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समर्पित माल गलियारा (DFC)

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न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में बताया गया कि समर्पित माल गलियारों (Dedicated Freight Corridors, DFCs) का भारतीय सकल घरेलू उत्पाद पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अध्ययन के अनुसार, DFC ने माल ढुलाई लागत में कमी की है, विशेषकर पश्चिमी क्षेत्रों और कम प्रति व्यक्ति जीडीपी वाले राज्यों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है। 2018-19 और 2022-23 के बीच DFC ने भारतीय रेलवे के राजस्व में 2.94% की वृद्धि की, और माल ढुलाई की लागत में कमी के कारण वस्तुओं की कीमतों में 0.5% की कमी आई है।

समर्पित माल गलियारे (DFC) क्या हैं?

DFC ऐसे मार्ग हैं जो विशेष रूप से माल परिवहन के लिए समर्पित हैं। ये गलियारे उच्च क्षमता और तीव्र गति वाले परिवहन को सुगम बनाते हैं, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होता है और निर्यात-आयात गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। DFC पहल की घोषणा वित्त वर्ष 2005-06 के रेल बजट में की गई थी, और इसके लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन के रूप में 2006 में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) की स्थापना की गई।

नवीनतम घटनाक्रम:

2006 में रेल मंत्रालय ने दो प्रमुख DFC की घोषणा की:

  • पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (EDFC): यह सोननगर, बिहार से साहनेवाल, पंजाब तक 1,337 किमी तक फैला है और पूर्ण हो चुका है।
  • पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (WDFC): यह जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह, मुंबई से दादरी, उत्तर प्रदेश तक 1,506 किमी लंबा है, जिसमें 93% हिस्से का संचालन हो रहा है और दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।

इनके अलावा, चार और DFC प्रस्तावित हैं:

  1. पूर्व-पश्चिम DFC: कोलकाता से मुंबई
  2. उत्तर-दक्षिण DFC: दिल्ली से चेन्नई
  3. पूर्वी तट DFC: खड़गपुर से विजयवाड़ा
  4. दक्षिणी DFC: चेन्नई से गोवा

DFC की आवश्यकता:

  1. भीड़भाड़ कम करना: भारतीय रेलवे का स्वर्णिम चतुर्भुज (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और हावड़ा को जोड़ता है) पर अत्यधिक दबाव है। DFC की मदद से इस भीड़भाड़ को कम किया जा सकता है।
  2. माल ढुलाई दक्षता में सुधार: समर्पित ट्रैक के माध्यम से माल की तीव्र और निर्बाध आवाजाही संभव होती है, जिससे यात्रा समय कम होता है।
  3. आर्थिक प्रभाव: DFC का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत में कमी, उद्योगों को लाभ और रेलवे के लिए राजस्व में वृद्धि करना है।
  4. माल ढुलाई लागत और वस्तुओं की कीमतों में कमी: DFC से कार्यकुशलता में सुधार, परिवहन लागत में कमी, और वस्तुओं की कीमतों में कमी आती है।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL):

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) भारतीय रेल मंत्रालय के अधीन एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) है। इसे विशेष रूप से देश में माल परिवहन को तेज और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (DFC) के विकास और संचालन के लिए स्थापित किया गया है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और यह एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) है।

उद्देश्य: DFCCIL का मुख्य उद्देश्य 3,306 किलोमीटर लंबे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) की योजना बनाना और उसे पूरा करना है। इसमें मुख्य रूप से दो कॉरिडोर शामिल हैं:

मुख्य कार्य:

  • योजना और विकास: फ्रेट कॉरिडोर के लिए योजना बनाना और आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करना।
  • मौद्रिक संसाधनों की तैनाती: वित्तीय संसाधनों का कुशल प्रबंधन और उपयोग सुनिश्चित करना।
  • निर्माण और रखरखाव: फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण करना और इसके संरचनात्मक रखरखाव की जिम्मेदारी निभाना।
  • संचालन: इस कॉरिडोर पर निर्बाध माल परिवहन सुनिश्चित करना।

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