सामान्य अध्ययन पेपर II: वैश्विक समूह, नि-वैश्वीकरण और संरक्षणवाद, जनसंख्या और संबद्ध मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
अवैध प्रवासी भारतीयों पर अमेरिका की नई कार्रवाई: अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज करते हुए वहां रह रहे अवैध भारतीय प्रवासियों को सैन्य विमानों के जरिए भारत वापस भेजा जा रहा है। यह कदम अमेरिकी आव्रजन नीति को सख्त बनाने और अवैध प्रवासन पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे भारत-अमेरिका के संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।
अवैध प्रवासी भारतीयों पर अमेरिका की नई कार्रवाई
- अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ ट्रम्प प्रशासन की कड़ी नीति के तहत, 20,407 भारतीयों को अवैध प्रवासी के रूप में चिह्नित किया गया है।
- इनमें से 17,940 को अंतिम निष्कासन आदेश मिल चुका है, और 2,467 भारतीय ICE (आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन) के हिरासत केंद्रों में हैं।
- हाल ही में, 104 भारतीयों को सैन्य विमानों के जरिए भारत वापस भेजा गया है, जिनमें से अधिकांश गुजरात और पंजाब से हैं।
- ट्रम्प प्रशासन ने इस प्रक्रिया को सख्त बनाने के लिए कई नए उपायों को लागू किया है। अब, वाणिज्यिक उड़ानों के बजाय, निर्वासन के लिए सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही, ICE, FBI और सीमा गश्ती के साथ मिलकर अवैध प्रवासियों का पता लगाने और गिरफ्तार करने के प्रयास तेज कर चुका है।
- आव्रजन संबंधी इन कड़े कदमों के तहत, जनवरी माह में गिरफ्तारी की दर तीन गुना बढ़ गई है। इसके अलावा, बाइडन प्रशासन द्वारा दी गई कानूनी सुरक्षा को हटा लिया गया है।
- अमेरिका ने ग्वांतानामो बे को 30,000 प्रवासियों को रखने के लिए पुनः तैयार किया है, जबकि कोलोराडो में बकले स्पेस फोर्स बेस का भी उपयोग किया जा रहा है।
अमेरिका की अवैध प्रवासन और निर्वासन नीति
अमेरिका की अवैध प्रवासन और निर्वासन नीति ने समय-समय पर कई बदलाव देखे हैं, जिनका उद्देश्य अवैध अप्रवासियों की संख्या को नियंत्रित करना और उन्हें कानून के तहत उचित स्थिति में लाना है।
- अवैध प्रवासन क्या है?
- अवैध प्रवासन वह प्रक्रिया है, जिसमें कोई व्यक्ति बिना वैध दस्तावेजों या अनुमति के अमेरिका में प्रवेश करता है। ऐसे अप्रवासी “अवैध अप्रवासी” के रूप में माने जाते हैं, जिन्हें अमेरिका से बाहर भेजने की नीति के तहत निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है।
- प्रमुख कानूनी प्रावधान : अमेरिका में अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए दो प्रमुख कानून लागू हैं:
- इमिग्रेशन रिफॉर्म एंड कंट्रोल एक्ट (IRCA), 1986: इस कानून के तहत अवैध प्रवासियों को काम पर रखने के खिलाफ सख्त नियम बनाए गए थे।
- इलीगल इमिग्रेशन रिफॉर्म एंड इमिग्रेंट रिस्पॉन्सिबिलिटी एक्ट (IIRIRA), 1996: इस कानून ने अवैध प्रवासियों के निर्वासन को और अधिक सख्त बना दिया।
- निर्वासन संबंधित संगठन: अवैध प्रवासियों के निर्वासन की प्रक्रिया की जिम्मेदारी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) के पास है। इग्जीक्यूटिव ऑफिस फॉर इमिग्रेशन रिव्यू द्वारा संचालित इमिग्रेशन कोर्ट्स, निर्वासन मामलों की सुनवाई करते हैं।
- कानूनी संरक्षण और स्थायी निवास
- अमनेस्टी (Amnesty): 1986 में IRCA ने अवैध प्रवासियों को अमेरिका में स्थायी निवास या नागरिकता प्राप्त करने का अवसर दिया। लगभग तीन मिलियन अवैध प्रवासियों को इस कानून के तहत शरण मिली।
- डिफर्ड एक्शन (Deferred Action): इस नीति के तहत कुछ अवैध प्रवासियों को निर्वासन से स्थगन प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए, DACA (Deferred Action for Childhood Arrivals), 2012 में लागू हुआ था, जिससे बच्चों के रूप में अमेरिका आने वाले अवैध प्रवासियों को दो साल के लिए निर्वासन से स्थगन और काम करने का अधिकार मिला।
- अमेरिका में अवैध प्रवासन को लेकर समय-समय पर सुधार के प्रयास किए गए हैं, जैसे कि फैमिली फेयरनेस प्रोग्राम (1987) और DAPA (Deferred Action for Parents of Americans) कार्यक्रम, जिनका उद्देश्य अवैध प्रवासियों के परिवारों को कानूनी स्थिति देना था। हालांकि, DAPA को अंततः न्यायिक विवादों के कारण स्थगित कर दिया गया।
- अमेरिका के न्यायिक व्यवस्था में, निर्वासन प्रक्रिया के दौरान सातवां संशोधन (Sixth Amendment) का कोई प्रावधान लागू नहीं होता है, अर्थात अवैध प्रवासियों को वकील की सहायता का अधिकार नहीं होता। हालांकि, उन्हें पाँचवे संशोधन (Fifth Amendment) के तहत कुछ अधिकार मिलते हैं।
अमेरिका ने इस तरह का कदम क्यों उठाया?
