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भारतीय शोधकर्ताओं ने भारत के पहले अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला मिशन आदित्य – L1 का उपयोग करके सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) पर महत्वपूर्ण खोजें की हैं।
मुख्य खोजें और अवलोकन:
- कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की घटना:
- 16 जुलाई, 2024 को, सूर्य के बाहरी वातावरण (कोरोना) में एक बड़ा सीएमई देखा गया।
- यह घटना एक शक्तिशाली सौर ज्वाला (Solar Flare) के साथ हुई।
- सीएमई सूर्य की पश्चिमी दिशा में हुआ, जिसे VISIBLE Emission Line Coronagraph (VELC) यंत्र का उपयोग करके देखा गया।
- कोरोनल डिमिंग (Coronal Dimming):
- सीएमई के दौरान सूर्य के कोरोना की चमक में लगभग 50% की कमी हुई।
- यह चमक में कमी तब होती है जब सूर्य से विशाल मात्रा में प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र अंतरिक्ष में बाहर निकल जाते हैं।
- यह घटना लगभग 6 घंटे तक चली, जिससे सूर्य की गतिशील प्रक्रियाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
- तापमान और हलचल में वृद्धि:
- सीएमई के दौरान सूर्य के कोरोना का तापमान 30% तक बढ़ गया।
- प्लाज्मा की हलचल (तापीय हलचल) 24.87 किमी/सेकंड की गति से मापी गई, जो तीव्र चुंबकीय गतिविधि को दर्शाती है।
- इस हलचल से पता चलता है कि सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में अत्यधिक ऊर्जा मौजूद है, जो अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित कर सकती है।
- डॉप्लर वेग मापन (Doppler Velocity Measurement):
- निष्कासित प्लाज्मा को लाल–शिफ्टेड (Red-Shifted) पाया गया, जो लगभग 10 किमी/सेकंड की गति से सूर्य से दूर जा रहा था।
- यह दर्शाता है कि सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र सीएमई को मोड़ता है और उसकी दिशा बदलता है।
- इस जानकारी से यह समझने में मदद मिलेगी कि सीएमई पृथ्वी और अन्य ग्रहों को कैसे प्रभावित कर सकता है।
खोज का वैज्ञानिक महत्व:
- सूर्य के कोरोना की संरचना को समझना:
- सूर्य की बाहरी परत (कोरोना) का तापमान सूर्य की सतह से अधिक गर्म है, जो हमेशा से एक रहस्य रहा है।
- यह अध्ययन सूर्य की इस परत की रहस्यमयी प्रकृति को समझने में मदद करेगा।
- अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी:
- सीएमई की दिशा और प्रभाव को समझने से अंतरिक्ष मौसम की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
- यह पृथ्वी के उपग्रहों, अंतरिक्ष यात्रियों और संचार प्रणालियों को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है।
कोरोनल मास इजेक्शन क्या है ?
कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejection- CME) सूर्य की सतह पर सबसे बड़े विस्फोटों में से एक है जिसमें अंतरिक्ष में कई मिलियन मील प्रति घंटे की गति से एक अरब टन पदार्थ हो सकता है।
आदित्य – L1 मिशन:
- लॉन्च की तारीख: 2 सितंबर, 2023
- स्थापना: जनवरी 2024 में L1 बिंदु पर स्थापित।
- लॉन्च स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
- स्थान (L1): यह बिंदु पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर स्थित है, जहाँ से मिशन सूर्य की लगातार निगरानी कर सकता है।
- यात्रा समय: L1 बिंदु तक पहुँचने में लगभग 125 दिन लगे।
- अंतरिक्ष वेधशाला मिशन: यह इसरो का दूसरा खगोलीय वेधशाला मिशन है, पहला मिशन एस्ट्रोसैट (2015) था।
मिशन का उद्देश्य:
आदित्य – L1 मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य की विभिन्न परतों और उसकी गतिशील प्रक्रियाओं का अध्ययन करना है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- सौर कोरोना का अध्ययन: सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना), जो सतह से अधिक गर्म है, का विस्तार से अध्ययन।
- सौर पवन (Solar Wind): सूर्य से निकलने वाली आवेशित कणों की धारा का अध्ययन और यह कैसे पृथ्वी के वायुमंडल को प्रभावित करता है।
- सौर ज्वालाएँ (Solar Flares): सूर्य की सतह से होने वाले बड़े विस्फोटों की जांच और उनके प्रभाव को समझना।
- सौर विकिरण (Solar Radiation): सूर्य से निकलने वाली गर्मी, प्रकाश, और ऊर्जा का विश्लेषण करना।
- चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन: सूर्य के शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र और उसकी गतिविधियों को मापना।
महत्व:
- अंतरिक्ष मौसम और सौर गतिविधियों के प्रभावों को समझने में मदद।
- पृथ्वी और अन्य ग्रहों पर सौर तूफानों और विकिरण के प्रभाव की सटीक भविष्यवाणी में सहायक।