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कावेरी-दक्षिण वेल्लार लिंक परियोजना

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संदर्भ:

तमिलनाडु द्वारा जनवरी 2021 में किए गए अनुरोध के चार साल बाद भी केंद्र सरकार ने कावेरी-दक्षिण वेल्लार लिंक परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार करते हुए कर्नाटक की परियोजना को रोकने की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि केंद्र की मंजूरी के बिना कर्नाटक की अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।

कावेरी-दक्षिण वेल्लार लिंक परियोजना :

  1. अनुमोदन की स्थिति: तमिलनाडु ने जनवरी 2021 में इस परियोजना के लिए जल शक्ति मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी मांगी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक स्वीकृति नहीं दी है।
  2. परियोजना का अवलोकन: इस परियोजना का उद्देश्य मेट्टूर बांध से अधिशेष पानी को सेलम जिले के सरबंगा बेसिन के सूखे जलाशयों में मोड़ना है।
  3. कर्नाटक का विरोध:
    • कर्नाटक ने आशंका जताई है कि इस परियोजना से उसकी कावेरी जल पर अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
    • यह विवाद विशेष रूप से बिलिगुंडलु सीमा से अंतर्राज्यीय जल हस्तांतरण को लेकर है।
  4. लागत और दायरा:
    • परियोजना की अनुमानित लागत ₹565 करोड़ है।
    • कुल 483 टीएमसी फीट पानी स्थानांतरित करने की योजना है।
  5. कानूनी पहलू:
    • कर्नाटक ने इस परियोजना के खिलाफ न्यायिक हस्तक्षेप के लिए याचिका दायर की है।
    • इसमें संविधान और संघीय व्यवस्था का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से मंजूरी न देने की मांग की गई है।

अंतर्राज्यीय नदी विवादों के लिए संवैधानिक प्रावधान

  1. राज्य सूची (Entry 17):
    • इसमें जल आपूर्ति, सिंचाई, नहरें, जल निकासी और जलविद्युत उत्पादन शामिल हैं।
    • राज्य अपनी सीमाओं के भीतर जल संसाधनों का प्रबंधन कर सकते हैं।
  2. संघ सूची (Entry 56):
    • केंद्र सरकार को अंतर्राज्यीय नदियों और नदी घाटियों को विनियमित करने और उनके विकास का अधिकार देती है।
    • यदि जल विवाद अंतर्राज्यीय प्रकृति का हो, तो केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है।

अनुच्छेद 262:

  • अंतर्राज्यीय नदियों के उपयोग, वितरण और नियंत्रण से संबंधित विवादों के समाधान के लिए प्रावधान करता है।
  • संसद को ऐसे विवादों के निपटारे के लिए कानून बनाने का अधिकार है।

अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956: यह अधिनियम केंद्र सरकार को राज्यों के बीच जल विवाद उत्पन्न होने पर न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) गठित करने की अनुमति देता है।

2002 का संशोधन:

  • विवाद उत्पन्न होने पर एक वर्ष के भीतर ट्रिब्यूनल की स्थापना अनिवार्य की गई।
  • ट्रिब्यूनल को तीन वर्षों में निर्णय देना होगा।
  • आवश्यकता पड़ने पर निर्णय देने की अवधि को दो वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।

न्यायिक निगरानी:

  • सर्वोच्च न्यायालय ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए निर्णय या फॉर्मूले पर सवाल नहीं उठा सकता।
  • हालांकि, वह ट्रिब्यूनल की कार्यप्रणाली की समीक्षा कर सकता है।

कावेरी नदी के बारे में जानकारी:

  1. महत्व: कावेरी नदी को तमिल में पोंनी कहा जाता है और इसे दक्षिण भारत की दक्षिण गंगा के रूप में पूजा जाता है।
    • कृषि, पेयजल आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन के लिए यह एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है।
  2. उत्पत्ति: कावेरी नदी की उत्पत्ति कर्नाटक राज्य में स्थित ब्रहमगिरि पहाड़ियों (पश्चिमी घाट) के तलाकावेरी से होती है।
  3. प्रवाह: यह नदी दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती हुई कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से होकर गुजरती है।
    • पूर्वी घाटों से उतरकर नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
  4. उपनदियाँ:
    • बाएँ तट की सहायक नदियाँ: अर्कावती, हेमावती, शिमसा, हरंगी।
    • दाएँ तट की सहायक नदियाँ: लक्ष्मण तीर्थ, काबिनी, सुवर्णावती, नॉयल, भवानी, अमरावती।
  5. संरक्षित क्षेत्र (वाइल्डलाइफ प्रोटेक्टेड एरियाज):
    • नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान (कर्नाटक)
    • वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (केरल)
    • सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व (तमिलनाडु)

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