- रोजगार और अर्थव्यवस्था की सुरक्षा: अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को हटाने और वीज़ा कार्यक्रमों पर सख्ती बढ़ाने का निर्णय लिया ताकि देश में रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। अमेरिकी श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर प्राथमिकता में रहें और आर्थिक संकट के समय में विदेशियों के कारण स्थानांतरित होने वाली नौकरियों से बचा जा सके।
- “अमेरिका फर्स्ट” नीति: “अमेरिका फर्स्ट” नीति का स्वरूप डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद सामने आया, जहां उन्होंने अमेरिका की राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का संकल्प लिया। इस नीति के तहत, उन्होंने वैश्विक समझौतों से बाहर निकलने, व्यापार समझौतों की समीक्षा, और विदेशी निवेश को नियंत्रित करने जैसे कदम उठाए। इस विचारधारा के तहत, अमेरिका ने अपनी सीमाओं को कड़ा किया, ताकि देश के संसाधनों और रोजगार अवसरों को पहले अमेरिकी नागरिकों के लिए सुरक्षित किया जा सके।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: अमेरिकी सरकार ने अवैध प्रवासन पर नियंत्रण रखने का कदम इसलिए उठाया क्योंकि उन्हें संदेह था कि अवैध प्रवासी संगठित अपराध, मानव तस्करी, और आतंकवाद जैसी गतिविधियों से जुड़े हो सकते हैं। इस नीति के तहत, वे चाहते थे कि केवल वे लोग अमेरिका में आएं जो कानूनी रूप से प्रवास करने के योग्य हैं और जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं बनें।
अमेरिका में अवैध भारतीय प्रवास के प्रमुख कारण
- आर्थिक अवसरों की कमी: भारत में अत्यधिक जनसंख्या और सीमित रोजगार के अवसरों के कारण, युवा वर्ग बेहतर जीवन स्तर की तलाश में विदेशों की ओर रुख करता है। रोजगार की पर्याप्त संभावनाओं की कमी और बढ़ती बेरोजगारी की दर प्रवास का एक प्रमुख कारण बनती है।
- बेहतर जीवन और कॅरियर में उन्नति: उच्च वेतन, बेहतर कार्यस्थल, और व्यक्तिगत और कॅरियर विकास के अवसर उन भारतीयों को आकर्षित करते हैं जो विदेशों में कार्य करने की योजना बनाते हैं। अन्य देशों में काम करने से भारतीय पेशेवरों को अपने कॅरियर में नए मुकाम हासिल करने का अवसर मिलता है, जिससे उनका जीवन स्तर और सामाजिक स्थिति बेहतर हो सकती है।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की तलाश: भारत में सीमित शैक्षिक अवसर और कुछ विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण की कमी के कारण, युवा विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। विशेष रूप से अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन के अवसर उन्हें आकर्षित करते हैं, जहां विश्वस्तरीय शिक्षा और शोध की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- कोविड महामारी का प्रभाव: कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर कई देशों की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया। भारतीय नागरिकों ने अपने देश की स्वास्थ्य संकट और आर्थिक मंदी से बचने के लिए विदेशों में नए अवसरों की तलाश की।
- वीज़ा बैकलॉग और वैकल्पिक मार्ग: भारत में वीज़ा के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि और बैकलॉग के कारण कई लोग वैकल्पिक रास्तों की तलाश करते हैं। वीज़ा प्रक्रिया में देरी के कारण कई भारतीय नागरिक विभिन्न देशों में प्रवास करने के अन्य रास्ते अपनाने की कोशिश करते हैं, जैसे कि दूसरे देशों के वर्क वीज़ा या स्टडी वीज़ा के माध्यम से।
