संदर्भ:
खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2024: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2024 (Food Waste Index Report 2024) के अनुसार, 2022 में वैश्विक स्तर पर 1.05 अरब टन खाद्य पदार्थ बर्बाद हुए, जो उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध खाद्य पदार्थों का लगभग 20% है। भारत भी इस संकट में प्रमुख योगदानकर्ताओं में शामिल है।
खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2024 (Food Waste Index Report 2024) के प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक खाद्य अपशिष्ट:
- हर साल $1 ट्रिलियन मूल्य का खाद्य पदार्थ बर्बाद होता है, जबकि 783 मिलियन लोग भूख से पीड़ित हैं।
- विश्व स्तर पर 1 अरब टन से अधिक खाद्य अपशिष्ट, जो उपलब्ध कुल भोजन का 20% है।
- खाद्य अपशिष्ट के प्रमुख स्रोत:
- 60% खाद्य अपशिष्ट घरेलू स्तर (Households) पर होता है।
- इसके बाद खाद्य सेवा क्षेत्र (Food Service Sector) और खुदरा क्षेत्र (Retail) आते हैं।
- भारत में खाद्य अपशिष्ट की स्थिति:
- चीन के बाद भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
- भारतीय घरों में प्रति व्यक्ति औसतन 55 किलोग्राम भोजन बर्बाद होता है।
- भारत में कुल 78 मिलियन टन खाद्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- खाद्य अपशिष्ट कुल नगरपालिका ठोस कचरे (Municipal Solid Waste) का 10%-12% है।
- यह लैंडफिल से मीथेन उत्सर्जन को बढ़ाता है, जिससे जलवायु परिवर्तन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
खाद्य अपशिष्ट बनाम खाद्य हानि (Food Wastage vs. Food Loss):
- खाद्य अपशिष्ट (Food Wastage): इसमें खाने योग्य और अखाद्य दोनों प्रकार के भाग शामिल होते हैं, जो निर्माण, खुदरा, रेस्तरां और घरों में विभिन्न चरणों पर बर्बाद होते हैं।
- खाद्य हानि (Food Loss): यह आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) के प्रारंभिक चरणों में होती है, जैसे भंडारण, परिवहन और खराब प्रबंधन के कारण भोजन नष्ट हो जाना।
वैश्विक खाद्य अपशिष्ट के आंकड़े
- 783 मिलियन लोग भूख से पीड़ित हैं, जिससे खाद्य अपशिष्ट एक गंभीर समस्या बन जाती है।
- 19% उपभोक्ता–उपलब्ध भोजन खुदरा, खाद्य सेवा और घरेलू स्तर पर बर्बाद हो जाता है।
भारत में खाद्य अपशिष्ट की स्थिति:
- दूसरा सबसे बड़ा खाद्य बर्बाद करने वाला देश: चीन के बाद भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
- प्रति व्यक्ति बनाम कुल अपशिष्ट
- भारत में प्रति व्यक्ति वार्षिक घरेलू खाद्य अपशिष्ट 55 किलोग्राम है, जो अमेरिका (73 किलोग्राम) से कम है।
- लेकिन भारत की विशाल जनसंख्या के कारण कुल बर्बादी बहुत अधिक हो जाती है।
- खतरनाक खाद्य अपशिष्ट मात्रा: भारत हर साल 78 मिलियन टन भोजन बर्बाद करता है, जबकि 20 करोड़ से अधिक लोग भूखे सोते हैं।
खाद्य अपशिष्ट के प्रभाव (Impacts of Food Waste):
- पर्यावरणीय प्रभाव: भोजन उत्पादन में उपयोग होने वालीभूमि, पानी और ऊर्जाव्यर्थ चली जाती है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन:
- UN Climate Change (2024)के अनुसार, खाद्य अपशिष्ट वैश्विक स्तर पर 8%-10% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का कारण बनता है।
- यदि खाद्य अपशिष्ट को एक देश माना जाए, तो यह चीन और अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक होगा।
- भारत में स्थिति:
- भारत में कुल नगरपालिका कचरे का 10%-12% खाद्य अपशिष्ट होता है।
- यह लैंडफिल से मीथेन उत्सर्जन को बढ़ाता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और गंभीर हो जाती है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन:
- सामाजिक प्रभाव (Social Impact):
- भोजन की असमान उपलब्धता: बड़े पैमाने पर भोजन की बर्बादी के कारण वह जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पाता।
- संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (SDGs) पर असर: SDG 2 (Zero Hunger) दुनिया से भूख मिटाने के लक्ष्य में बाधा।