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बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी (MDR-TB) के लिए BPALM पद्धति मंजूरी

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी (MDR-TB) के लिए BPALM पद्धति को मंजूरी दी है। इस पद्धति का उद्देश्य प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप, सतत विकास लक्ष्यों से पांच साल पहले 2025 तक देश को टीबी मुक्त करना है। इस उपचार पद्धति में एक नई टीबी रोधी दवा प्रीटोमैनिड का उपयोग किया गया है, जिसे बेडाक्विलाइन और लाइनजोलिड (मोक्सीफ्लोक्सासिन के साथ या बिना) के साथ मिलाया गया है।

टीबी (तपेदिक/क्षय रोग) के बारे में –

टीबी एक संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है।

  • बीसीजी (Bacillus Calmette-Guérin) का टीका टीबी के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
  • भारत टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, वर्ष 2023 में देश में 25.52 लाख टीबी के मरीज थे।

दवा प्रतिरोधी टीबी के प्रकार:

1.      मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB): इस प्रकार में बैक्टीरिया कम से कम आइसोनियाज़िड और रिफाम्पिसिन जैसी दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं।

2.      एक्सटेंसिवली-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (XDR-TB): इसमें बैक्टीरिया आइसोनियाज़िड और रिफाम्पिसिन के साथ-साथ किसी भी फ्लोरोक्विनोलोन और तीन इंजेक्टेबल सेकंड लाइन दवाओं (जैसे एमिकासिन, कैनामाइसिन, या कैप्रोमाइसिन) में से एक के प्रति प्रतिरोधी होता है।

3.      टोटली-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (TDR-TB): यह प्रकार सभी फर्स्ट और सेकंड लाइन टीबी दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होता है, जिससे इसका उपचार अत्यंत कठिन हो जाता है।

BPALM पद्धति के प्रमुख घटक

BPALM पद्धति में चार दवाओं का संयोजन शामिल है:

  1. बेडाक्विलाइन
  2. प्रीटोमैनिड
  3. लाइनजोलिड
  4. मोक्सीफ्लोक्सासिन

यह उपचार पद्धति पारंपरिक MDR-TB उपचार की तुलना में ज्यादा सुरक्षित, तेज, और प्रभावी है। जबकि पारंपरिक उपचार 20 महीने तक चलता था, BPALM पद्धति मात्र 6 महीने में दवा प्रतिरोधी टीबी को ठीक करने में सक्षम है और इसकी सफलता दर भी अधिक है। इससे भारत के 75,000 दवा प्रतिरोधी टीबी रोगी लाभान्वित होंगे और यह पद्धति कुल लागत में बचत का भी कारण बनेगी।

स्वास्थ्य अनुसंधान और सत्यापन:

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के परामर्श से इस नए उपचार का सत्यापन सुनिश्चित किया है। देश के विषय विशेषज्ञों ने साक्ष्यों की गहन समीक्षा की और एक स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन भी किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह पद्धति सुरक्षित और किफायती हो।

टीबी उन्मूलन में BPALM का महत्व:

  • इस पद्धति से टीबी के खिलाफ राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में देश की प्रगति को बल मिलेगा।
  • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के परामर्श से राष्ट्रीय टीबी प्रभाग ने BPALM पद्धति की देशव्यापी रोल आउट योजना तैयार की है, जिसमें स्वास्थ्य पेशेवरों के कठोर क्षमता निर्माण पर ध्यान दिया गया है ताकि नई पद्धति का सुरक्षित इस्तेमाल सुनिश्चित हो सके।

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP):

  • यह कार्यक्रम पहले संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) के नाम से जाना जाता था।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2018 में दिल्ली एंड टीबी समिट में पहली बार 2025 तक टीबी उन्मूलन का विजन प्रस्तुत किया था।
  • 2020 में RNTCP का नाम बदलकर राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) रखा गया ताकि 2025 तक भारत में टीबी को खत्म करने के उद्देश्य को सुदृढ़ किया जा सके।

टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना:

  • राष्ट्रीय रणनीतिक योजना का लक्ष्य 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए मिशन मोड में कार्य करना है। इसके तहत सभी टीबी रोगियों, खासतौर से निजी प्रदाताओं से देखभाल लेने वाले और उच्च जोखिम वाले मरीजों तक पहुंचने पर जोर दिया गया है।
  • यूनिवर्सल ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग (UDST) के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि हर निदान किए गए टीबी रोगी का उपचार शुरू होने से पहले दवा प्रतिरोध का परीक्षण किया जाए।

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान और निक्षय मित्र पहल:

  • 9 सितंबर, 2022 को माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की।
  • साथ ही, निक्षय मित्र पहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य टीबी रोगियों को अतिरिक्त नैदानिक सुविधा, पोषण और सहायता प्रदान करना है।
  • निक्षय 0 पोर्टल भी टीबी रोगियों को सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है, ताकि 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।
  • निक्षय पोषण योजना: इसके तहत टी.बी. के रोगियो को पोषण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

भारत में टीबी प्रयोगशाला नेटवर्क:

  • भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीबी प्रयोगशाला नेटवर्क है, जिसमें 7,767 रैपिड आणविक परीक्षण सुविधाएं और 87 कल्चरल एवं दवा संवेदनशीलता परीक्षण प्रयोगशालाएं शामिल हैं।
  • यह नेटवर्क MDR-TB का समय पर पता लगाने और तेजी से उपचार शुरू करने में मदद करता है।

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