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संदर्भ:
आर्मेनिया-अज़रबैजान शांति समझौता: आर्मेनिया और अज़रबैजान ने नागोर्नो-काराबाख को लेकर लगभग चार दशकों से चले आ रहे संघर्ष के बाद शांति संधि पर सहमति जताई है, जो क्षेत्र में एक ऐतिहासिक समाधान को दर्शाता है।
आर्मेनिया-अज़रबैजान शांति समझौता – 2025:
मुख्य बिंदु:
- समझौते की तारीख (March 2025): मार्च 2025 में दोनों देशों ने शांति समझौते (Peace Treaty) पर हस्ताक्षर किए।
- संप्रभुता की मान्यता: आर्मेनिया ने अज़रबैजान के नागोर्नो–काराबाख (Nagorno-Karabakh) पर नियंत्रण को स्वीकार कर लिया।
- राजनयिक और व्यापारिक संबंध: दोनों देशों ने राजनयिक संबंध स्थापित करने (Establish Diplomatic Relations) और व्यापार मार्गों को पुनर्स्थापित करने (Restore Trade Routes) पर सहमति जताई।
- सीमा निर्धारण प्रक्रिया: दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
नागोर्नो-काराबाख संघर्ष:
- यह एक पुराना क्षेत्रीय और जातीय विवाद है जो आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र (Nagorno-Karabakh Region) को लेकर चल रहा है।
- यह क्षेत्र दक्षिण कॉकस (South Caucasus) में स्थित एक भूमिबद्ध पर्वतीय क्षेत्र है।
विवाद की मुख्य बातें:
- अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता: यह क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय रूप से अज़रबैजान का हिस्सा माना जाता है।
- जातीय जनसंख्या: इस क्षेत्र मेंअधिकांश आबादी जातीय रूप से आर्मेनियाई (Ethnic Armenian Population) है, जो स्व-शासन (Self-rule) की मांग कर रही है।
- संघर्ष का इतिहास: इस विवाद के कारणकई युद्ध (Wars), युद्धविराम (Ceasefires) और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप (International Interventions) हो चुके हैं।
नागोर्नो–काराबाख संघर्ष:
प्रारंभिक पृष्ठभूमि: यह संघर्ष ख्रिस्टियन आर्मेनियाई (Christian Armenian) और मुस्लिम तुर्किक (Turkic) और फारसी (Persian) प्रभावों के बीच लंबे समय से चल रहे टकराव से उत्पन्न हुआ है।
मुख्य घटनाएं:
- 1920s: प्रथम विश्व युद्ध (World War I) औरबोल्शेविक क्रांति (Bolshevik Revolution) के बाद, सोवियत शासकों (Soviet Rulers) ने नागोर्नो-काराबाख स्वायत्त क्षेत्र (Nagorno-Karabakh Autonomous Region) का गठन किया, जो अज़रबैजान (Azerbaijan) के अंतर्गत था लेकिन इसमें जातीय आर्मेनियाई बहुसंख्यक (Ethnic Armenian Majority) थे।
- 1991: सोवियत संघ के विघटन (Soviet Union Collapse)के समय, काराबाख (Karabakh) ने स्वतंत्रता की घोषणा की। आर्मेनियाई और अज़रबैजानी लोगों के बीच तनाव बढ़ा और यह एक पूर्ण युद्ध (Full-scale War) में बदल गया।
- 1992-94 (प्रथम काराबाख युद्ध / First Karabakh War):
- लगभग 30,000 लोग मारे गए।
- आर्मेनियाई लोगों ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया और अज़रबैजान के आसपास की भूमि पर कब्जा कर लिया, जिससे बफर ज़ोन बन गया।
- 2017: काराबाख में एक जनमत संग्रह के माध्यम से सरकार को पूर्ण राष्ट्रपति प्रणाली में बदल दिया गया। क्षेत्र का नाम बदलकरनागोर्नो-काराबाख रिपब्लिक से रिपब्लिक ऑफ आर्टसाख (Republic of Artsakh) कर दिया गया।
- 2020 (द्वितीय काराबाख युद्ध / Second Karabakh War): अज़रबैजान ने काराबाख के आसपास के क्षेत्र को पुनः प्राप्त कर लिया। 6 सप्ताह के युद्ध (Six Weeks of Fighting) में लगभग3,000 अज़रबैजानी और 4,000 आर्मेनियाई सैनिक मारे गए।
- 2022: आर्मेनियाई और अज़रबैजानी बलों के बीच झड़पें (Clashes) हुईं। इस संघर्ष में100 आर्मेनियाई और 70 अज़रबैजानी सैनिक मारे गए।
- 2024: नागोर्नो-काराबाख को आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया गया (Officially Dissolved)।