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भारत में निर्माण क्षेत्र

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संदर्भ:

भारत में निर्माण क्षेत्र: हाल ही में, लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, एन. सुब्रह्मण्यन ने निर्माण क्षेत्र में बढ़ती श्रमिक कमी को लेकर चिंता व्यक्त की।

भारत में निर्माण क्षेत्र :

  • तेजी से बढ़ता उद्योग: निर्माण क्षेत्र भारत में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है, जो राष्ट्रीय GDP में लगभग 9% का योगदान देता है।
  • विकास की संभावना: यह क्षेत्र 2025 तक लगभग 1.4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
  • रोजगार के अवसर: 2030 तक इस क्षेत्र में लगभग 3 करोड़ श्रमिकों के कार्यरत होने का अनुमान है।
  • मुख्य समस्याएं: यह क्षेत्र महत्वपूर्ण श्रमिकों की कमी का सामना कर रहा है, जो श्रमिक कल्याण और रोजगार निरंतरता में संरचनात्मक बाधाओं से और भी बढ़ जाती है।

निर्माण श्रमिकों द्वारा झेली जाने वाली चुनौतियाँ:

  1. मौसमी असुरक्षा: हीट वेव्स (लू) और प्रदूषण के कारण लगने वाले प्रतिबंध रोजगार पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।
  2. अंतरराज्यीय प्रवासन चुनौतियाँ:
    • कल्याणकारी लाभ एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित नहीं किए जा सकते।
    • उदाहरण: यदि कोई श्रमिक हरियाणा में पंजीकृत है और दिल्ली में स्थानांतरित होता है, तो उसे लाभ प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
  3. वित्तीय लाभ में देरी: प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) में कानूनी प्रावधानों के बावजूद देरी होती है।
  4. अपर्याप्त डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर: डिजिटल बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण फंड के तेजी से वितरण में समस्याएँ आती हैं।
  5. ब्यूरोक्रेटिक उदासीनता (अधिकारियों की लापरवाही): राज्य निर्माण बोर्डों द्वारा एकत्र किए गए ₹70,000 करोड़ का उपयुक्त उपयोग नहीं हो पाता।
  6. प्रमाण पत्र की आवश्यकता:
    • पंजीकरण के लिए 90 दिन का कार्य प्रमाण पत्र आवश्यक होता है, लेकिन नियोक्ता इसे जारी करने में हिचकिचाते हैं।
    • कुछ राज्यों में स्व-प्रमाणन या ट्रेड यूनियन सत्यापन की अनुमति है, परंतु सत्यापन प्रक्रिया असंगत रहती ह
  7. अप्रयुक्त फंड:
    • BOCW अधिनियम के अंतर्गत राज्यों द्वारा एकत्रित किए गए 1-2% निर्माण सेस का 75% उपयोग नहीं हो पाता।
    • कारण: श्रमिक डेटाबेस का बिखराव, सत्यापन प्रोटोकॉल में असंगति, और जटिल पंजीकरण प्रक्रियाएँ।
  8. प्रलेखन समस्याएँ (Documentation Issues):
    • कल्याणकारी लाभ प्राप्त करने के लिए पहचान प्रमाण, जन्मतिथि प्रमाण और निवास प्रमाण की आवश्यकता होती है।
    • प्रवासी कार्य का स्वरूप होने के कारण कई श्रमिकों के पास स्थायी पते नहीं होते, जिससे दस्तावेज प्राप्त करना मुश्किल होता है।
  9. मोबिलिटी चुनौतियाँ (Mobility Challenges):
    • निर्माण क्षेत्र का खंडित रोजगार परिदृश्य प्रवासी श्रमिकों पर निर्भर करता है।
    • नौकरी की असुरक्षा, लगातार स्थानांतरण और कल्याणकारी लाभों की असंगत पहुँच प्रमुख समस्याएँ हैं।
    • BOCW अधिनियम, 1996 के बावजूद, कई श्रमिकों को लाभ प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

निष्कर्ष:

  • भारत का निर्माण क्षेत्र श्रमिकों की कमी को दूर नहीं कर सकता जब तक कि श्रमिकों के सामने आने वाली प्रणालीगत बाधाओं का समाधान नहीं किया जाता।
  • विखंडित रोजगार प्रणाली, दस्तावेज़ संबंधी समस्याएँ और अंतर-राज्यीय कल्याण की पोर्टेबिलिटी की कमी, श्रमिकों की स्थिरता में बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • एकीकृत कल्याण प्रणाली लागू करके, डिजिटल तकनीक का उपयोग करके, दस्तावेज़ीकरण को सरल बनाकर और कौशल विकास में निवेश करके, यह क्षेत्र एक समावेशी और कुशल कार्यबल तैयार कर सकता है।

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