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गोविंद सागर झील, हिमाचल प्रदेश के ऊना और बिलासपुर जिलों में स्थित एक मानव निर्मित जलाशय है, जिसका निर्माण सतलुज नदी पर बने भाखड़ा बांध से हुआ है। यह झील दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के सम्मान में नामित की गई है। भाखड़ा बांध, जो अपनी नींव से 225.5 मीटर ऊँचा है, विश्व के सबसे ऊंचे गुरुत्व बांधों में से एक है और गोविंद सागर झील का मुख्य स्रोत है।
गोविंद सागर झील की विशेषताएँ:
- लंबाई: लगभग 90 किमी
- क्षेत्रफल: लगभग 170 वर्ग किमी
- गहराई: अधिकतम 163.07 मीटर और औसत 55 मीटर, जो इसे दुनिया की सबसे गहरी मानव निर्मित झीलों में से एक बनाती है।
- सिंचाई और जल आपूर्ति: यह झील हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में सिंचाई के लिए जल आपूर्ति करती है, जिससे क्षेत्रीय कृषि को बढ़ावा मिलता है।
- प्राकृतिक सुंदरता: यह झील हरी-भरी पहाड़ियों और हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी हुई है।
वनस्पति और जीव-जंतु:
1962 में इसे ‘जलपक्षी शरणस्थल’ का दर्जा दिया गया। यहाँ पैंथर, भेड़िया, चौसिंगा, सांभर, लकड़बग्घा, भालू, नीलगाय, चिंकारा और जंगली सूअर जैसे अनेक जानवर मिलते हैं। इसके अलावा, यह मछलियों की पचास से अधिक प्रजातियों का घर है, जिनमें महाशीर, गिड, सिंघारा, और मिरर कार्प शामिल हैं।
गुरुत्व बांध (Gravity Dam):
गुरुत्व बांध एक प्रकार का बांध है, जो अपने भार और द्रव्यमान पर निर्भर करते हुए पानी को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह बांध पानी के क्षैतिज दबाव का प्रतिकार करने के लिए गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग करता है। गुरुत्व बांध का उपयोग जल आपूर्ति, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, और जलविद्युत उत्पादन के लिए होता है और ये दुनिया के सबसे पुराने और सामान्य बांधों में से एक हैं।
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