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बजट 2025 में पूंजीगत व्यय आवंटन घटा

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संदर्भ:

केंद्रीय बजट 2025 में परिवहन, ऊर्जा और अन्य बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए ₹10.18 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय (Capex) आवंटित किया गया है। यह पिछले वर्ष के ₹11.1 लाख करोड़ के मुकाबले 8.4% कम है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर-आधारित विकास को गति देने पर केंद्रित है।

पूंजीगत व्यय क्या है?

  • पूंजीगत व्यय (Capex) वह राशि है, जिसे सरकार मशीनरी, उपकरण, भवन, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा आदि के विकास पर खर्च करती है।

पूंजीगत व्यय के अंतर्गत आने वाले खर्च:

  • स्थायी और अमूर्त संपत्तियों (Fixed & Intangible Assets) का अधिग्रहण
  • मौजूदा संपत्ति का उन्नयन (Upgrading Existing Asset)
  • मौजूदा संपत्ति की मरम्मत (Repairing Existing Asset)
  • ऋण की अदायगी (Repayment of Loan)

पूंजीगत व्यय का महत्व:

  1. विकास का निर्धारक (Determinant of Growth):
    • पूंजीगत व्यय लंबी अवधि की परिसंपत्तियों (Assets) के निर्माण को बढ़ावा देता है।
    • इससे राजस्व उत्पादन, श्रम भागीदारी और संचालन क्षमता (Operational Efficiency) में वृद्धि होती है।
  2. गुणक प्रभाव (Multiplier Effect):
    • सरकार का उत्पादक पूंजीगत व्यय पर ध्यान अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर अधिक प्रभाव डालता है।
    • यह विशेष रूप से उपभोक्ता खर्च में कमजोरी के समय आर्थिक गति बनाए रखने में सहायक होता है।
  3. उपभोग मांग को प्रोत्साहित करना (Stimulate Consumption Demand):
    • वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर उपभोक्ता खर्च का सामना कर रही है।
    • केंद्रित पूंजीगत व्यय उपभोक्ता मांग को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

trend in capital expenditure

भारत में वर्तमान पूंजीगत व्यय (Capex) की स्थिति:

  • सरकारी पूंजीगत व्यय
    • केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय FY19 में 6% GDP से बढ़कर FY25 में अनुमानित 3.4% GDP तक पहुँच गया है।
    • राज्यों का पूंजीगत व्यय भी FY25 में 6% GDP तक बढ़ने की उम्मीद है, जो महामारी-पूर्व स्तर से अधिक है।
  • सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) में वृद्धि: FY24 में GFCF बढ़कर 30.8% GDP हो गया, जो 2015-2019 के 28.9% औसत से अधिक है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)
    • सकल FDI प्रवाह अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान $48.6 बिलियन रहा, जो पिछले वर्ष के $42.1 बिलियन से अधिक है।
    • हालांकि, लाभ की अधिक पुनर्बहाली (Repatriation of Profit) के कारण शुद्ध FDI प्रवाह धीमा रहा।
    • हाल ही में FPI का बहिर्वाह (Outflow) बढ़ने से रुपये पर मूल्यह्रास (Depreciation) का दबाव देखा गया।

पूंजीगत व्यय (Capex) से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • आर्थिक चुनौतियों के बीच सतर्क खर्च
    • प्रमुख केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (CPSEs) ने H1FY25 में पूंजीगत व्यय में 10.8% की गिरावट दर्ज की।
    • यह उनके वार्षिक लक्ष्य के केवल 43.6% तक ही पहुँच पाया।
  • राज्यों द्वारा अपर्याप्त उपयोग: पिछले वित्तीय वर्ष में, राज्यों ने बजट में आवंटित ₹1.3 लाख करोड़ में से केवल ₹1.1 लाख करोड़ का उपयोग किया।
  • निजी क्षेत्र का कमजोर पूंजीगत व्यय: निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय अब तक मजबूत वृद्धि नहीं दिखा सका
    • इसके पीछे मुख्य कारण हैं:
      • वैश्विक नीतिगत अनिश्चितताएँ
      • भूराजनीतिक जोखिम
      • चीन से अधिक आपूर्ति
      • बढ़ती उधारी लागत
      • कमजोर घरेलू मांग

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