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कौशल भारत कार्यक्रम (SIP)

सामान्य अध्ययन पेपर II: मानव संसाधन, कौशल विकास, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कौशल भारत कार्यक्रम (SIP) को पुनर्गठित करते हुए 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी है। इस योजना के लिए 8,800 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है, जो युवाओं के कौशल विकास को सशक्त बनाएगा।

कौशल भारत कार्यक्रम (Skill India Mission):

कौशल भारत कार्यक्रम (Skill India Mission) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 जुलाई 2015 को शुरू किया गया एक व्यापक राष्ट्रीय मिशन है। यह अभियान भारत को कुशल कार्यबल के रूप में सशक्त बनाने और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से संचालित है। इस योजना का प्रबंधन भारतीय राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा किया जाता है।

  • यह कार्यक्रम पहली बार 2015 को विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skills Day) के अवसर पर शुरू किया गया था। जिसके तहत 2022 तक 30 करोड़ से अधिक भारतीयों को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित करना था।
  • इस अभियान के तहत उद्योग की आवश्यकताओं और कौशल के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को औद्योगिक और उद्यमशीलता कौशल सिखाने का कार्य करता है।
  • भारत सरकार ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) की स्थापना की है, जो भारत के कार्यबल को पुनर्जीवित करने और उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। 
  • कौशल भारत कार्यक्रम के तहत भारत और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) ने एक नई साझेदारी की शुरुआत की है। जिससे भारतीय और ब्रिटिश युवाओं को एक-दूसरे के देशों में शैक्षणिक और व्यावसायिक अवसर मिलेंगे।
  • 16 अप्रैल 2022 को भारत ने भुवनेश्वर में पहला कौशल भारत अंतर्राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किया गया। 
  • इस केंद्र की स्थापना के दौरान केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री की उपस्थिति में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) और कौशल विकास संस्थान (SDI) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • कौशल भारत अभियान देश की विकास यात्रा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। यह न केवल युवाओं को रोजगार योग्य बना रहा है, बल्कि उन्हें उद्यमी बनने और भारत की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने में भी मदद कर रहा है।

कौशल भारत कार्यक्रम: उद्देश्य और महत्व

कार्यक्रम के उद्देश्य:

  • देश के युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करना: इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को ऐसे कौशल सिखाना है, जो बाजार की मांगों के अनुरूप हों और उन्हें रोजगार के लिए तैयार करें।
  • औद्योगिक और बाज़ार की दूरी को कम करना: उद्योग की बढ़ती मांग और व्यक्तिगत कौशल की कमी के बीच मौजूद अंतर को दूर करना इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य है। कौशल विकास के साथ-साथ युवाओं को उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान कर, उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • युवा जनसंख्या का लाभ उठाना: भारत की 65% आबादी कामकाजी उम्र में है और 54% लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं। कौशल भारत कार्यक्रम का उद्देश्य इस जनसांख्यिकीय लाभ का उपयोग कर युवाओं को कौशल प्रदान करना है, ताकि वे देश के आर्थिक विकास में योगदान कर सकें।
  • नए क्षेत्रों की पहचान और विकास: उन क्षेत्रों की पहचान करना, जहां कौशल विकास की आवश्यकता है, और वहां प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार करना इस अभियान का एक अहम हिस्सा है।
  • वैश्विक कौशल की मांग को पूरा करना: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, भारत को 2030 तक 29 मिलियन कुशल कर्मियों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। कौशल भारत कार्यक्रम इस कमी को दूर करने और देश को नई तकनीकों और निर्माण उद्योग में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का लक्ष्य रखता है।

कार्यक्रम का महत्व:

  • भारतीय कार्यबल को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना: इस योजना के माध्यम से भारतीय युवाओं को विश्व बाजारों में एक कुशल कार्यबल के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
  • बदलती रोजगार संरचना में योगदान: देश की 50% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, लेकिन इस क्षेत्र की उत्पादकता कम है। कार्यक्रम का लक्ष्य सेवा और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में युवाओं को रोजगार योग्य बनाना है, ताकि वे इन क्षेत्रों में अपना भविष्य सुनिश्चित कर सकें।
  • सामाजिक और आर्थिक सुधार: कौशल विकास के माध्यम से समाज के कमजोर और अविकसित वर्गों को सशक्त बनाकर आम जनजीवन में सुधार लाना।
  • विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण का विस्तार: रियल एस्टेट, निर्माण, परिवहन, कपड़ा, बैंकिंग, पर्यटन और रत्न उद्योग जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यबल को कुशल बनाना।
  • प्रतिभा और आजीविका को बढ़ावा देना: युवाओं को बेहतर आजीविका प्रदान कर उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाना और देश के भीतर प्रतिभाओं का विकास करना।
  • आत्मनिर्भर भारत का निर्माण: कुशल और आत्मनिर्भर कार्यबल तैयार कर देश को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर करना।
  • उद्यमी नेटवर्क तक पहुंच: उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को उद्यमी नेटवर्क और संसाधनों तक सरल पहुंच प्रदान करना।

