्यावरणीय न्याय जैसे विषयों पर चर्चा होगी। 
    • डिजिटल युग की चुनौतियाँ: तकनीक ने दुनिया को अभूतपूर्व रूप से बदल दिया है, लेकिन इसके साथ कई नई चुनौतियाँ भी उभरी हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और डेटा संप्रभुता (Data Sovereignty) जैसे मुद्दे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस का केंद्र बने हुए हैं। इस सत्र में वैश्विक डिजिटल गवर्नेंस, साइबर खतरों से निपटने की रणनीतियों और डिजिटल समावेशन (Digital Inclusion) के उपायों पर चर्चा होगी।
    • आर्थिक टकराव और व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता: वैश्विक व्यापार संरचना में भारी बदलाव आ रहा है। जहाँ एक ओर अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) जारी है, वहीं दूसरी ओर कई देश ‘डिकपलिंग’ (Decoupling) और ‘फ्रेंडशोरिंग’ (Friendshoring) जैसी नीतियाँ अपना रहे हैं। इस सत्र में इन मुद्दों पर चर्चा होगी कि कैसे देश अपनी आर्थिक नीतियों को बदलते व्यापार परिदृश्य के अनुरूप ढाल सकते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर बना सकते हैं।
    • विकासशील देशों की नई रणनीतियाँ: आज वैश्विक दक्षिण (Global South) के देश पारंपरिक विकास मॉडल से हटकर अपनी नई आर्थिक और सामाजिक नीतियाँ बना रहे हैं। डिजिटल प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर ये देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। इस सत्र में विकासशील देशों के नेतृत्व में उभरती नई विकास रणनीतियों, उनकी सफलताओं और चुनौतियों पर चर्चा होगी। 
    • शांति में निवेश: वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य अत्यधिक अस्थिर हो गया है। युद्ध, आतंकवाद, साइबर हमले और निजी सैन्य कंपनियों (Private Military Companies) की बढ़ती भूमिका ने सुरक्षा को एक जटिल मुद्दा बना दिया है। इस सत्र में पारंपरिक सैन्य रणनीतियों के साथ-साथ उभरती नई चुनौतियों जैसे स्वायत्त युद्ध प्रणालियाँ (Autonomous Warfare Systems), साइबर युद्ध (Cyber Warfare) और गैर-राज्यीय खिलाड़ियों की भूमिका पर विचार किया जाएगा।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन

  • ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) नई दिल्ली में स्थित एक स्वतंत्र थिंक टैंक है, जो नीति-निर्माण और अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • इसका मुख्य उद्देश्य भारत को सशक्त, समृद्ध और न्यायसंगत वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना है।
  • यह संगठन सरकारों, व्यापारिक समुदायों, शिक्षाविदों और नागरिक समाज के निर्णय-निर्माताओं को निष्पक्ष और गहन शोध आधारित विश्लेषण प्रदान करता है। 
  • इसके तीन प्रमुख केंद्र मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में स्थित हैं, जो विभिन्न नीतिगत विषयों पर कार्य कर रहे हैं।
  • इसका कार्यक्षेत्र विदेश नीति, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास जैसे विविध विषयों को कवर करता है।

रायसीना डायलॉग क्या हैं?

  • परिचय: रायसीना डायलॉग एक बहुपक्षीय वैश्विक सम्मेलन है, जो हर वर्ष नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है। 
  • इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी, और आज यह विश्व के सबसे प्रभावशाली भू-राजनीतिक (Geopolitics) और भू-अर्थशास्त्रीय (Geo-economics) सम्मेलनों में से एक बन चुका है। 
      • इस सम्मेलन का आयोजन हर वर्ष ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) और भारत के विदेश मंत्रालय के सहयोग से किया जाता है।
      • इस कार्यक्रम का नाम रायसीना पहाड़ी से आया है जहाँ पर राष्ट्रपति भवन स्थित है।
  • इस संवाद में अंतरराष्ट्रीय नीति-निर्माताओं और शिक्षाविदों की भागीदारी रहती है। 
  • यह संवाद एक ऐसे मंच के रूप में उभरा है, जहाँ विभिन्न देश, संगठनों और संस्थानों के प्रतिनिधि समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श करते हैं और समाधान तलाशते हैं।
  • रायसीना डायलॉग केवल एक सम्मेलन नहीं है, बल्कि यह भारत की कूटनीतिक और रणनीतिक सोच का महत्वपूर्ण पहलू भी है। 
  • इसे भारत की “आसूचना कूटनीति” (Information Diplomacy) का हिस्सा माना जाता है, जो सीधे दिखाई नहीं देता लेकिन राजनयिक संबंधों, सुरक्षा रणनीतियों और राष्ट्रीय नीतियों को प्रभावित करता है। 
  • प्रेरणा: रायसीना डायलॉग को सिंगापुर के शांगरी-ला डायलॉग की तर्ज पर विकसित किया गया है, लेकिन यह केवल रक्षा और सुरक्षा तक सीमित नहीं है। यह सम्मेलन कूटनीति, व्यापार, तकनीकी विकास, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक शासन और रणनीतिक स्थिरता जैसे विविध विषयों पर केंद्रित रहता है। 
  • भागीदारी: रायसीना डायलॉग को बहु-हितधारक (Multi-Stakeholder) और क्रॉस-सेक्टोरल (Cross-Sectoral) चर्चा के रूप में डिज़ाइन किया गया है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं:
    • राज्य के प्रमुख और मंत्रिगण: देशों के राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और अन्य उच्च-स्तरीय सरकारी अधिकारी।
    • सुरक्षा एवं सैन्य विशेषज्ञ: सेना के वरिष्ठ अधिकारी, रणनीतिक विश्लेषक और रक्षा विशेषज्ञ।
    • आर्थिक और व्यापारिक विशेषज्ञ: वैश्विक व्यापार, निवेश और आर्थिक नीतियों से जुड़े पेशेवर।
    • तकनीकी और डिजिटल नेतृत्व: डिजिटल दुनिया, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा और प्रौद्योगिकी से जुड़े विशेषज्ञ।
    • मीडिया और शिक्षाविद: पत्रकार, लेखक, थिंक टैंक के विद्वान और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर।

