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विदेशी धन प्रेषण (रेमिटेंस)

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2024 में भारत ने दुनिया में सबसे ज्यादा विदेशी धन प्रेषण (रेमिटेंस) प्राप्त किया, जिसकी अनुमानित राशि 129 अरब डॉलर रही। इसके बाद मेक्सिको, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान का स्थान रहा।

विश्व बैंक के अनुसार, 2024 में भारत ने $129 बिलियन के अनुमानित प्रवाह के साथ रेमिटेंस प्राप्त करने वाले देशों की सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। इसके बाद:

  1. मेक्सिको – $68 बिलियन
  2. चीन – $48 बिलियन
  3. फिलीपींस – $40 बिलियन
  4. पाकिस्तान – $33 बिलियन
  • रेमिटेंस की वृद्धि दर: 2024 में रेमिटेंस की वैश्विक वृद्धि दर 5.8% आंकी गई है, जो 2023 की 1.2% दर की तुलना में काफी अधिक है।
  • लो और मिडिल-इनकम देशों में रेमिटेंस का स्तर: वर्ष 2024 में इन देशों को रेमिटेंस $685 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है।
  • दक्षिण एशिया में वृद्धि: भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश को मजबूत प्रवाह के कारण दक्षिण एशिया में रेमिटेंस में 11.8% की उच्चतम वृद्धि का अनुमान। यह आंकड़े प्रवासी भारतीयों की भूमिका और रेमिटेंस के वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ते महत्व को दर्शाते हैं।

रेमिटेंस (प्रेषण):

  • परिभाषा: रेमिटेंस वह धनराशि है जो विदेशों में कार्यरत व्यक्ति अपने मूल देश में परिवार या समुदाय को भेजते हैं।
  • भारत का स्थान: वर्ष 2024 में भारत ने 129 बिलियन अमेरिकी डॉलर रेमिटेंस प्राप्त किए, जिससे वह रेमिटेंस प्राप्त करने वाला शीर्ष देश है।
  • वैश्विक महत्व:
    • विकासशील देशों में रेमिटेंस विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत है।
    • नेपाल, हैती, ताजिकिस्तान, और टोंगा जैसे देशों के GDP में रेमिटेंस का योगदान 25% से अधिक है।
  • भारत में स्रोत: खाड़ी देशों, अमेरिका, ब्रिटेन, और अन्य विकसित देशों में बसे प्रवासी भारतीय इसका प्रमुख स्रोत हैं।
  • आर्थिक भूमिका:
    • विदेशी मुद्रा से आवश्यक वस्तुओं का आयात।
    • ग्रामीण और शहरी परिवारों की आय बढ़ाना।
    • जीवन स्तर में सुधार।

रेमिटेंस का महत्व:

  1. आर्थिक स्थिरता: रेमिटेंस विकासशील देशों की GDP में योगदान देते हैं और विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराकर राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और भुगतान संतुलन को स्थिर बनाते हैं।
  2. गरीबी उन्मूलन: ये लाखों परिवारों को स्थिर आय प्रदान करते हैं, जिससे उनके दैनिक जीवन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी ज़रूरतें पूरी होती हैं।
  3. विकास और निवेश: रेमिटेंस का उपयोग छोटे व्यवसाय, कृषि और आधारभूत परियोजनाओं में होता है, जिससे स्थानीय आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
  4. सांस्कृतिक जुड़ाव: प्रवासी अपने देश से जुड़े रहते हैं, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है और प्रवासी समुदायों के साथ संबंध मजबूत होते हैं।

चुनौतियाँ:

  1. उच्च लेन-देन लागत: तकनीकी प्रगति के बावजूद, कुछ मार्गों में रेमिटेंस भेजने की लागत अधिक है, जिससे लाभार्थियों को कम धनराशि प्राप्त होती है।
  2. अत्यधिक निर्भरता: रेमिटेंस पर अधिक निर्भरता से आर्थिक कमजोरी होती है, जिससे स्थायी स्थानीय अर्थव्यवस्था का विकास बाधित हो सकता है।
  3. नियमात्मक बाधाएँ: कड़े वित्तीय नियम और धन शोधन विरोधी उपाय रेमिटेंस ट्रांसफर को जटिल और धीमा बना देते हैं।

 

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