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हाल ही में एक अध्ययन के अनुसार भारत में केरोसिन-आधारित लैंप पर निर्भरता से हर वर्ष लगभग 12.5 गीगाग्राम (Gg) Black Carbon निकलता है, जो कुल आवासीय Black Carbon उत्सर्जन का लगभग 10 प्रतिशत है। यह अध्ययन मुख्य रूप से खाना पकाना, हीटिंग, और प्रकाश व्यवस्था के लिए केरोसिन के उपयोग पर केंद्रित है।
ग्रामीण परिवारों की स्थिति:
- लगभग 30 प्रतिशत ग्रामीण परिवार विद्युत कटौती के दौरान द्वितीयक प्रकाश स्रोत के रूप में केरोसिन का उपयोग करते हैं।
- पूर्वी भारत में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
- पूर्वी भारत द्वितीयक प्रकाश स्रोतों से होने वाले कुल Black Carbon उत्सर्जन में 7.5 गीगाग्राम या 60 प्रतिशत का योगदान देता है।
- बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन के कारण बार-बार बिजली कटौती के चलते लोग केरोसिन जैसे गैर-स्वच्छ प्रकाश स्रोतों का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं।
- बिहार में प्रति वर्ष 3 गीगावाट से अधिक Black Carbon उत्सर्जन होता है।
अध्ययन की पृष्ठभूमि:
- अध्ययन का संचालन: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने 2018-2020 के दौरान 6,000 घरों का सर्वेक्षण किया।
- उन्होंने भारतीय घरों में उपयोग किए जाने वाले केरोसिन लाइटिंग उपकरणों के दो प्रकारों की पहचान की:
- विक लैंप (सरल और घर का बना)
- हरिकेन लैंप (अधिक परिष्कृत)
- केरोसिन लाइटिंग उपकरणों का Black Carbon उत्सर्जन कारक फ्लैट विक लैंप के लिए 190 ग्राम प्रति किलोग्राम, विक लैंप के लिए 61.4 ग्राम प्रति किलोग्राम, और हरिकेन लैंप के लिए 17.2 ग्राम प्रति किलोग्राम है।
दिवाली उत्सर्जन:
- दिवाली के दौरान तिल के तेल के दीयों से सर्वाधिक Black Carbon उत्सर्जन वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और बिहार शामिल हैं।
- दिवाली पर तेल के लैंप दो दिनों में 3 गीगावाट अतिरिक्त Black Carbon उत्सर्जित कर सकते हैं, जो आवासीय केरोसिन लाइटिंग से प्रतिदिन होने वाले उत्सर्जन से 40 गुना अधिक है।
समाधान: मोम-आधारित लैंपों के उपयोग से उत्सर्जन में लगभग 90 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है।
Black Carbon:Black Carbon, जिसे आमतौर पर कालिख के नाम से जाना जाता है, वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण घटक है और यह पीएम 2.5 का हिस्सा है। यह सूक्ष्म कण, लकड़ी और जीवाश्म ईंधन के अधूरे दहन से उत्पन्न होते हैं, जो कि एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड, और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक भी बनते हैं। भारत में Black Carbon उत्सर्जन
पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:
स्वास्थ्य जोखिम:
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यह अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि भारत में केरोसिन-आधारित लैंप का उपयोग जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है, और इसे खत्म करने के लिए वैकल्पिक, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की आवश्यकता है।
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