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संदर्भ:
डिफेंस पार्टनरशिप–इंडिया (DP-I): भारत और यूके ने एयरो इंडिया 2025 में कई रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें “डिफेंस पार्टनरशिप–इंडिया (DP-I)” की शुरुआत, अगली पीढ़ी के हथियारों पर सहयोग, और हैदराबाद में ASRAAM मिसाइल असेंबली फैसिलिटी की स्थापना शामिल है।
डिफेंस पार्टनरशिप–इंडिया (DP-I):
- UK के रक्षा मंत्रालय के तहत एक समर्पित इकाई।
- भारत-यूके रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए “वन-स्टॉप सेंटर” के रूप में कार्य करता है।
- रक्षा खरीद (Defence Procurement) और तकनीकी आदान-प्रदान (Technology Exchange) को सरल बनाने के उद्देश्य से स्थापित।
मुख्य समझौते और अनुबंध:
- एयरो इंडिया के दौरान कई रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर।
- Thales UK और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने लेजर बीम राइडिंग मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) प्रदान करने पर सहमति जताई।
- प्रारंभिक आपूर्ति में STARStreak हाई-वेलोसिटी मिसाइलें शामिल।
- इसके अलावा, हल्की बहुउद्देश्यीय मिसाइल (LMM) के उत्पादन की योजना भी बनाई गई।
भारत में ASRAAM असेंबली:
- MBDA U.K. और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) हैदराबाद में एक ASRAAM (Advanced Short-Range Air-to-Air Missile) असेंबली और परीक्षण सुविधा स्थापित कर रहे हैं।
- ये मिसाइलें जगुआर (Jaguar) और LCA-Mk1A विमानों में इस्तेमाल होंगी और निर्यात के लिए भी बनाई जाएंगी।
समुद्री सहयोग (Maritime Collaboration):
- भारतीय नौसेना के लिए एकीकृत पूर्ण इलेक्ट्रिक प्रणोदन (IFEP) प्रणाली विकसित करने हेतु एक “Statement of Intent” (SoI) पर हस्ताक्षर किए गए।
- GE Vernova और BHEL भारत की पहली समुद्री “Land-Based Testing Facility” पर काम कर रहे हैं, जो 2030 तक लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD) विकास का समर्थन करेगी।
रणनीतिक प्रभाव:
- DP-I और अन्य रक्षा समझौते भारत-यूके रक्षा सहयोग में रणनीतिक बदलाव का संकेत देते हैं।
- ये पहल आपसी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने और दोनों देशों की सेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता (Interoperability) बढ़ाने के उद्देश्य से की गई हैं।
- इन साझेदारियों से रोजगार सृजन और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
भारत–यूके संबंधों का महत्व
- बहु–स्तरीय संबंधों को गहराई मिलना: रोडमैप 2030 (भारत-यूके वर्चुअल समिट, 2021) के तहत भारत–यूके संबंधों को “व्यापक रणनीतिक साझेदारी” (CSP) तक बढ़ाने का लक्ष्य।
- इंडो–पैसिफिक में ‘नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर‘ के रूप में भूमिका: यूके की “इंडो-पैसिफिक टिल्ट” रणनीति भारत के हितों के अनुरूप।
- हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) पर ध्यान: QUAD देश अधिकतर प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित हैं, ऐसे में ब्रिटेन IOR में रणनीतिक साझेदार की भूमिका निभा सकता है।
- भारत–यूके रक्षा सहयोग: 2+2 संवाद प्रणाली उच्च स्तरीय राजनयिक और सैन्य वार्ता के माध्यम से रक्षा सहयोग को तेज कर रही है।
- आर्थिक विषमता में अवसर:
- भारत की $4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाम यूके की प्रति व्यक्ति आय ($50,000 बनाम $3,000)।
- भारत यूके के उन्नत क्षेत्रों और विशेषज्ञता का लाभ उठा सकता है, जबकि यूके भारत के विशाल बाजार और कार्यबल तक पहुंच बना सकता है।
भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता:
- यूके का भारत की रक्षा महत्वाकांक्षाओं का समर्थन “आत्मनिर्भर भारत“ (Atmanirbhar Bharat) पहल के अनुरूप है।
- ब्रिटिश उच्चायुक्त ने रक्षा प्रौद्योगिकियों में सहयोग को आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में रेखांकित किया।