कौशल भारत कार्यक्रम के तहत मुख्य पहल:

कौशल भारत कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं और पहल शामिल की गई हैं, जो युवाओं को कुशल बनाने और रोजगार के अवसर प्रदान करने पर केंद्रित हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है।

  • राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (NSDM): राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन का उद्देश्य देश के कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना और युवाओं को उद्योग-विशिष्ट कौशल प्रदान करना है। यह मिशन विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों और रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाने पर जोर देता है।
  • कौशल विकास और उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति, 2015: यह नीति कौशल विकास के लिए एक संगठित ढांचा प्रदान करती है। इसका लक्ष्य युवाओं को रोजगार योग्य कौशल सिखाना और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। इस नीति के तहत, समाज के वंचित वर्गों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए खास व्यवस्था की गई है। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, और दिव्यांग लोगों को शामिल किया गया है।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना युवाओं को उद्योग से जुड़े कौशल सिखाने और उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित है। इसमें युवाओं को 3 से 6 महीने की अवधि के पाठ्यक्रमों के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण पूरा करने वाले उम्मीदवारों को रोजगार के अवसर प्रदान किया जाता है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (PMKVY 4.0) के तहत अब अल्पकालिक प्रशिक्षण (STT) और पूर्व शिक्षण की मान्यता (RPL) प्रदान की जाएगी। इसी के साथ उद्योग-विशेष पाठ्यक्रम (AI, 5G, साइबर सुरक्षा) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (PM-NAPS): इस योजना में शिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जाता है, जहां युवाओं को वास्तविक कार्य अनुभव मिलता है। इसमें युवाओं को स्टाइपेंड प्रदान किया जाता है और एमएसएमई और पिछड़े क्षेत्रों में प्रशिक्षुता के अवसरों को बढ़ावा दिया जाता है।
  • कौशल ऋण योजना: इस योजना के तहत युवाओं को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। मान्यता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना के तहत, प्रशिक्षण संस्थानों से प्रमाण पत्र, डिप्लोमा, या डिग्री मिलती है।
  • प्रधानमंत्री युवा योजना (PM-YUVA): यह योजना उद्यमिता को बढ़ावा देने और युवाओं को स्वरोजगार के अवसर देने पर केंद्रित है। यह उद्यमशीलता शिक्षा और नेटवर्किंग के लिए एक सक्षम माहौल तैयार करती है। इसके तहत, मुद्रा योजना से युवाओं को शुरुआती बिजनेस फंडिंग प्राप्त करने में सहायता मिलती है। 
  • जन शिक्षण संस्थान (JSS): यह समुदाय-केंद्रित कौशल विकास पहल है, जो विशेष रूप से महिलाओं, ग्रामीण युवाओं और वंचित समूहों के लिए डिज़ाइन की गई है। यह योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य वंचित वर्गों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसके तहत बुनियादी ढांचे की न्यूनतम जरूरतों के साथ बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इस योजना में सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों तरह की शिक्षा दी जाती है।
  • संकल्प योजना (SANKALP): संकल्प योजना विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित एक प्रमुख पहल है, जो कौशल विकास के लिए बुनियादी ढांचे और नीतियों को मजबूत करने पर केंद्रित है। यह योजना 675 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बजट के साथ लागू की जा चुकी है।
  • प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (PMKK): प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (PMKK) देश के हर ज़िले में बनाए जाने वाले मॉडल प्रशिक्षण केंद्र हैं। इन केंद्रों का मकसद युवाओं को आधुनिक तकनीक पर कौशल प्रशिक्षण देना है। इन केंद्रों की स्थापना कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने की है। 

कौशल भारत कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धियां:

