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भारत ने हाल ही में एशिया पावर इंडेक्स में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिसमें उसने जापान को पीछे छोड़ते हुए तीसरे सबसे शक्तिशाली देश का दर्जा प्राप्त किया है। यह बदलाव भारत की बढ़ती भू-राजनीतिक हैसियत, सक्रिय विकास और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का संकेत है।
भारत के उदय के मुख्य कारक:
- आर्थिक विकास
- भारत ने महामारी के बाद तेज़ी से आर्थिक सुधार किए, जिससे उसकी आर्थिक क्षमता में 4.2 अंकों की वृद्धि हुई।
- भारत की जीडीपी और क्रय शक्ति समता (PPP) के संदर्भ में इसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पहचान मिली है।
- बड़ी और युवा आबादी के चलते भारत के आर्थिक विकास की संभावनाएं आने वाले दशकों में और भी बढ़ सकती हैं।
- भविष्य की संभावनाएं
- भारत के भविष्य के संसाधन स्कोर में 8.2 अंकों की वृद्धि देखी गई है, जो इसके युवा जनसांख्यिकीय लाभांश का परिणाम है।
- भारत की युवा आबादी इसे अन्य प्रमुख एशियाई देशों, जैसे चीन और जापान, से आगे रखती है। यह आबादी आने वाले वर्षों में श्रम बल को बढ़ावा देती रहेगी।
- कूटनीतिक प्रभाव
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावी कूटनीति की है, जिसके तहत गुटनिरपेक्ष रणनीति ने इसे वैश्विक मान्यता दिलाई है।
- 2023 में भारत कूटनीतिक संवादों में छठे स्थान पर रहा, जो बहुपक्षीय मंचों पर उसकी बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
- भारत ने क्वाड (Quad) जैसी सुरक्षा पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे इसका क्षेत्रीय सुरक्षा तंत्र में योगदान और भी बढ़ गया है।
रक्षा सहयोग और आर्थिक पहुंच
- भारत ने फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदा किया, जो इस क्षेत्र में उसकी रक्षा क्षमताओं और रक्षा निर्यात में बढ़ते कदमों का प्रतीक है।
- हालांकि भारत औपचारिक सैन्य गठबंधनों से दूर रहता है, परंतु उसने अपनी रक्षा नीति को मजबूत करने और निकटवर्ती देशों में अपनी शक्ति बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
एशिया में भारत की भूमिका
- भारत की बढ़ती आर्थिक और कूटनीतिक ताकत के साथ, उसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
- एशिया पावर इंडेक्स ने भारत की बढ़ती शक्ति को दर्शाया है, और यह उम्मीद जताई गई है कि भारत भविष्य में अपने प्रभाव को और भी बढ़ाएगा।
- भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और बहुपक्षीय कूटनीति में उसकी भागीदारी इसे वैश्विक राजनीति में एक अहम खिलाड़ी बनाती है।
लोवी इंस्टीट्यूट एशिया पावर इंडेक्स: परिचय: लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा 2018 में शुरू किया गया एशिया पावर इंडेक्स, एशिया में विभिन्न देशों की सापेक्ष शक्ति को मापने और रैंक करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह सूचकांक मौजूदा शक्ति वितरण को दर्शाता है और समय के साथ शक्ति संतुलन में होने वाले परिवर्तनों को ट्रैक करता है। रैंकिंग का आधार: यह सूचकांक 27 देशों और क्षेत्रों को उनके बाहरी वातावरण को आकार देने की क्षमता के आधार पर रैंक करता है। इसका दायरा पाकिस्तान, रूस से लेकर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका तक फैला हुआ है। 2024 के संस्करण में पहली बार तिमोर-लेस्ते को शामिल किया गया है, जो आसियान में संभावित प्रवेश के चलते इसके बढ़ते महत्व को दर्शाता है। मापदंड: यह परियोजना आठ विषयगत उपायों में 131 संकेतकों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शक्ति का मूल्यांकन करती है, जो निम्नलिखित हैं:
डेटा स्रोत: इस सूचकांक में आधे से अधिक डेटा बिंदु मूल लोवी इंस्टीट्यूट शोध से लिए गए हैं, जबकि अन्य सैकड़ों सार्वजनिक रूप से उपलब्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों से एकत्र किए गए हैं। गतिशील विशेषताएँ: लोवी इंस्टीट्यूट एशिया पावर इंडेक्स में एक इंटरैक्टिव मानचित्र, भार कैलकुलेटर, नेटवर्क विश्लेषण, और देश की तुलना जैसी सुविधाएँ शामिल हैं, जो इसे एशिया में शक्ति अध्ययन के लिए एक अपरिहार्य अनुसंधान उपकरण बनाती हैं। |
निष्कर्ष:
भारत की यह उपलब्धि न केवल उसकी बढ़ती शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि वह आने वाले वर्षों में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरेगा। एशिया पावर इंडेक्स में सुधार के साथ, भारत ने अपने क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
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