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अरावली सफारी पार्क परियोजना

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संदर्भ:

हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी अरावली सफारी पार्क परियोजना को दुनिया के सबसे बड़े सफारी पार्क के रूप में विकसित करने की योजना है। हालांकि, प्रस्तावित होने के बाद से ही यह परियोजना कड़ी विरोध का सामना कर रही है

अरावली सफारी पार्क परियोजना:

  • हरियाणा सरकार ने 3,858 हेक्टेयर में दुनिया के सबसे बड़े अरावली सफारी पार्क का प्रस्ताव दिया है।
  • गुरुग्राम में 2,574 हेक्टेयर और नूंह में 1,284 हेक्टेयर भूमि को शामिल किया गया है।
  • पार्क में वन्यजीव बाड़े, बॉटनिकल गार्डन, एक्वेरियम, केबल कार, होटल और पशु अस्पताल बनाए जाएंगे।
  • पहले पर्यटन विभाग इस परियोजना को संभाल रहा था, लेकिन अब इसे वन विभाग को सौंप दिया गया है।
  • एक विशेषज्ञ समिति इस परियोजना के क्रियान्वयन की निगरानी कर रही है।

अरावली सफारी पार्क परियोजना से जुड़े प्रमुख चिंताएँ:

  1. पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में पर्यटन का बढ़ना:
    • विशेषज्ञों के अनुसार, यह परियोजना अरावली पर्वतमाला के संरक्षण के बजाय पर्यटन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
    • पर्यटकों की संख्या, वाहनों की आवाजाही और निर्माण कार्य बढ़ने से यहां के एक्वीफर (जल भंडार) प्रभावित होंगे, जो गुरुग्राम और नूंह के जल संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  2. कानूनी सुरक्षा:
    • परियोजना स्थल वनश्रेणी में आता है, जो वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत संरक्षित है।
    • इस क्षेत्र में पेड़ काटना, भूमि समतल करना, निर्माण और रियल एस्टेट विकास प्रतिबंधित है।
  3. हरियाणा में वन क्षेत्र की खराब स्थिति:
    • विशेषज्ञों के अनुसार, हरियाणा का वन क्षेत्र मात्र 3.6% है, जो बहुत कम है।
    • राज्य को प्राकृतिक जंगलों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है, कि ऐसे सफारी प्रोजेक्ट की, जो जंगलों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  4. कृत्रिम पार्क का विचार:
    • विशेषज्ञों ने प्राकृतिक जंगल में कृत्रिम सफारी पार्क बनाने की आवश्यकता पर सवाल उठाया है।
    • अरावली जैसे प्राकृतिक वन्यजीव क्षेत्र में पिंजरे और संलग्न क्षेत्रों वाला सफारी पार्क तर्कसंगत नहीं है।

Aravali Safari Park Project

अरावली पर्वतमाला – भारत की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखला:

  1. परिचय:
    • उत्तरपश्चिम भारत की अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे प्राचीन फोल्ड पर्वतमालाओं में से एक है।
    • वर्तमान में यह अवशिष्ट पर्वत (Residual Mountains) के रूप में बची है, जिसकी ऊँचाई 300 से 900 मीटर तक है।
  2. विस्तार: यह पर्वतमाला गुजरात के हिम्मतनगर से शुरू होकर हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली तक लगभग 720 किमी तक फैली हुई है।
    • राजस्थान में इसे दो प्रमुख श्रेणियों में बाँटा गया है:
      • सांभरसिरोही श्रृंखला
      • सांभरखेतड़ी श्रृंखला(राजस्थान में लगभग 560 किमी विस्तार)
  3. जल विभाजक (Drainage Divide): अरावली की एक अदृश्य शाखा दिल्ली से हरिद्वार तक फैली हुई है, जोगंगा और सिंधु नदी तंत्र के जल प्रवाह को विभाजित करती है।
  4. निर्माण प्रक्रिया:
    • यह फोल्ड पर्वतमाला (Fold Mountains) है, जिसकी चट्टानें मुख्य रूप से मुड़ी हुई परतों (Folded Crust) से बनी हैं।
    • इसका निर्माण ओरोजेनिक मूवमेंट (Orogenic Movement) के कारण हुआ, जब दो अभिसारी प्लेटें (Convergent Plates) एक-दूसरे की ओर बढ़ीं।
  5. भूवैज्ञानिक महत्त्व:
    • अरावली पर्वत श्रृंखला लाखों वर्ष पुरानी है, जब भारतीय उपमहाद्वीप यूरेशियन प्लेट से टकराया था।
    • कार्बन डेटिंग के अनुसार, इस क्षेत्र में तांबे (Copper) और अन्य धातुओं का खनन 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से किया जा रहा है।

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