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) ने 1.37 करोड़ से अधिक युवाओं को कुशल बनाया है। यह योजना विभिन्न प्रकार के कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करती है।
  • अब तक 720 से अधिक प्रधानमंत्री कौशल केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं, जो अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों और शिक्षाशास्त्र के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
  • PMKVY के तहत, युवाओं के पूर्व में सीखे गए कौशल को भी पहचान मिलती है और प्रमाणित किया जाता है, जिससे असंगठित क्षेत्र से संगठित अर्थव्यवस्था में बदलाव आता है। अब तक 50 लाख से अधिक लोगों को इस कार्यक्रम के तहत प्रमाणित किया जा चुका है।
  • स्किल इंडिया ने कौशल विकास के लिए मानकीकृत पाठ्यक्रम और मानकों को लागू किया है, जिससे सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम एक उद्देश्य के तहत चलते हैं। इसके द्वारा, विभिन्न कौशल विकास संस्थानों और उद्योगों के बीच समन्वय स्थापित किया गया है।
  • कौशल विकास और उद्योग क्षेत्र को जोड़ने के लिए प्रशिक्षु अधिनियम 1961 में व्यापक सुधार किए गए हैं। इसके तहत राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (NAPs) भी शुरू की गई है, जिसके माध्यम से सरकार प्रशिक्षुओं को वित्तीय लाभ प्रदान करती है।
  • स्किल इंडिया अब केवल घरेलू बाजार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय रूप से जुड़ रहा है। विभिन्न देशों के साथ साझेदारी करके भारत वैश्विक कौशल मानकों को अपनाने और निर्यात करने की दिशा में बढ़ रहा है। 
  • भारत में बेरोजगारी दर में सुधार हुआ है, 15 साल और उससे ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए बेरोज़गारी दर (यूआर) साल 2017-18 में 6% थी, जो साल 2023-24 में घटकर 3.2% रह गई। 
  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की तीन बड़ी और प्रमुख योजनाओं के तहत अब तक कुल 2.27 करोड़ से अधिक लाभार्थी हो चुके है।
  • CSO के अनुसार, 59.30% ग्रामीण महिलाएँ स्व-नियोजित हैं, जबकि पुरुषों का अनुपात 54.50% है। यह आंकड़ा यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार ग्रामीण महिलाओं के विकास को प्राथमिकता देते हुए भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय प्रयास कर रही है।

वर्ष 2025 में रोज़गार और कौशल से जुड़ी कुछ बातें:

  • कौशल विकास के लिए 5 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे, ताकि मौजूदा कौशल अंतराल को कम किया जा सके।
  • जनरेटिव एआई को शिक्षा में एकीकृत करने के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय डिजिटल कौशल विकास मिशन के तहत युवाओं को स्वचालन और एआई साक्षरता में प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए नई ऋण योजनाएँ शुरू की जाएंगी, जिससे 5 लाख महिलाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
  • STEM क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अधिक अवसर और AI-संचालित शिक्षण में निवेश बढ़ाया जाएगा।
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण और डिजिटल शिक्षा में निवेश बढ़ाया जाएगा ताकि युवा वैश्विक नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकें।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में रोजगार और कौशल विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई है। 
    • स्वरोजगार श्रमिकों की संख्या 52.2% से बढ़कर 58.4% हो गई है, जो देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने का संकेत है।
    • भारत में बेरोजगारी दर में गिरावट आई है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 3.2% तक पहुँच गई है, जो वित्त वर्ष 2017-18 के 6% से काफी कम है। EPFO रजिस्ट्रेशन में भी बढ़ोतरी हुई है, जो रोजगार के क्षेत्र में विस्तार को दर्शाता है।
    • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और अन्य कार्यक्रमों के तहत लाखों लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा, पीएम विश्‍वकर्मा योजना के तहत कौशल केंद्रों में 11.79 लाख कारिगरों को प्रशिक्षण दिया गया है।
    • महिला श्रम भागीदारी दर (FLFPR) में भी बढ़ोतरी हुई है, जो 23% से बढ़कर 41.7% हो गई है।
    • असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए ई-श्रम पोर्टल शुरू किया गया है, जिससे 30.51 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।

UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न PYQs 

प्रश्न (2018): प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय की फ्लैगशिप स्कीम है।
  2. यह, अन्य चीज़ों के साथ-साथ, सॉफ्ट स्किल, उद्यमवृत्ति, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता में भी प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगी।
  3. यह देश के अविनियमित कार्यबल की कार्यकुशलताओं को राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचा (नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क) के साथ जोड़ेगी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है?

  1. केवल 1 और 3
  2. केवल 2
  3. केवल 2 और 3
  4. 1, 2 और 3

प्रश्न (2021): “व्यावसायिक शिक्षा और कौशल को सार्थक बनाने के लिये ‘सीखते हुए कमाना (अर्न व्हाइल यू लर्न)’ की योजना को सशक्त करने की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिये।

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