Download Today Current Affairs PDF
संदर्भ:
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की बेंचों की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT):
- स्थापना: सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) भारत में 2009 में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम, 2007 के तहत स्थापित किया गया।
- कार्य: न्यायाधिकरण निम्नलिखित से संबंधित विवादों और शिकायतों का निपटारा करता है:
- आर्मी एक्ट, 1950, नेवी एक्ट, 1957, और एयर फोर्स एक्ट, 1950 के तहत कमिशन, नियुक्तियाँ, भर्ती, और सेवा शर्तें।
- इन अधिनियमों के तहत कोर्ट–मार्शल के आदेशों, निर्णयों या सजा के खिलाफ अपीलें।
- यह न्यायाधिकरण इन विवादों से संबंधित या उनसे जुड़ी समस्याओं को भी संभालता है।
- न्यायाधिकरण को यह अधिकार है कि यदि कोर्ट-मार्शल के निष्कर्ष न्यायसंगत पाए जाते हैं तो अपीलों को खारिज कर सकता है।
- मुख्य, क्षेत्रीय और सर्किट बेंच: ये विभिन्न प्रकार की बेंचें सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को मामलों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने में सहायता करती हैं।
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) की संरचना:
- न्यायिक सदस्य: न्यायिक सदस्य सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायधीश होते हैं।
- प्रशासनिक सदस्य: प्रशासनिक सदस्य सेवानिवृत्त सशस्त्र बल सदस्य होते हैं जिन्होंने मेजर जनरल (या समकक्ष रैंक) के पद पर तीन साल या उससे अधिक समय तक सेवा दी हो; या
- जज एडवोकेट जनरल (JAG) होते हैं जिनके पास इस पद पर कम से कम एक साल का अनुभव होता है
शक्तियाँ/क्षेत्राधिकार:
- अपीलों का निपटान: न्यायाधिकरण कोर्ट–मार्शल द्वारा दिए गए किसी भी आदेश, निर्णय, निष्कर्ष या सजा के खिलाफ अपीलों का निपटान करने के लिए सक्षम है।
- जमानत देने की शक्ति: न्यायाधिकरण के पास सैन्य हिरासत में बंद आरोपी को जमानत देने की शक्ति है।
- कोर्ट–मार्शल के निष्कर्षों को बदलने की शक्ति: न्यायाधिकरण को कोर्ट–मार्शल के निष्कर्षों को बदलने का अधिकार है। इसके तहत यह कर सकता है:
- पूरी सजा या उसका कोई हिस्सा माफ करना, शर्तों के साथ या बिना शर्त;
- सजा को कम करना;
- सजा को कम करके कोई हल्की सजा में बदलना या कोर्ट-मार्शल द्वारा दी गई सजा को बढ़ाना।
- न्यायाधिकरण का क्षेत्राधिकार: सशस्त्र बल न्यायाधिकरण का मूल (Original) और अपील (Appellate) दोनों प्रकार का क्षेत्राधिकार है।
अन्य अदालतों की क्षेत्राधिकार:
- सुप्रीम कोर्ट का 2015 का निर्णय:
- सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में यह निर्णय लिया था कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) के फैसलों को उच्च न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- इसके साथ ही यह भी कहा गया कि यदि किसी महत्वपूर्ण सार्वजनिक कानूनी प्रश्न का संबंध है तो AFT के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है।
- 2020 में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टिकरण: जनवरी 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि AFT के फैसलों को उच्च न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है।
- दिल्ली उच्च न्यायालय का 2022 का निर्णय: मार्च 2022 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम, 2007 के तहत संविधान के अनुच्छेद 227(4) के तहत उच्च न्यायालय की प्रशासनिक निगरानी को बाहर रखा गया है।