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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और पर्यावरणीय स्थिरता

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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर्यावरणीय स्थिरता के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हाल के समय में, विशेषज्ञों ने विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में AI के उपयोग के संभावित लाभों और नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला है।

AI क्या हैं?

AI यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसी तकनीक है जिसके ज़रिए मशीनों को मानव जैसी बुद्धिमानी देने की कोशिश की जाती है। ये मशीनें सीख सकती हैं, निर्णय ले सकती हैं, समस्याओं का समाधान कर सकती हैं और यहां तक कि रचनात्मक काम भी कर सकती हैं।

AI का पर्यावरणीय चुनौतियों में उपयोग:

  1. पूर्वानुमान: AI डेटा में पैटर्न का विश्लेषण कर विसंगतियों का पता लगा सकता है और भविष्य के पर्यावरणीय परिणामों का सटीक पूर्वानुमान कर सकता है।
  2. निगरानी: AI का उपयोग वायु प्रदूषण, वनों की कटाई, समुद्री प्लास्टिक, और हिमखंडों में हो रहे परिवर्तनों की निगरानी के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, AI को हिमखंडों में बदलाव मापने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जो मानव की तुलना में 10,000 गुना तेजी से कर सकता है।
  3. डीकार्बोनाइजेशन: AI कंपनियों को उनके कार्बन उत्सर्जन को ट्रैक करने, ट्रेस करने, और इसे 20-30% तक कम करने में मदद कर सकता है। यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

पर्यावरण पर AI के नकारात्मक प्रभाव:

  1. ऊर्जा की उच्च खपत: AI आधारित वर्चुअल असिस्टेंट जैसे चैटजीपीटी, Google सर्च की तुलना में 10 गुना अधिक बिजली की खपत करते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ सकता है।
  2. ई-कचरा: AI को होस्ट करने वाले डेटा केंद्र भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न करते हैं, जिसमें पारा और सीसा जैसे खतरनाक तत्व शामिल होते हैं।
  3. संसाधनों का अत्यधिक उपयोग: AI आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर बड़ी मात्रा में पानी का उपभोग करता है, और इसके लिए दुर्लभ खनिजों का उपयोग किया जाता है, जिनका खनन पर्यावरणीय दृष्टि से अस्थिर तरीकों से किया जाता है।

AI के प्रभावी और टिकाऊ उपयोग के लिए सिफारिशें:

  1. मानकीकृत प्रक्रियाएं: देशों को AI के पर्यावरणीय प्रभाव को मापने के लिए मानकीकृत प्रक्रियाएं स्थापित करनी चाहिए।
  2. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे अपने डेटा केंद्रों को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संचालित करें, जिससे उनके पर्यावरणीय पदचिह्न कम हो सकें।
  3. सरकारी नियम: सरकारें ऐसे नियम बना सकती हैं, जिनके तहत कंपनियों को AI आधारित उत्पादों और सेवाओं के प्रत्यक्ष पर्यावरणीय परिणामों का खुलासा करना अनिवार्य हो।
  4. प्रौद्योगिकी सुधार: प्रौद्योगिकी कंपनियों को अपने AI एल्गोरिदम को अधिक ऊर्जा-कुशल बनाना चाहिए, जिससे ऊर्जा की मांग कम हो और पानी का पुनर्चक्रण और घटकों का पुनः उपयोग बढ़ सके।

AI में पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने की क्षमता है, लेकिन इसके प्रभावों को नियंत्रित करने और इसे टिकाऊ बनाने के लिए प्रयास आवश्यक हैं।

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