रायसीना डायलॉग का प्रमुख उद्देश्य

  • बहुपक्षीय संवाद: रायसीना डायलॉग का प्राथमिक उद्देश्य विश्व के सबसे जटिल और महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहुपक्षीय चर्चा को बढ़ावा देना है। यह संवाद न केवल राजनीतिक और कूटनीतिक नीतियों पर केंद्रित रहता है, बल्कि यह व्यापार, तकनीकी विकास, जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा और वैश्विक शासन जैसे व्यापक विषयों को भी शामिल करता है।
  • एशियाई एकीकरण: रायसीना डायलॉग का अन्य प्रमुख उद्देश्य एशियाई देशों के बीच एकीकरण (Asian Integration) को मजबूत करना और शेष विश्व के साथ उनके समन्वय को बढ़ाना है। यह मंच एशियाई देशों को उनकी आर्थिक, रणनीतिक और कूटनीतिक प्राथमिकताओं को परिभाषित करने का अवसर प्रदान करता है। साथ ही, यह उन्हें वैश्विक मंच पर अधिक प्रभावी भूमिका निभाने में मदद करता है।
  • समावेशिता और सहयोग: रायसीना डायलॉग नीति-निर्माण की समावेशी प्रक्रिया को सशक्त बनाता है, जहाँ विविध विचारों और दृष्टिकोणों को सुना जाता है। वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए केवल सरकारों का योगदान पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसमें व्यापारिक नेतृत्व, तकनीकी विशेषज्ञता और नागरिक समाज की सक्रिय भागीदारी भी आवश्यक होती है। रायसीना डायलॉग इन्हीं तत्वों को जोड़कर सार्थक नीतियों और रणनीतियों के निर्माण में योगदान देता है।
  • नई रणनीति: यह संवाद विभिन्न देशों और संगठनों को नए रणनीतिक अवसरों और संभावनाओं की खोज करने में सहायता करता है। यह मंच अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International Collaboration), व्यापारिक साझेदारी (Business Partnerships) और तकनीकी नवाचार (Technological Innovation) को बढ़ावा देता है।

रायसीना डायलॉग से भारत को क्या लाभ है?

  • वैश्विक छवि और नेतृत्व क्षमता: रायसीना डायलॉग भारत के लिए एक ऐसा मंच है, जहाँ वह न केवल अपनी कूटनीतिक और रणनीतिक दृष्टि को साझा करता है, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व करने की अपनी क्षमता को भी प्रदर्शित करता है। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत को एक प्रभावशाली वैश्विक खिलाड़ी (Global Player) के रूप में देखा जा रहा है। रायसीना डायलॉग भारत की सॉफ्ट पावर (Soft Power) को भी बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: इस संवाद के माध्यम से भारत को विभिन्न देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा साझेदारियों को मजबूत करने का अवसर मिलता है। अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ के अलावा, यह मंच दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ भारत के संबंधों को भी मजबूत करता है। रायसीना डायलॉग के माध्यम से भारत नए व्यापारिक और रणनीतिक सहयोगों को प्रोत्साहित करता है, जिससे वैश्विक स्तर पर उसकी स्थिति और अधिक सुदृढ़ होती है।
  • नीति-निर्माण और नवाचार: इस सम्मेलन में दुनियाभर के विशेषज्ञ, डिजिटल सुरक्षा और भू-राजनीतिक अस्थिरता जैसे जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा करते है, जिससे भारत को नई नीतियों और समाधान विकसित करने में सहायता मिलती है। यह संवाद वैश्विक नीतिगत चर्चाओं में भारत के योगदान को बढ़ाता है और उसे एक विचारशील नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करता है।
  • विदेश नीति: रायसीना डायलॉग भारत सरकार को अपने अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और विदेश नीति को स्पष्ट करने का अवसर देता है। इस मंच पर भारत विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर अपनी स्थिति को मजबूती से रख सकता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी रणनीतियों और प्राथमिकताओं से अवगत करा सकता है। 

UPSC पिछले वर्ष का प्रश्न (PYQ)

प्रश्न (2020): निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: 

   अंतर्राष्ट्रीय समझौता/संगठन         विषय

  1. अल्मा-आटा घोषणा:        लोगों के स्वास्थ्य की
  2. देखभाल हेग समझौता:     जैविक एवं रासायनिक शस्त्र 
  3. तलानोआ संवाद:            वैश्विक जलवायु परिवर्तन 
  4. अंडर2 गठबंधन:            बाल अधिकार

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1 और 2 

(b) केवल 4 

(c) केवल 1 और 3 

(d) केवल 2, 3 और 4 

उत्तर: (c)

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