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संदर्भ:
केरल की मातृ मृत्यु दर (MMR) बढ़ रही है, जो वर्तमान में प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 19 बताई गई है, लेकिन राज्य स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि यह 29 तक पहुंच गई है।
केरल में मातृ मृत्यु दर (MMR) में वृद्धि के मुख्य बिंदु:
- मृत्यु दर में वृद्धि का कारण: यह वृद्धि मातृ मृत्यु की संख्या में वृद्धि के कारण नहीं, बल्कि कम प्रसव संख्या के कारण हुई है।
- प्रसव संख्या में कमी: जीवित जन्म की संख्या 5-5.5 लाख वार्षिक से घटकर 3.93 लाख रह गई है, जिससे MMR में वृद्धि हुई है।
- COVID-19 का प्रभाव: 2020-21 में, गर्भवती महिलाओं में COVID-19 संक्रमण से जुड़ी कई मौतें दर्ज की गईं।
मातृ मृत्यु दर (MMR):
परिभाषा: मातृ मृत्यु दर (MMR) प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर गर्भावस्था या प्रसव से संबंधित जटिलताओं के कारण होने वाली माताओं की मृत्यु संख्या को संदर्भित करता है।
वैश्विक और राष्ट्रीय लक्ष्य:
- WHO का वैश्विक लक्ष्य: सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत 2030 तक MMR को 1,00,000 जीवित जन्मों पर 70 से कम करना।
- भारत का राष्ट्रीय लक्ष्य: 2030 तक MMR को 70 से नीचे लाना।
- केरल का लक्ष्य: 2030 तक MMR को 20 तक कम करना।
वर्तमान आँकड़े:
- भारत का MMR: 97 (SRS 2018-20)।
- केरल का MMR: केवल 19, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
Total Fertility Rate (TFR)
- परिभाषा: कुल प्रजनन दर (TFR) एक महिला द्वारा अपने प्रजनन काल में औसतन जन्मे बच्चों की संख्या को दर्शाता है।
- भारत में TFR की स्थिति: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत का TFR घटकर 2.0 हो गया है, जो 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से कम है।
- सतत विकास लक्ष्य (SDGs) और मातृ मृत्यु दर (MMR) लक्ष्यों:
- SDG लक्ष्य 1: 2030 तक वैश्विक मातृ मृत्यु दर (MMR) को 1,00,000 जीवित जन्मों पर 70 से कम करना।
- भारत की प्रगति:
- भारत का MMR वर्तमान में 97 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म है, जो SDG लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
- 2000 से 2020 तक, भारत की MMR में औसत वार्षिक कमी 36% रही, जो वैश्विक औसत कमी (2.07%) से अधिक है।
प्रजनन दर में गिरावट:
- केरल में प्रजनन दर का रुझान:
- केरल की प्रजनन दर तीन दशकों से लगातार घट रही है।
- 1991 में, प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर (2.1 बच्चे प्रति महिला) से नीचे आकर 1.7-1.8 पर स्थिर हो गई।
- 2020 में, कुल प्रजनन दर (TFR) घटकर 1.5 हो गई और वर्तमान में यह 1.46 है।
- TFR के अनुसार, केरल में जोड़े आमतौर पर एक या कोई बच्चा नहीं करते।
- जन्म दर में गिरावट के कारण राज्य को महत्वपूर्ण सामाजिक परिणामों का सामना करना पड़ रहा है।
- प्रवास और सामाजिक परिवर्तनों का प्रभाव:
- प्रवास: केरल के कई युवा नौकरी या शिक्षा के लिए अन्य स्थानों पर प्रवास करते हैं, जिससे प्रजनन दर प्रभावित होती है।
- विवाह और बच्चे में देरी: विलंबित विवाह और बच्चे पैदा करने की देरी भी जन्म दर में कमी का एक प्रमुख कारण है।
भविष्य की चुनौतियाँ:
- अगले दशक में केरल में बुजुर्गों की जनसंख्या बच्चों की संख्या से अधिक हो जाएगी।
- इससे देखभाल और कल्याण के लिए गंभीर चिंताएँ उत्पन्न होंगी।