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भारत में शराब नियंत्रण (Alcohol Control in India) | UPSC Preparation

Alcohol Control in India

Alcohol Control in India

Alcohol Control in India – 

संदर्भ:

भारत में भारी मात्रा में शराब के एकमुश्त सेवन (Heavy Episodic Drinking) की दर विश्व में सबसे अधिक पाई गई है। इससे जुड़ी स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएं गंभीर रूप से उभर कर सामने आई हैं। लाखों लोग ऐसे हैं जिन्हें चिकित्सकीय देखभाल और सामाजिक समर्थन की तत्काल आवश्यकता है।

भारत में शराब सेवन के जोखिम:

  1. स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और गैरसंचारी रोग: शराब पीने सेकैंसर, लीवर की बीमारी, हृदय रोग और मानसिक बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है।
  2. चोटें और दुर्घटनाएं: शराब निर्णय क्षमता और शरीर का संतुलन बिगाड़ देती है, जिससेसड़क दुर्घटनाएं, गिरने की घटनाएं और कार्यस्थल पर चोटें अधिक होती हैं।
  3. मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या: शराब का सेवनअवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety) को बढ़ाता है, और यह आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक है।
  4. हिंसा और अपराध: शराब से जुड़ा व्यवहारघरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, और हिंसक अपराधों से जुड़ा हुआ पाया गया है।
  5. आर्थिक और सामाजिक बोझ: वर्ष 2021 में शराब की वजह से भारत पर₹6.24 ट्रिलियन का सामाजिक खर्च पड़ा, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, उत्पादकता में कमी, और कानून व्यवस्था से संबंधित खर्च शामिल हैं।

भारत में उपभोग की स्थिति (Consumption in India):

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार:

  • 23% भारतीय पुरुष शराब का सेवन करते हैं।
  • केवल 1% भारतीय महिलाएं शराब का सेवन करती हैं।

शराब सेवन के कारण:

शराब का सेवन अनेक जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, व्यावसायिक और नीतिगत कारकों के सम्मिलन से प्रभावित होता है:

  • जैविक कारण: कुछ लोगों में आनुवंशिक रूप से नशे की प्रवृत्ति पाई जाती है, जिससे वेआसानी से शराब की लत के शिकार हो सकते हैं।
  • मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण: तनाव से राहत पाने की इच्छा, साथियों का दबाव, और फिल्मों व सोशल मीडिया में शराब की सामान्य छवि लोगों को इसके सेवन की ओर प्रेरित करती है।
  • व्यावसायिक रणनीतियाँ: शराब उद्योग नए और युवा उपभोक्ताओं को लक्षित करता है। इसके लिए विविध उत्पाद, प्रॉक्सी विज्ञापन, आकर्षक प्रचार, और सोशल मीडिया पर रणनीतिक प्रचार जैसे उपाय अपनाए जाते हैं।
  • सुलभता: शराब की दुकानें व्यापक रूप से फैली हुई हैं, आकर्षक पैकेजिंग और कम कीमत के कारण ग्रामीण निम्न आय वर्ग से लेकर शहरी मध्यम वर्ग तक इसकी पहुँच आसान है।
  • नीतिगत प्रभाव: शराब उद्योग सरकारी नीतियों को प्रभावित करता है। यह उद्योग अपने राजस्व योगदान का हवाला देकर कड़े कानूनों का विरोध करता है और विज्ञापन पर लगे प्रतिबंधों को छिपे हुए प्रचार के जरिए दरकिनार करता है।

भारत में शराब नियमन की स्थिति: भारत में शराब का नियमन राज्य सूची का विषय है, यानी हर राज्य को शराब से संबंधित नियम-कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है। इसमें निम्न बिंदु शामिल हैं:

  • आबकारी कर (Excise Duty) निर्धारण
  • उत्पादन, आपूर्ति और लाइसेंसिंग
  • शराब की बिक्री और मूल्य निर्धारण
  • उपभोग पर नियंत्रण और प्रतिबंध
  • निषेध नीति लागू करना

इस व्यवस्था के कारण राज्यों में शराब से संबंधित नीतियों में काफी भिन्नता पाई जाती है:

  • निषेध लागू करने वाले राज्य: बिहार, गुजरात, मिजोरम और नागालैंड ने पूर्ण या आंशिक शराबबंदी लागू कर रखी है।
  • शराब को प्रोत्साहित करने वाली नीतियाँ: आंध्र प्रदेश और केरल जैसे राज्य सस्ती कीमतों, राज्य द्वारा नियंत्रित बिक्री और पारंपरिक पेयों के प्रचार के माध्यम से शराब की बिक्री को बढ़ावा देते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर शराब से संबंधित प्रमुख नीतियाँ और योजनाएँ

  • राष्ट्रीय मादक द्रव्य एवं मन:प्रभावी पदार्थ नीति, 2012
  • राष्ट्रीय नशा मुक्ति अभियान (NAPDDR), 2021–22
  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति (NMHP), 2014
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP), 2017
  • राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (NSPS), 2022
  • गैर-संचारी रोगों की रोकथाम व नियंत्रण के लिए कार्ययोजना और निगरानी ढांचा (NMAP), 2017–2022

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