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दक्कन ज्वालामुखी

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संदर्भ:

एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि दक्कन ज्वालामुखी क्रियावली ने पृथ्वी पर जीवन, जैसे डायनासोरों के विलुप्त होने, पर गंभीर प्रभाव डाला, लेकिन उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों पर इसका प्रभाव केवल क्षेत्रीय और अल्पकालिक था।

मुख्य निष्कर्ष:

  • उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों की जलवायु दबावों के प्रति उच्च सहनशीलता:
    • दक्कन ज्वालामुखीय गतिविधियों का उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों पर उतना प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा, जिससे यह सिद्ध होता है कि इन वनस्पतियों में जलवायु दबावों के प्रति उच्च सहनशीलता थी।
  • ज्वालामुखीय गतिविधि का K-Pg जनसंहार पर प्रभाव:
    • ज्वालामुखी गतिविधियों से जहरीली ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई और यह Cretaceous-Paleogene (K-Pg) जनसंहार का कारण बना।
    • K-Pg जनसंहार ‘फैनेरोजोइक’ युग के ‘बिग फाइव’ जनसंहारों में से सबसे हालिया था, जिसने विशेष रूप से डायनासोरों सहित कई प्रजातियों का विलोपन कर दिया।
  • समय और परिणाम:
    • K-Pg घटना क्रेटेशियस युग के अंत में हुई, जो तृतीयक युग की शुरुआत का संकेत थी।
    • इस जनसंहार ने पृथ्वी पर भूमि जीवों, विशेष रूप से डायनासोरों, पर विनाशकारी प्रभाव डाला।

दक्कन ज्वालामुखी  (Deccan Volcanism):

Deccan Volcanism भारतीय प्लेट पर हुआ था और इसमें कई लाख सालों तक व्यापक ज्वालामुखीय गतिविधियां हुईं। यह घटना क्रेटेशियस-पैलेोजिन (K-Pg) सीमा के समय के साथ मेल खाती है।

  • ज्वालामुखीय विस्फोटों से भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में उत्सर्जित हुईं, जिसने वैश्विक तापमान में वृद्धि की और K-Pg जनसंहार घटना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वनस्पति और जीवों पर प्रभाव:

  • जीवों पर प्रभाव: ज्वालामुखीय विस्फोटों ने भूमि पर रहने वाले जीवों, खासकर डायनासोरों, पर विनाशकारी प्रभाव डाला।
  • वनस्पति पर प्रभाव: हालांकि वनस्पतियों पर प्रभाव कम था, फिर भी अध्ययन दर्शाते हैं कि ज्वालामुखीय गतिविधि ने बड़े पैमाने पर जीव-जंतु समुदायों को नष्ट कर दिया, जिससे एंजियोसपर्म (फूलों वाली पौधों) के लिए नए अवसर बने। इसके परिणामस्वरूप उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों का विविधीकरण हुआ और नई, उपजाऊ भूमि पर इनका विकास हुआ।

अध्यान विधि:

  • अध्यानकर्ताओं का समूह: इस अध्ययन को बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पलायोसींसेस के शोधकर्ताओं ने किया।
  • विश्लेषण प्रक्रिया: शोधकर्ताओं ने महाराष्ट्र के येओतमल क्षेत्र से चट्टान के नमूने एकत्र किए। इन नमूनों का अध्ययन पलिनोमोर्फ (पोलन और बीजाणु) के लिए किया गया। इन जैविक सामग्री को विश्लेषण के लिए विभिन्न अम्लों का उपयोग करके निकाला गया।

उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों की सहनशीलता:

  • ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव:
    • विस्फोटों के दौरान अत्यधिक विषाक्त ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ।
    • इसके बावजूद, उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों ने अद्वितीय सहनशीलता दिखाई।
  • जलवायु तनाव से पुनःप्राप्ति:
    • शोध से यह पता चला कि उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु तनावों से जल्दी पुनः प्राप्त कर सकते हैं।
    • यह उनकी अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है।
  • जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव: यह सहनशीलता यह संकेत देती है कि उष्णकटिबंधीय वर्षावन वर्तमान जलवायु परिवर्तन के दौरान कैसे प्रतिक्रिया कर सकते हैं।

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