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ब्रिटेन की सदस्यता इंडो-पैसिफिक व्यापार संगठन (CPTPP) (Comprehensive and Progressive Agreement for Trans-Pacific Partnership) में आधिकारिक रूप से प्रभावी हो गई है।
मुख्य बिंदु:
- सदस्यता प्रभावी: यूनाइटेड किंगडम आधिकारिक रूप से CPTPP (Comprehensive and Progressive Agreement for Trans-Pacific Partnership) का 12वां सदस्य बन गया।
- संधि पर हस्ताक्षर: ब्रिटेन की पूर्व सरकार ने पिछले साल इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद अधिकांश सदस्य देशों ने इसकी पुष्टि कर दी।
- आर्थिक लाभ: इस समझौते से ब्रिटेन की कमजोर अर्थव्यवस्था को सालाना $2.5 बिलियन (लगभग €2.4 बिलियन) तक का फायदा हो सकता है।
- ब्रेक्जिट के बाद व्यापार विस्तार:
- यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद ब्रिटेन नए व्यापार समझौतों की तलाश में है।
- वर्तमान में, यूके के 40% से अधिक निर्यात और 50% से अधिक आयात यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के साथ होते हैं।
ब्रिटेन के लिए CPTPP का महत्व:
- ब्रिटेन के निर्यात पर टैरिफ में कमी: CPTPP में शामिल होने से ब्रिटेन के एशिया-पैसिफिक देशों में निर्यात पर टैरिफ में कमी आएगी। यह ब्रिटेन के व्यापार को बढ़ावा देगा।
- आर्थिक लाभ:
- एक सरकारी विश्लेषण के अनुसार, इस समझौते से ब्रिटेन का निर्यात £1.7 बिलियन (करीब €1.9 बिलियन, $2.23 बिलियन) बढ़ने की उम्मीद है।
- इसके साथ ही, ब्रिटेन के आयात में £1.6 बिलियन की वृद्धि होगी और इसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन की GDP में £1.8 बिलियन का इजाफा होगा।
- CPTPP का आर्थिक प्रभाव:
- जब ब्रिटेन CPTPP में शामिल होगा, तो इस व्यापारिक समूह की कुल GDP £12 ट्रिलियन होगी और यह वैश्विक व्यापार का 15% प्रतिनिधित्व करेगा।
- इस समूह के सदस्य देश दुनिया की 13% आय उत्पन्न करते हैं।
- व्यापार संबंधों को गहरा करने की इच्छा: ब्रेक्जिट (2020) के बाद ब्रिटेन एशिया और प्रशांत देशों से अपने व्यापार संबंधों को और गहरा करने के लिए उत्सुक है।
- वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव में वृद्धि:
- CPTPP में शामिल होने को ब्रिटेन के लिए एक अवसर माना जा रहा है, जिससे वह तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं वाले अन्य व्यापारिक समूहों में शामिल हो सके।
- इससे ब्रिटेन की वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
Comprehensive and Progressive Agreement for Trans-Pacific Partnership (CPTPP) के बारे में:
CPTPP एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) है, जो 2018 में 11 देशों के बीच व्यापार बाधाओं को कम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया। यह शुरुआत में ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TPP) के रूप में जाना जाता था, लेकिन 2017 में अमेरिका के हटने के बाद इसका नाम बदल दिया गया।
सदस्य देश:
- ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर और वियतनाम और ब्रिटेन ।
मुख्य विशेषताएं:
- व्यापार बाधाओं में कमी:
- टैरिफ हटाने या कम करने का प्रावधान।
- सेवाओं और निवेश बाजारों को खोलने की प्रतिबद्धता।
- प्रतिस्पर्धा और बौद्धिक संपदा सुरक्षा:
- विदेशी कंपनियों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम।
- बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण।
- चीन के प्रभुत्व को संतुलित करना:
- चीन के क्षेत्रीय प्रभुत्व के खिलाफ एक आर्थिक संतुलन।
- चीन, ताइवान, यूक्रेन, कोस्टा रिका, उरुग्वे और इक्वाडोर ने भी सदस्यता के लिए आवेदन किया है।
महत्व:
- आर्थिक प्रभाव:
- यह समझौता 500 मिलियन उपभोक्ताओं और वैश्विक GDP के 5% का प्रतिनिधित्व करता है।
- एशिया और लैटिन अमेरिका के प्रमुख बाजारों तक प्राथमिकता वाले व्यापारिक पहुंच की सुविधा।
- उच्च-स्तरीय मुक्त व्यापार समझौता: वस्त्र, सेवाओं, निवेश, श्रमिक गतिशीलता और सरकारी खरीद में बाजार पहुंच की मजबूत प्रतिबद्धता।
- व्यापार में पारदर्शिता: व्यवसाय करने के लिए स्पष्ट, पारदर्शी और निष्पक्ष नियम।
- तकनीकी व्यापार बाधाओं, स्वच्छता उपायों, कस्टम प्रशासन और सरकारी उपक्रमों के लिए समर्पित अध्याय।
- पर्यावरण और श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा: पर्यावरण और श्रमिक अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान, जिनकी पुष्टि विवाद निपटान प्रक्रियाओं के माध्यम से की जा सकती है।