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रक्षा मंत्रालय द्वारा पनडुब्बी समझौता: भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में दो सबमरीन परियोजनाओं के लिए लगभग 2,867 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन अनुबंधों का उद्देश्य भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाना और रक्षा प्रौद्योगिकी में देश की आत्मनिर्भरता को समर्थन प्रदान करना है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा पनडुब्बी समझौता :
- ‘मेक इन इंडिया‘ पहल: दोनों समझौते ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत हैं, जिसका मतलब है कि प्रोपल्शन सिस्टम और टॉरपीडो भारत में निर्मित होंगे।
- एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली:
- पहला समझौता Rs 1,990 करोड़ का है, जिसे मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई के साथ हस्ताक्षरित किया गया है।
- AIP प्रणाली डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित की जा रही है, जो पारंपरिक पनडुब्बियों की गोपनीयता और सहनशक्ति बढ़ाएगी।
- इलेक्ट्रॉनिक हैवी–वेट टॉरपीडो (EHWT) का एकीकरण:
- दूसरा समझौता Rs 877 करोड़ का है, जो भारतीय नौसेना, DRDO और नेवल ग्रुप (फ्रांस) के सहयोग से किया जाएगा।
- इससे भारतीय नौसेना की कालवारी क्लास पनडुब्बियों की आग्नेय शक्ति को बढ़ावा मिलेगा।
एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्लग:
- AIP प्लग की तकनीक:
- यह एक उन्नत तकनीक है, जो गैर-परमाणु पनडुब्बियों में प्रयोग की जाती है।
- AIP प्रणाली पनडुब्बियों को सतह पर आने की आवश्यकता को कम करती है।
- पनडुब्बी संचालन में सुधार:
- पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को डीजल इंजन चलाने और बैटरियां चार्ज करने के लिए सतह पर आना पड़ता है।
- सतह पर आने से पनडुब्बी शत्रु द्वारा पहचानी जा सकती है, जिससे गुप्तता प्रभावित होती है।
- AIP का लाभ:
- AIP प्रणाली पनडुब्बियों को लंबी अवधि तक पानी के नीचे रहने की क्षमता देती है।
- यह पनडुब्बी की गुप्तता और ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाता है।
इलेक्ट्रॉनिक हैवी वेट टॉरपीडो (EHWT):
- EHWT की तकनीक:
- यह एक अत्याधुनिक हथियार है, जो पनडुब्बियों की अग्नि शक्ति को बढ़ाता है।
- इसे F21 हैवी वेट टॉरपीडो के नाम से भी जाना जाता है।
- एल्यूमिनियम सिल्वर ऑक्साइड तकनीक:
- EHWT उन्नत एल्यूमिनियम सिल्वर ऑक्साइड तकनीक का उपयोग करता है।
- यह तकनीक टॉरपीडो की रेंज और गति को बढ़ाती है।
- आधुनिक सुरक्षा:
- यह अन्य टॉरपीडो की तुलना में अधिक घातक है।
- टॉरपीडो को डिजाइन करते समय सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है, जिससे पनडुब्बी में आग लगने या टॉरपीडो गिरने पर आकस्मिक विस्फोट की संभावना नहीं होती।
रणनीतिक महत्त्व:
- भारत की रक्षा क्षमता में सुधार:
- ये उन्नत तकनीकें भारत के नौसेना बेड़े के आधुनिकीकरण और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होती हैं।
- यह कदम रक्षा प्रौद्योगिकी की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की अस्थिरता के दौर में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है।
- भारत की क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थिति मजबूत करना:
- रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता से भारत की क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थिति मजबूत होती है।
- यह भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में एक मजबूत खिलाड़ी बनने में मदद करता है।
- पनडुब्बी क्षमताओं को बढ़ावा देना:
- पनडुब्बी क्षमताओं को बढ़ाकर भारत महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
- यह किसी भी प्रतिकूल नौसैनिक गतिविधि को रोकने और क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।