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ओडिशा के हीराकुंड बाँध की नहर प्रणाली का जीर्णोद्धार

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ओडिशा के हीराकुंड बाँध (Hirakud Dam) से संबंधित लगभग छह दशक पुरानी नहर प्रणाली का व्यापक स्तर पर जीर्णोद्धार किया जाएगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य सिंचाई संबंधी बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना, जल की बर्बादी को कम करना और कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है।

जीर्णोद्धार के मुख्य उद्देश्य:

  1. सिंचाई अवसंरचना का आधुनिकीकरण: बरगढ़ और सासन मुख्य नहरों समेत विभिन्न नहर अवसंरचनाएँ जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है।
  2. जल हानि को कम करना: मौजूदा मृदायुक्त नहरों के कारण जल की काफी हानि होती है, जिससे सिंचाई दक्षता कम हो जाती है।
  3. कृषि भूमि की उपयोगिता: जल रिसाव के कारण कुछ कृषि भूमि खेती के लिए अनुपयुक्त हो जाती है, जिससे स्थानीय किसानों के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
  4. बेहतर जल वितरण और प्रबंधन: समस्त मृदा के जल मार्गों को कंक्रीट पथों में परिवर्तित किया जाएगा, जिससे बेहतर जल वितरण सुनिश्चित किया जा सके।
  5. किसानों की पहुँच में वृद्धि: अंतिम छोर के क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ाने से किसानों की बेहतर पहुँच सुनिश्चित होगी।
  6. सिंचाई क्षमता में सुधार: सिंचाई क्षमता और वास्तविक उपयोग के बीच अंतर को कम करना, जिससे किसानों को लाभ होगा और फसल की उपज बढ़ेगी।

हीराकुंड बाँध (Hirakud Dam) के बारे में मुख्य तथ्य:

  • यह बहुउद्देशीय योजना महानदी में विनाशकारी बाढ़ की पुनरावृत्ति के बाद वर्ष 1937 में इंजी. एम. विश्वेश्वरैया द्वारा परिकल्पित की गई थी।
  • निर्माण: वर्ष 1952-53 के आसपास निर्मित, यह स्वतंत्रता के पश्चात् भारत की पहली प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
  • लंबाई: इसे विश्व में सबसे लंबे प्रमुख मिट्टी के बाँध के रूप में जाना जाता है, जो महानदी पर 25.8 किमी तक फैला है।
  • उद्घाटन:
    • इसका उद्घाटन वर्ष 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
  • जलाशय: यह हीराकुंड जलाशय का निर्माण करता है, जिसे हीराकुंड झील के नाम से भी जाना जाता है, यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है। इसे वर्ष 2021 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
  • उद्देश्य और लाभ:
    • बाँध की जलविद्युत उत्पादन की स्थापित क्षमता 359.8 मेगावाट है, जो क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति में योगदान देती है।
    • यह जलाशय 436,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करता है, जिससे क्षेत्र के किसानों को लाभ होता है।
  • कैटल आईलैंड: यह हीराकुंड जलाशय के सबसे बाहरी हिस्से में स्थित है, जहाँ वनीय मवेशियों का एक बड़ा झुंड रहता है।

महानदी:

  • उद्गम: महानदी छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में सिहावा पर्वत श्रेणी से निकलती है।
  • मुहाना: यह ओडिशा के जगतसिंहपुर में फाल्स प्वाइंट पर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • सहायक नदियाँ:
    • वाम तट: सियोनाथ, मांड, आईबी, हसदेव और केलो।
    • दाहिना तट: ओंग, पैरी, जोंक और तेलेन।
  • बेसिन और भूगोल:
    • महानदी बेसिन छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों तथा झारखंड, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के अपेक्षाकृत छोटे भागों तक फैला हुआ है।
    • यह उत्तर में मध्य भारत की पहाड़ियों, दक्षिण और पूर्व में पूर्वी घाटों तथा पश्चिम में मैकाल श्रेणी से घिरा हुआ है।
  • महानदी का महत्व: महानदी देश की प्रमुख नदियों में से एक है और प्रायद्वीपीय नदियों में जल संभाव्यता और बाढ़ उत्पादन क्षमता के मामले में यह गोदावरी के बाद दूसरे स्थान पर है।

यह पहल न केवल जल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार लाएगी, बल्कि क्षेत्र के किसानों के लिए स्थायी और प्रभावी सिंचाई का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।

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