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डीप सी माइनिंग के दुष्प्रभाव

संदर्भ:

डीप सी माइनिंग के दुष्प्रभाव एक नए अध्ययन से पता चला है कि प्रशांत महासागर के समुद्री तल का एक हिस्सा, जिसे 40 साल पहले धातुओं के लिए खनन किया गया था, अब तक पूरी तरह से पुनः स्थापित नहीं हो पाया है। शोध में तलछट में दीर्घकालिक बदलाव और बड़े समुद्री जीवों की आबादी में गिरावट का उल्लेख किया गया है, जो गहरे समुद्र में खनन के स्थायी पर्यावरणीय प्रभाव को दर्शाता है।

  • अध्ययन लॉन्गटर्म इम्पैक्ट एंड बायोलॉजिकल रिकवरी इन डीपसी माइनिंग ट्रैक को 26 मार्च को नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया। यह शोध ब्रिटेन के नेशनल ओशनोग्राफी सेंटर के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा किया गया था।

डीप सी माइनिंग क्या है?

डीप सी माइनिंग का अर्थ महासागर की गहराई में स्थित खनिज संसाधनों और धातुओं का दोहन करना है। इसमें समुद्र तल से मूल्यवान खनिजों और धातुओं को निकालने की प्रक्रिया शामिल है।

डीप सी माइनिंग के प्रकार:

  1. पॉलीमेटैलिक नोड्यूल (Polymetallic Nodules) का खनन: समुद्र तल पर बिखरी खनिजसमृद्ध गेंदनुमा चट्टानों को एकत्र करना।
  2. समुद्री सल्फाइड जमाव (Seafloor Sulphide Deposits) का खनन: महासागर के तल में मौजूद सल्फाइड युक्त खनिजों का निष्कर्षण।
  3. कोबाल्ट क्रस्ट (Cobalt Crust) का खनन: समुद्री पहाड़ों और ज्वालामुखियों की चट्टानों से कोबाल्ट युक्त परतें हटाना।

महत्वपूर्ण खनिज और उनके उपयोग:

  • निकेल (Nickel), दुर्लभ पृथ्वी तत्व (Rare Earths), कोबाल्ट (Cobalt) आदि खनिजों का दोहन किया जाता है।
  • ये बैटरियों, अक्षय ऊर्जा स्रोतों, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और अन्य आधुनिक तकनीक में काम आते हैं।

डीप सी माइनिंग में प्रयुक्त तकनीक:

  • कुछ कंपनियाँ विशाल पंपों का उपयोग कर समुद्र तल से खनिज निकालने की योजना बना रही हैं।
  • AI आधारित रोबोटिक तकनीक विकसित की जा रही है, जो समुद्र की गहराइयों में खनिजों की पहचान कर उन्हें एकत्र कर सके।
  • कुछ कंपनियाँ समुद्री पर्वतों और ज्वालामुखियों की ढलानों से उन्नत मशीनों द्वारा खनन करने की योजना बना रही हैं।

रणनीतिक महत्व:

  • धरती पर उपलब्ध खनिज भंडार धीरेधीरे समाप्त हो रहे हैं, जिससे महासागरीय संसाधनों का महत्व बढ़ रहा है।
  • सरकारें और कंपनियाँ डीप सी माइनिंग को एक रणनीतिक संसाधन मानती हैं, जो भविष्य की बढ़ती मांग को पूरा कर सकता है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:

  1. दीर्घकालिक प्रभाव (Long-Term Impact):
    • 1979 में किए गए एक छोटे पैमाने के खनन प्रयोग से समुद्री तलछट (sediment) में दीर्घकालिक बदलाव देखे गए।
    • इस क्षेत्र में रहने वाले जीवों की आबादी में गिरावट दर्ज की गई।
  2. प्राकृतिक पुनर्वास (Natural Recovery):
    • कुछ क्षेत्रों में बहुत कम या कोई सुधार नहीं देखा गया।
    • हालांकि, कुछ जीव समूह फिर से बसने और आबादी बढ़ाने के शुरुआती संकेत दिखा रहे हैं।

चिंता (Concerns):

  • यह पहली बार नहीं है जब वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्री खनन (Deep Sea Mining) को लेकर चिंता जताई है।
  • पहले के अध्ययनों में दिखाया गया है कि 200 मीटर से अधिक गहराई में खनन करने से हानिकारक शोर, कंपन, तलछट के गुबार (sediment plumes), और प्रकाश प्रदूषण होता है।
  • Current Biology पत्रिका में 2023 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जहां डीप सी माइनिंग होती है, वहां जीवों की आबादी घट जाती है और इसका प्रभाव पहले की तुलना में कहीं अधिक व्यापक होता है।

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