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चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पहला विस्तृत मानचित्र

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संदर्भ:

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पहला विस्तृत मानचित्र: भारतीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने चंद्रयान3 के डेटा का उपयोग करके चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र का पहला विस्तृत भूवैज्ञानिक मानचित्र तैयार किया है। यह अध्ययन भविष्य के चंद्र अन्वेषण और मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पहला विस्तृत मानचित्र के मुख्य निष्कर्ष:

  1. पहला उच्चरिज़ॉल्यूशन मानचित्र:
    • PRL अहमदाबाद, पंजाब विश्वविद्यालय और ISRO ने चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर के डेटा से यह मानचित्र तैयार किया।
    • चंद्रमा के निर्माण और विकास पर नई जानकारी प्रदान करता है।
  2. मैग्मा महासागर की पुष्टि:
    • प्रज्ञान के अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर ने सतह के नीचे पिघली हुई चट्टान (molten rock) का पता लगाया।
    • यह चंद्रमा के प्रारंभिक इतिहास में वैश्विक मैग्मा महासागर की पुष्टि करता है।
  3. उम्र और क्रेटर मैपिंग:
    • लैंडिंग साइट की उम्र 3.7 अरब वर्ष आंकी गई, जो पृथ्वी के प्रारंभिक विकास के समान है।
    • शॉमबर्गर क्रेटर को प्रभाव मलबे (impact debris) का मुख्य स्रोत माना गया।
  4. चंद्र एवं ग्रह अध्ययन के लिए महत्व:
    • संरक्षित क्रेटर सौर मंडल के क्षुद्रग्रह प्रभावों के इतिहास को समझने में मदद करते हैं।
    • यह पृथ्वीचंद्रमा प्रणाली के निर्माण पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

चंद्रमा पर प्रभाव क्रेटरिंग और इसकी महत्ता:

  1. प्रभाव क्रेटरिंग का महत्व:
    • चंद्रमा के क्रेटर समय कैप्सूल की तरह काम करते हैं, जो सौर मंडल के निर्माण का रिकॉर्ड सुरक्षित रखते हैं।
    • पृथ्वी पर क्रेटर जलवायु और भूगर्भीय गतिविधियों से जल्दी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, लेकिन चंद्रमा पर लाखों वर्षों तक संरक्षित रहते हैं
    • इससे वैज्ञानिकों को अन्य ग्रहों की भूगर्भीय विशेषताओं और उम्र का अध्ययन करने में मदद मिलती है।
  2. चंद्रमा पर प्रदूषण को लेकर चिंता:
    • चंद्रमा पर बढ़ती खोज के साथ प्रदूषण का खतरा भी बढ़ रहा है।
    • पिछले मिशनों द्वारा छोड़ा गया मलबा वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रभावित कर सकता है।
    • लैंडर से निकलने वाली गैसें चंद्रमा की बर्फीली परतों को दूषित कर सकती हैं, जिससे चंद्र जल वितरण पर डेटा गलत हो सकता है।
  3. अंतरराष्ट्रीय नियमों की आवश्यकता:
    • 1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि (Outer Space Treaty) में चंद्र प्रदूषण पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं।
    • चंद्रमा पर भविष्य में मानव उपनिवेशीकरण को ध्यान में रखते हुए, अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचे की आवश्यकता है।
    • यह ढांचा चंद्रमा के प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित करते हुए संसाधनों के उचित उपयोग और अन्वेषण को संतुलित करेगा।

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