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भारत में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस संकट

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भारत में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस संकट” पर एक रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के बढ़ते मामलों को उजागर किया गया है। इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और डोनर कॉर्निया की कमी जैसे प्रमुख कारणों पर चर्चा की गई है।

मुख्य बिंदु:

  1. मामले:
    • भारत में हर साल 20,000 से 25,000 नए मामले सामने आते हैं।
    • यह देश में कुल अंधेपन के लगभग 5% मामलों का कारण है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रभाव अधिक है, जहाँ नेत्र देखभाल सेवाओं की कमी है।
    • भारत में लगभग 2 मिलियन लोग कॉर्नियल अंधापन से प्रभावित हैं।
  2. मुख्य कारण और प्रभावित समूह:
    • पहले संक्रमणजनित रोग (जैसे केराटाइटिस) प्रमुख कारण थे, लेकिन अब आँखों में चोट और जटिलताएँ मुख्य कारण बन गए हैं।
    • विटामिन ए की कमी, खराब स्वच्छता और देरी से चिकित्सा देखभाल इस समस्या को बढ़ाते हैं।
    • इसका प्रभाव विशेष रूप से बच्चों और कार्यशील आयु वर्ग के लोगों पर अधिक है।
  3. स्वास्थ्य सेवाओं में अंतर:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च-गुणवत्ता वाली नेत्र देखभाल सेवाओं तक पहुँच सीमित है।
    • चिकित्सा सेवाओं और स्वास्थ्यकर्मियों के पास प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी है।
    • समय पर देखभाल न मिलने से लोगों को अपरिवर्तनीय कॉर्नियल क्षति होती है।
  4. डोनर कॉर्निया की कमी:
    • हर साल लगभग 1,00,000 कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है, लेकिन केवल 25,000-30,000 कॉर्निया ही दान किए जाते हैं।
    • यह कमी कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के इलाज में एक बड़ी बाधा है।
  5. नीति सुधार की दिशा:
    • भारतीय नीति निर्माताओं ने अंगदान के लिए ‘प्रेज़्यूम्ड कंसेंट’ मॉडल लागू करने पर विचार किया है।
    • इसका उद्देश्य डोनर कॉर्निया की उपलब्धता बढ़ाना और आवश्यक इलाज तक पहुँच में सुधार करना है।

कॉर्नियल ब्लाइंडनेस क्या है?

कॉर्नियल ब्लाइंडनेस (Corneal Blindness) तब होती है जब आँख के कॉर्निया (आँख की पारदर्शी परत) में किसी कारण से क्षति या रोग हो जाए। यह स्थिति व्यक्ति की दृष्टि को प्रभावित करती है और गंभीर मामलों में पूरी तरह अंधत्व का कारण बन सकती है।

मुख्य कारण:

  1. चोट: आँखों में चोट लगने से कॉर्निया प्रभावित हो सकता है।
  2. संक्रमण: जैसे बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण (केराटाइटिस)।
  3. पोषण की कमी: विशेष रूप से विटामिन ए की कमी।
  4. अनुचित स्वच्छता: आँखों की सफाई में लापरवाही।
  5. इलाज में देरी: समय पर उचित चिकित्सा न मिलना।

कॉर्निया में खराबी के लक्षण:

  1. आंखों में तेज दर्द: कॉर्निया में किसी समस्या के कारण आंखों में तेज और असहनीय दर्द हो सकता है।
  2. आंखों में खुजली: आंखों में लगातार खुजली महसूस होना कॉर्निया में संक्रमण या चोट का संकेत हो सकता है।
  3. आंखों का लाल होना: कॉर्निया में समस्या होने पर आंखें लाल और सूजी हुई दिखाई देती हैं।
  4. आंखों से अधिक पानी आना: कॉर्निया के प्रभावित होने पर आंखों से अत्यधिक पानी बहने लगता है।

कॉर्निया क्या है?

  • कॉर्निया आंख की एक पारदर्शी परत होती है, जो आंखों में आने वाली रोशनी को रिफ्लेक्ट कर उसे फोकस करने में मदद करती है। यह आंखों को बाहरी नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से बचाने का काम भी करता है।
  • अगर कॉर्निया में कोई खराबी हो जाए और समय पर इलाज न कराया जाए, तो यह अंधेपन का कारण बन सकता है।

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