संदर्भ:
ढोकरा शिल्प कला (Dhokra sculptures): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाईलैंड के प्रधानमंत्री को एक डोक्रा पीतल की मोर आकृति वाली नाव, जिस पर एक आदिवासी सवार विराजमान है, उपहार स्वरूप भेंट की।
ढोकरा शिल्प कला (Dhokra sculptures) के बारे में :
- ढोकरा शिल्प कला एक प्राचीन धातु शिल्प कला है जिसकी उत्पत्ति लगभग 4,000 वर्ष पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता के समय हुई मानी जाती है।
- मोहनजो–दड़ो की प्रसिद्ध ‘नृत्य करती युवती’ की मूर्ति इस कला का एक प्रमुख उदाहरण मानी जाती है।
- नाम की उत्पत्ति: “डोकरा” या “ढोकरा” नाम का संबंध पश्चिम बंगाल के ‘धोकरा डमर‘ जनजातियों से जोड़ा जाता है, जो इस कला के पारंपरिक शिल्पकार रहे हैं।
ढोकरा शिल्प कला की मुख्य विशेषताएँ:
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लॉस्ट वैक्स कास्टिंग तकनीक (Lost Wax Casting):
- यह कला पूरी तरह से मोम से बनी आकृति पर आधारित ढलाई तकनीक पर आधारित होती है।
- इस तकनीक में एक बार प्रयोग होने वाला साँचा बनाया जाता है, जो फिर तोड़ दिया जाता है।
- इस कारण हर डोकरा शिल्प अद्वितीय (Unique) होता है।
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हस्तनिर्मित सौंदर्य और पारंपरिक डिज़ाइन:
- डोकरा की मूर्तियाँ प्राचीन संस्कृति, ग्रामीण जीवन, देवी-देवताओं और पशु-पक्षियों के रूप में बनाई जाती हैं।
- ये मूर्तियाँ पीतल, तांबा व अन्य मिश्र धातुओं से बनाई जाती हैं।
भौगोलिक संकेत (GI Tag):
- डोकरा (बांकुरा, पश्चिम बंगाल) को 2008 में GI टैग प्रदान किया गया था।
- यह टैग इस पारंपरिक कला की असली पहचान और सांस्कृतिक विरासत को मान्यता देता है।