- भ्रामक ट्रैवल एजेंसियाँ और धोखाधड़ी: कुछ ट्रैवल एजेंसियां और दलाल प्रवासियों को झूठे वादों और भ्रामक सूचनाओं के माध्यम से विदेश भेजने के प्रयास करते हैं। हताश प्रवासी, जिनके पास सीमित जानकारी होती है, अक्सर इन एजेंसियों के झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई खो देते हैं और असफल प्रवासन की ओर बढ़ जाते हैं।
अमेरिकी नीति का भारतीय अप्रवासियों पर प्रभाव
- अवैध प्रवासियों के बीच भय:
- गिरफ्तारी की बढ़ती घटनाएँ: अमेरिकी प्रवासन अधिकारियों द्वारा बढ़ती गिरफ्तारियों के कारण भारतीय अप्रवासी, खासकर वे जो गैर-दस्तावेजी हैं, सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचने लगे हैं। यह डर उनके मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डाल रहा है।
- आर्थिक तनाव: कार्यस्थलों और घरों में होने वाली लगातार निगरानी और प्रवासन अधिकारियों के दबाव से, कम वेतन वाली नौकरियों में काम करने वाले भारतीय प्रवासियों के लिए जीवनयापन की स्थितियां कठिन हो गई हैं। इस वजह से, वे कठिन आर्थिक हालात का सामना कर रहे हैं।
- वैध प्रवासियों पर प्रभाव:
- एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम का असमंजस: एच-1बी वीज़ा, जो भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, अब अनिश्चितता के घेरे में है। अमेरिकी सरकार द्वारा वीज़ा नियमों में बदलाव और प्रायोजन की आवश्यकताओं को लेकर खींचतान ने भारतीय पेशेवरों को चिंता में डाल दिया है।
- भारतीय छात्रों के लिए कड़ी नीतियाँ: अमेरिका में अध्ययन करने वाले भारतीय छात्र वीज़ा नवीनीकरण की जटिल प्रक्रियाओं और कड़ी नीतियों के कारण मानसिक तनाव में हैं। इस कारण, कई छात्र अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अमेरिका में काम करने की उम्मीदों को लेकर अनिश्चितता महसूस कर रहे हैं।
भारत की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक दृष्टिकोण
- भारत की नीतिगत स्थिति:
- नागरिकता सत्यापन की प्रक्रिया: भारत ने अमेरिका से यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर भारतीय नागरिकों की पहचान सत्यापित की जाती है, तो उन्हें वापस लेने के लिए वह तैयार है। इससे भारत का यह संदेश है कि वह केवल कानूनी और सत्यापित नागरिकों को ही स्वीकार करेगा और अवैध प्रवासन से कोई समझौता नहीं करेगा।
- वीज़ा प्रक्रिया में सुधार और विस्तार: भारत ने अपने नागरिकों को अमेरिका में अध्ययन और कार्य करने के अवसर बढ़ाने के लिए वीज़ा जारी करने की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी किया है। 2024 में 1 मिलियन से अधिक वीज़ा जारी किए गए, जिनमें प्रमुख रूप से छात्र और पेशेवर वीज़ा शामिल थे।
- भारत की रणनीति:
- सतर्क और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण: भारत ने अमेरिका से आग्रह किया है कि निर्वासन की प्रक्रिया के दौरान नागरिकों के अधिकारों का सम्मान किया जाए और इसे राजनीतिक विवाद का कारण नहीं बनने दिया जाए। भारत का कूटनीतिक दृष्टिकोण यह है कि प्रवासी भारतीयों के हितों को बचाने के लिए यह जरूरी है कि दोनों देशों के बीच समझदारी बनी रहे।
- विदेश मंत्री की कूटनीति: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका से खुलकर यह मुद्दा उठाया कि अवैध प्रवासन से निपटने के लिए विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाए, ताकि भारतीय नागरिकों की अधिकारों का उल्लंघन न हो। यह भारत की कूटनीतिक समझदारी का प्रतीक हैl
UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs)
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