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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट “भारत में बैंकिंग का रुझान और प्रगति 2023-24″ के अनुसार, बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ है। मार्च 2024 के अंत तक सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात 2.7% पर आ गया, जो पिछले 13 वर्षों का सबसे कम स्तर है। सितंबर 2024 के अंत तक यह और घटकर 2.5% हो गया।
प्रमुख बिंदु (FY24 रिपोर्ट):
- मजबूत बैलेंस शीट:
- वित्त वर्ष 2024 में देश के वाणिज्यिक बैंकों की समेकित बैलेंस शीट मजबूत रही।
- क्रेडिट और जमा दोनों में निरंतर वृद्धि देखी गई।
- NPA अनुपात में गिरावट:
- मार्च 2010-11: बैंकों का सकल NPA अनुपात 35% था।
- मार्च 2024: सकल NPA में सालाना 9% की कमी दर्ज की गई।
- सितंबर 2024: सकल NPA अनुपात और घटकर 5% पर आ गया।
- क्षेत्रवार प्रदर्शन:
- कृषि क्षेत्र: सकल NPA अनुपात 2% (सबसे अधिक)।
- रिटेल लोन: सकल NPA अनुपात 2% (सबसे कम)।
- शिक्षा ऋण: सितंबर 2024 के अंत तक सकल NPA अनुपात 7%।
- रिटेल लोन सेगमेंट में सबसे अधिक रहा।
- इसके बाद क्रेडिट कार्ड और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के ऋण का स्थान।
क्या हैं बैड लोन / गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA)?
- बैड लोन (Bad Loan) अर्थ:
- बैड लोन वे ऋण होते हैं जिन्हें गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) घोषित किया गया है।
- इसका मतलब है कि उधारकर्ता ऋणदाता को भुगतान करने में असमर्थ है।
- गैर–निष्पादित परिसंपत्ति (Non-performing assets):
- NPA वे ऋण या अग्रिम हैं जो समय पर चुकाए नहीं गए।
- सामान्यतः, यदि उधारकर्ता 90 दिनों या उससे अधिक समय तक भुगतान करने में विफल रहता है, तो ऋण को NPA घोषित किया जाता है।
NPA के दो मुख्य वर्गीकरण:
सकल गैर–निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA): यह उन सभी ऋणों की कुल राशि है, जो डिफॉल्ट हो चुके हैं।
शुद्ध गैर–निष्पादित परिसंपत्ति (NNPA):
- यह GNPA में से उस राशि को घटाकर निकाली जाती है, जिसे बैंक ने संभावित नुकसान के लिए आरक्षित (प्रावधान) किया है।
- प्रावधान का मतलब है बैंकों द्वारा संभावित घाटे को कवर करने के लिए अलग रखी गई राशि।
बैड लोन के कारण और प्रभाव:
बैड लोन के कारण:
- खराब ऋण प्रथाएं: उधार देते समय बैंकों द्वारा पर्याप्त क्रेडिट मूल्यांकन और उचित जांच का अभाव।
- आर्थिक मंदी: आर्थिक संकट और उद्योग-विशेष की समस्याओं के कारण उधारकर्ताओं की चुकाने की क्षमता प्रभावित होती है।
- धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार: ऋण प्रक्रिया में धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार बैड लोन को जन्म देते हैं।
- नियामक समस्याएं: कमजोर निगरानी और जोखिम मूल्यांकन की कमी बैड लोन को बढ़ावा देती है।
बुरे ऋणों का प्रभाव:
- आर्थिक मंदी: बैड लोन की अधिकता से क्रेडिट उपलब्धता घटती है, जिससे आर्थिक विकास और निवेश धीमा हो जाता है।
- बैंकों की वित्तीय सेहत: बैंकों को अधिक प्रावधान करना पड़ता है, जिससे उनकी लाभप्रदता और स्थिरता पर असर पड़ता है।
- कम उधार क्षमता: गैर-निष्पादित ऋणों में अधिक पूंजी फंसी होने से उत्पादक क्षेत्रों के लिए उधार कम हो जाता है।
- निवेशकों का भरोसा: बैड लोन का उच्च स्तर बैंकिंग क्षेत्र पर निवेशकों के विश्वास को कमजोर करता है।
- सरकारी दबाव:सरकार को बेलआउट या पुनर्पूंजीकरण के लिए हस्तक्षेप करना पड़ता है, जिससे वित्तीय दबाव बढ़ता है।