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ग्रीन स्टील मिशन

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सरकार इस्पात क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये के ‘ग्रीन स्टील मिशन’ पर काम कर रही है। यह मिशन उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI), नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए प्रोत्साहन और सरकारी संस्थाओं द्वारा ग्रीन स्टील की खरीद को अनिवार्य करने जैसे कदम शामिल करता है।

कार्बन उत्सर्जन:

कार्बन उत्सर्जन का मतलब वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसों का निकलना है। ये ग्रीनहाउस गैसें हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में योगदान करती हैं।

भारत में इस्पात क्षेत्र:

  • उत्पादन:
    • 2023-24 में भारत की कच्चे इस्पात उत्पादन क्षमता 179.5 मिलियन टन तक पहुंच गई।
    • 2023-24 में मिश्र धातु और गैर-मिश्र धातु सहित तैयार इस्पात का उत्पादन 139.15 मिलियन टन रहा, जो लगातार बढ़ रहा है।
    • इस्पात उत्पादन में निजी क्षेत्र का दबदबा है, जो कुल कच्चे इस्पात उत्पादन का लगभग 83% योगदान देता है।
  • राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017:
    • उन्नत तकनीकी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा वाला इस्पात उद्योग बनाने का लक्ष्य।
    • 2030-31 तक 300 मिलियन टन उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य।
  • इस्पात की खपत:
    • अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान तैयार इस्पात की कुल खपत लगभग 75.6 मिलियन टन रही।
    • वित्तीय वर्ष 2023 में प्रति व्यक्ति इस्पात खपत 86.7 किलोग्राम दर्ज की गई।

इस्पात उद्योग में हरित बदलाव के लाभ:

  1. स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण:
    • प्रदूषण कम होने से वायु और जल की गुणवत्ता में सुधार होगा।
    • स्थानीय समुदायों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और पर्यावरणीय क्षरण रोका जा सकेगा।
  2. वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में योगदान:
    • कार्बन उत्सर्जन घटाकर वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने में मदद मिलेगी।
    • यह पेरिस समझौते के तहत जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होगा।
  3. रोजगार और आर्थिक विकास:
    • ग्रीन स्टील तकनीकों और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश से नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
    • उद्योग का दीर्घकालिक आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा।

ग्रीन स्टील मिशन :

इस्पात क्षेत्र को कार्बन मुक्त बनाना और 2070 तक भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य के साथ इसे संरेखित करना।

मुख्य घटक:

  1. ग्रीन स्टील के लिए उत्पादनलिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना:
    • ग्रीन स्टील के उत्पादन को बढ़ावा देना।
    • निवेश आकर्षित करना और विशेष इस्पात के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।
    • आयात पर निर्भरता कम करना।
  2. नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रोत्साहन:
    • इस्पात उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना।
    • इस्पात उद्योग के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करना।
  3. सरकारी एजेंसियों के लिए अनिवार्यता:
    • सरकारी एजेंसियों को ग्रीन स्टील की खरीद करना अनिवार्य।
    • इससे ग्रीन स्टील की मांग बढ़ेगी और उद्योग को अधिक स्थायी प्रक्रियाओं की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।

इस्पात उद्योग में डिकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देने वाली नीतियां:

  • स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति (2019)
  • वाहन स्क्रैपिंग नीति (2021)
  • राष्ट्रीय सोलर मिशन (2010)
  • परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड (PAT) योजना
  • राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
  • ग्रीन स्टील टैक्सोनॉमी
  • कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (CCTS) (2023)
  • ग्रीन स्टील मिशन के तहत पायलट प्रोजेक्ट्स

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