Apni Pathshala

चंद्रयान-3 हॉप प्रयोग

Download Today Current Affairs PDF

संदर्भ:

चंद्रयान-3 हॉप प्रयोग: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO ने विक्रम लैंडर से एक अप्रत्याशित “हॉप” प्रयोग किया। इस प्रयोग में विक्रम लैंडर 40 सेंटीमीटर ऊँचाई तक उठा और 30-40 सेंटीमीटर दूर पुनः लैंड किया। हालांकि, चंद्रमा पर हॉप करना उतना आसान नहीं था।

  • इस परीक्षण ने चंद्र सतह पर लैंडर की पुनः सक्रियता और भविष्य में पुन: प्रयोज्य तकनीकों की संभावनाओं को उजागर किया।

चंद्रयान-3 हॉप प्रयोग :

  1. विक्रम लैंडर की पुनः उड़ान– चंद्रयान-3 का लैंडर ‘विक्रम’ अगस्त 2023 में चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरा। लैंडिंग के बाद उसमें कुछ अतिरिक्त प्रणोदक (propellant) बचा हुआ था।
  2. प्रयोग की प्रक्रिया– इसरो ने बचा हुआ प्रणोदक उपयोग करने के लिए विक्रम के इंजन को फिर से प्रज्वलित किया। इससे लैंडर 40 सेमी ऊँचाई तक उठा और अपने पिछले स्थान से 30-40 सेमी दूर पुनः उतरा।
  3. अप्रत्याशित हॉप प्रयोग– इस प्रयोग के दौरान विक्रम लैंडर ने अनायास ही ‘हॉप’ परीक्षण कर लिया, जिससे यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में सक्षम साबित हुआ।
  4. महत्व
    • भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण तकनीक– इस प्रयोग ने साबित किया कि इसरो लैंडर को फिर से उठाने और नियंत्रित रूप से उतारने में सक्षम है।
    • चंद्रमा से पृथ्वी वापसी की क्षमता– यह तकनीक भविष्य में ऐसे मिशनों के लिए उपयोगी होगी, जहां चंद्रमा से पृथ्वी पर वापसी की योजना होगी।

ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने इस प्रयोग की चुनौतियों और जटिलताओं को उजागर किया:

  1. चंद्रमा पर कम गुरुत्वाकर्षण– पृथ्वी की तुलना में चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण सिर्फ 1/6 भाग है, जिससे वहाँ सटीक नियंत्रण बनाए रखना कठिन था।
  2. संतुलन बनाए रखना– हॉप के दौरान विक्रम लैंडर को स्थिर और संतुलित रखना जरूरी था, ताकि यह सही तरीके से पुनः लैंड कर सके।
  3. सटीक इंजन नियंत्रण– लैंडर को ठीक उतनी ही ऊँचाई तक उठाना और नियंत्रित रूप से उतारना आवश्यक था, जिससे कोई तकनीकी समस्या न हो।
  4. भविष्य की संभावनाएँ– इस प्रयोग ने साबित किया कि चंद्रमा से भविष्य में लैंडर को उड़ाकर वापस पृथ्वी लाने की तकनीक विकसित की जा सकती है।

चंद्रयान3 मिशन:

  • इसरो का तीसरा चंद्र मिशन, जिसे 2023 में लॉन्च किया गया।
  • लॉन्च वाहन: लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3)।
  • मिशन में प्रोपल्शन मॉड्यूल, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे।
  • विक्रम लैंडर ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की, जिससे इसरो की सुरक्षित लैंडिंग और रोवर संचालन क्षमता सिद्ध हुई
  • चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के सबसे निकट उतरने वाला मिशन बना।
  • लैंडिंग स्थल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किमी दूर स्थित है।
  • प्रज्ञान रोवर ने एक चंद्र दिवस (14 पृथ्वी दिन) तक कार्य किया, चंद्र नमूने एकत्र किए और डेटा पृथ्वी तक भेजा।
  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र मेंवर्चुअल लॉन्च कंट्रोल सेंटरने लॉन्च की वास्तविक समय निगरानी की।
  • अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने विक्रम लैंडर के लैंडिंग स्थल का नाम स्टेटियो शिव शक्ति रखा।
  • भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना और दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बना।

 

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top